UP Lok Sabha Result: '…बदलाव के लिए 400 से अधिक सीटों की जरूरत', भाजपा पर भारी पड़ा ये बयान; रामनगरी में बनी हार की वजह
इसी वर्ष 22 जनवरी को 496 वर्षों की चिर साध पूर्ण हुई जब रामजन्मभूमि पर नवनिर्मित मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह राष्ट्रीय महत्व के उत्सव के रूप में मनाया गया। तब तक अयोध्या को श्रेष्ठतम नगरी बनाए जाने का प्रयास भी काफी हद तक फलीभूत होने लगा था कि तभी लोकसभा के चुनावी नतीजे में भाजपा की हार ने...
रमाशरण अवस्थी, अयोध्या। रामनगरी से संपृक्त फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से भाजपा की पराजय हाहाकारी सिद्ध हो रही है। इस पराजय के अनेक कारणों में जो सर्वाधिक प्रभावी सिद्ध हुआ, भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह का संविधान बदलने संबंधी बयान था। उनके इस वक्तव्य के प्रसारित वीडियो ने विपक्ष को भाजपा पर हमला करने का बड़ा हथियार दे दिया।
वह वीडियो तब रिकॉर्ड किया गया, जब भाजपा प्रत्याशी कार्यकर्ताओं को प्रेरित करते हुए कह रहे हैं कि संविधान में बदलाव के लिए चार सौ से अधिक सीटों की जरूरत है और इसीलिए आप सबको समर्पित होकर चुनाव में काम करना है।
भाजपा प्रत्याशी के इस बयान को आधार बनाकर विपक्ष ने यह आरोप मढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि भाजपा संविधान बदलना चाहती है। इस तात्कालिक कारण के साथ भाजपा से अयोध्या का चिर समीकरण भी उलझ रहा था।
एक ओर गत पांच वर्षों में भाजपा की सरकार ने रामनगरी को शून्य से शिखर तक पहुंचाया, दूसरी ओर चुनावी मोर्चे पर जब इस उपकार के प्रतिदान की बारी आई, तब भाजपा को खाली हाथ रह जाना पड़ा। यद्यपि नौ नवंबर 1999 को राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद 2022 के विस चुनाव और 2023 के स्थानीय निकाय चुनाव में रामनगरी और संपूर्ण अयोध्या जिला ने भाजपा को सिर-माथे पर बैठाया।
इस बीच भव्य राम मंदिर के साथ 50 हजार करोड़ की लागत से रामनगरी को श्रेष्ठतम सांस्कृतिक नगरी बनाए जाने का अभियान निरंतर आगे बढ़ता गया।
इसी जनवरी में पूरी हुई 496 वर्षों की चिर साध
इसी वर्ष 22 जनवरी को 496 वर्षों की चिर साध पूर्ण हुई, जब रामजन्मभूमि पर नवनिर्मित मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह राष्ट्रीय महत्व के उत्सव के रूप में मनाया गया। तब तक अयोध्या को श्रेष्ठतम नगरी बनाए जाने का प्रयास भी काफी हद तक फलीभूत होने लगा था।
यह दौर इतना रम्य, महनीय और सांस्कृतिक-आध्यात्मिक महत्व का था कि लोग बरबस यह कहने लगे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रामराज्य आ गया। यद्यपि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के चार माह से कुछ पहले ही जब लोकसभा चुनाव के लिए मतदान की निर्णायक बेला आई, तब तक अति विभोर करने वाला यह उत्साह कहीं पीछे छूट गया था।इस सच्चाई की पुष्टि चार जून को मतगणना से हुई। जिस फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र को चुनावी भाषा में अपराजेय भगवा दुर्ग का गौरव हासिल था और जहां से न केवल पांच बार के विधायक और दो बार के सांसद लल्लू सिंह जैसे मंजे राजनीतिज्ञ की बात दूर, किसी साधारण कार्यकर्ता को भाजपा का टिकट मिलना जीत की गारंटी माना जा रहा था, वह भगवा दुर्ग दरक गया।
रामनगरी वाले अयोध्या विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को सर्वाधिक उम्मीद थी लेकिन वहां के लोगों ने मतदान के प्रति उत्साह नहीं दिखाया। वहां भाजपा सभी चुनावों में निर्णायक बढ़त हासिल करती थी लेकिन इस बार उसकी जीत का अंतर साढ़े चार हजार मतों का ही रहा।
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