America से पूर्वजों की तलाश में आजमगढ़ पहुंचे डेविड और लीना, अपनों से मिल हुए भावुक
अमेरिका में रहने वाले डेविड कैनन और उनकी पत्नी लीना पूर्वजों की धरती की तलाश करते हुए बुधवार को आजमगढ़ की सगड़ी तहसील के कर्मनाथपट्टी गांव पहुंचे। डेविड ने कहा कि मेरे लिए हमारे पूर्वजों की धरती किसी तीर्थ से कम नहीं है।
By Anil MishraEdited By: MOHAMMAD AQIB KHANUpdated: Thu, 13 Apr 2023 12:42 AM (IST)
आजमगढ़, जागरण संवाददाता: सच्चे मन से इंसान चाह ले तो वह क्या नहीं कर सकता। कोशिशें कामयाबी की ओर ले ही जाती हैं। ऐसी ही कहानी है अमेरिका में रहने वाले डेविड कैनन और उनकी पत्नी लीना की। डेविड बीते कई वर्षों से अपने पूर्वजों से मिलने का प्रयास कर रहे थे। आखिरकार उनका प्रयास रंग लाया।
पूर्वजों की धरती की तलाश करते हुए बुधवार को सगड़ी तहसील के कर्मनाथपट्टी गांव पहुंचे डेविड अपने परिवार के रविंद्र मौर्य, प्रहलाद मौर्य व अन्य से मिलकर भावुक हो गए। उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। करीब आधा घंटा रहकर चाय-पानी करने के साथ अमेरिका रह रहे अपने पिता डेविड रोस्टेड सुपरसेंट और मां मार्लिन से बात कराई।
डेविड ने कहा कि मेरे लिए हमारे पूर्वजों की धरती किसी तीर्थ से कम नहीं है। परिवार के लोगों ने डेविड और लीना का फूल-माला से स्वागत किया। दोनों को देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ लग गई। डेविड ने सभी का अभिवादन किया। उनके सहयोगी ट्रांसलेट कर कर रहे थे।
डेविड कैनन व लीना अपने सहयोगी जयपुर निवासी आयुष और शहर के हीरापट्टी निवासी संजय सिंह के साथ सुबह 10 बजे रौनापार थाना गए। उपनिरीक्षक मधुसूदन चौरसिया के साथ कर्मनाथपट्टी पहुंचे। डेविड पुत्र डेविड रोस्टेड सुपरसेंट और उनके पिता रामप्रसाद और रामप्रसाद के पिता रामखेलावन को बताया जा रहा है। 1907 में कर्मनाथपट्टी के रामखेलावन मौर्य पुत्र टहल गिरमिटिया मजदूर के रूप में विदेश गए।
वह कोलकाता से त्रिनिदाद और टोबैगो में रहे, फिर अमेरिका गए। उनकी चौथी पीढ़ी के डेविड पत्नी लीना के साथ कर्मनाथ पट्टी गांव के प्रधान रामबचन यादव के घर दही-चूरा और पूड़ी सब्जी खाई। इसके बाद अमेरिका के लिए प्रस्थान कर गए।
राजस्व विभाग के दस्तावेज में रामखेलावन का मिला नाम
प्रधान रामबचन ने बताया कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका गए थे तो वहीं डेविड की माता से मुलाकात एनआरआइ के रूप में हुई थी। लेखपाल त्रिभुवन यादव ने बताया कि दो दिन से रामखेलावन मौर्य की जमीन और निवास की तलाश की जा रही थी। 1901 के दस्तावेज से इनका नाम मिला और अगल-बगल के नामों से मिलान किया गया तो सही पाया गया।
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