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भाजपा के लिए पूर्वांचल में चुनौती बनेगा सपा का यह दिग्गज नेता, अखिलेश यादव ने मैदान में उतारकर चल दिया बड़ा दांव

Lok Sabha Election तमाम कयासों को विराम देते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतार कर पत्ते खोल दिए। इससे साफ हो गया है कि यहां की लड़ाई कांटे की टक्कर की ओर बढ़ चली है। उपचुनाव में धर्मेंद्र से लगभग साढ़े आठ हजार से जीत करने वाले निरहुआ को भाजपा पहले ही मैदान में उतार चुकी है।

By sarvesh mishra Edited By: Abhishek Pandey Updated: Mon, 18 Mar 2024 11:34 AM (IST)
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धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारकर अखिलेश ने चल दिया बड़ा दांव
जागरण संवाददाता, आजमगढ़। तमाम कयासों को विराम देते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतार कर पत्ते खोल दिए। इससे साफ हो गया है कि यहां की लड़ाई कांटे की टक्कर की ओर बढ़ चली है। उपचुनाव में धर्मेंद्र से लगभग साढ़े आठ हजार से जीत करने वाले निरहुआ को भाजपा पहले ही मैदान में उतार चुकी है।

जहां भाजपा पर इसे बरकरार रखने की चुनौती है वहीं सपा पर उपचुनाव का बदला लेते हुए पूर्वांचल को साधने का दबाव होगा। बहरहाल, अब सबकी निगाहें बसपा की ओर लगी हैं कि वह किसे दावेदार बनाती है। कारण उपचुनाव में बसपा से लड़ने वाले गुड्डू जमाली सपा का न सिर्फ दामन थाम चुके हैं बल्कि एमएलसी भी बन चुके हैं।

आजमगढ़ से तय होगी पूर्वांचल की दिशा

आजमगढ़ को सपा का गढ़ कहा जाता है। पार्टी यहां से पूर्वांचल की दिशा तय करती है। ऐसे में पार्टी से सैफई परिवार के किसी सदस्य के चुनावी जंग में उतरने के कयास लगाए जा रहे थे। अखिलेश यादव और उनके चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव के नाम पर चर्चा चल रही थी। इस बीच समाजवादी पार्टी ने धमेंद्र यादव को प्रत्याशी घोषित कर तस्वीर साफ कर दिया।

मुलायम सिंह यादव की सरकार में वर्ष 2004 में सैफई परिवार के धर्मेद्र यादव पहली बार मैनपुरी से सांसद चुने गए थे। वर्ष 2007 में समाजवादी पार्टी सरकार से बाहर हो गई और बसपा की सरकार बन गई तो मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से चुनावी मैदान में उतर गए थे। इसके बाद धर्मेंद्र यादव को बदायूं भेज दिया गया था।

वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में बदायूं लोकसभा सीट से धर्मेंद्र यादव दूसरी बार सांसद चुने गए। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने बदायूं से जीत हासिल की। वर्ष 2019 में यहां से बीजेपी ने स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी डा. संघमित्रा मौर्य को चुनाव मैदान में उतारा और धर्मेंद्र यादव को हार का सामना करना पड़ा।

मोदी लहर में मुलायम सिंह यादव ने दर्ज की थी जीत

2014 में मोदी लहर में भी आजमगढ़ सीट पर नेता जी मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की। 2019 में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस सीट पर जीत दर्ज कर सपा के किले को बरकरार रखा। विधानसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव ने आजमगढ़ सीट को छोड़ दिया।

अखिलेश की छोड़ी गई इस सीट पर सपा ने धर्मेंद्र यादव को 2022 में आजमगढ़ लोकसभा उप चुनाव में उतारा, मगर इस चुनाव में धर्मेंद्र यादव को हार का सामान करना पड़ गया। बीजेपी से दिनेश लाल यादव ने लगभग आठ हजार वोटों से इस सीट पर जीत दर्ज की थी। तब बसपा से गुड्डू जमाली भी इस सीट पर चुनाव मैदान में थे।

ऐसा माना जाता है कि गुड्डू जमाली की ओर से मुस्लिम वोटों में जबरदस्त सेंधमारी किए जाने से ही धर्मंद्र यादव काे यहां से हार कर वापस जाना पड़ा। अब इस सीट को मजबूत करने के लिए समाजवादी पार्टी ने बसपा के गुड्डू जमाली को अपने पाले में कर लिया है। बसपा की ओर सबकी निगाहें हैं।

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