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UP By Election: मिल्कीपुर में सपा के हाथ लगा बड़ा मुद्दा, अयोध्या में सांसद अवधेश प्रसाद करेंगे BJP का घेराव

उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर में राजकीय पॉलिटेक्निक के निर्माण में देरी को लेकर भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने इस मुद्दे को उठाया है और भाजपा को घेरने की तैयारी कर रहे हैं। उनका आरोप है कि भाजपा ने जानबूझकर पॉलिटेक्निक के निर्माण को लटकाए रखा ताकि इसका श्रेय उन्हें न मिले।

By Anand Mohan Pandey Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Sat, 24 Aug 2024 06:51 PM (IST)
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उपचुनाव में सांसद अवधेश प्रसाद के हाथ लगा बड़ा मुद्दा। (फाइल फोटो)

आनंद माेहन, अयोध्या। राजकीय पालीटेक्निक मिल्कीपुर का निर्माण विधानसभा के उप चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ाएगा। उपचुनाव में सांसद अवधेश प्रसाद के हाथ यह बड़ा मुद्दा हाथ लगा है।

भाजपा को घेरने के लिए इसे धार देने में समर्थकों के साथ जुटे हैं। समर्थक आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा ने इसे जानबूझ कर लटकाये रखा जिससे उसके निर्माण की उपलब्धि से उनको वंचित किया जा सके। करीब सात वर्ष बाद इसका निर्माण कार्यदायी संस्था उप्र स्टेट कंस्ट्रक्शन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन लि. (सिडको) ने शुरू कराया है।

AE एके श्रीवास्तव ने निर्माण शुरू होने की जानकारी दी। बताया कि क्षतिग्रस्त बाउंड्रीवाल का कार्य शुरू है। यह जिले का तीसरा पालीटेक्निक है। दो पालीटेक्निक पहले से जिले में हैं। एक राजकीय पालीटेक्निक व दूसरा महिला पालीटेक्निक है। करीब सात वर्ष अदालती दांवपेच में ही उलझने के बाद निर्णय सरकार के पक्ष में एक माह पहले आने के बाद निर्माण शुरू हुआ।

अवधेश प्रसाद के सांसद निर्वाचित होने से रिक्त मिल्कीपुर सीट पर उप चुनाव नवंबर में होने के आसार हैं। उनके पुत्र अजीत प्रसाद को समाजवादी पार्टी उम्मीदवार बनाएगी, यह भी लगभग तय माना जा रहा है।

वर्ष 2012 में अवधेश प्रसाद जब मिल्कीपुर (सुरक्षित) विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे तो अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में इसे 2015 में स्वीकृत कराया था। निर्माण शुरू होने के बाद प्रस्तावित भूमि के स्वामित्व विवाद के कारण कोर्ट से रोक लग गई। अगला चुनाव वह हार गए।

भाजपा से गोरखनाथ बाबा विधायक निर्वाचित हुए। निर्माण में कोई प्रगति नहीं हुई। इस बार जब अवधेश पुन: विधायक निर्वाचित हुए तो जनता के बढ़े दबाव से राजकीय पालीटेक्निक का निर्माण उनके एजेंडे में टाप पर आ गया।

महात्मा गांधी इंटर कालेज प्रबंधतंत्र ने पालीटेक्निक निर्माण के लिए प्रस्तावित भूमि को विद्यालय के स्वामित्व में बताते हुए सिविल कोर्ट में प्रदेश सरकार, जिलाधिकारी व अन्य को पक्षकार बना वाद दाखिल किया था। कोर्ट से कालेज प्रबंधन के पक्ष में स्थगन आदेश मिलने से निर्माण रोकना पड़ा।

कार्यदायी संस्था ने 39 लाख रुपये बाउंड्रीवाल निर्माण में स्थगन आदेश मिलने तक व्यय किये थे। निर्माण शुरू होने के इंतजार में करीब सात वर्ष बीत गए। इस बीच उसकी लागत 14.43 करोड़ से बढ़कर 18.77 करोड़ हो गई जो 4.33 करोड़ रुपये अधिक है।

निर्माण शुरू कराने के लिए पुनरीक्षित आगणन शासन से स्वीकृत कराना पड़ा। इसी बीच पालीटेक्निक को रुदौली विधानसभा क्षेत्र ले जाने की गुपचुप तैयारी उनके विरोध से ही आगे नहीं बढ़ी। दूसरी बार मिल्कीपुर से विधायक निर्वाचित हुए तो इसके निर्माण का मार्ग अदालती सुनवाई में तेजी दिला कर प्रशस्त कराया।

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