डीएम की बैठक में नहीं पहुंचे DPRO, हो गया एक्शन; बिजली विभाग के अधिकारी के प्रति भी जताई नाराजगी
UP News आजमगढ़ के जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने शनिवार को कलेक्ट्रेट सभागार में IGRS पोर्टल पर लंबित प्रकरणों की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान उन्होंने पाया कि कई विभागों में शिकायतों का निस्तारण समय सीमा के भीतर नहीं हो रहा है। डीएम ने नाराजगी व्यक्त करते हुए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे लंबित शिकायतों का गुणवत्तापूर्ण निस्तारण सुनिश्चित करें।
संवाद सहयोगी, आजमगढ़। डीएम नवनीत सिंह चहल ने शनिवार की देर शाम कलेक्ट्रेट सभागार में आइजीआरएस पोर्टल पर लंबित प्रकरणों (माह अक्टूबर) की समीक्षा की। शिकायतों के निस्तारण में एक्सईएन विद्युत, सिंचाई एवं जल संसाधन, डीपीआरओ, बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी, जिला कार्यक्रम अधिकारी के डिफाल्टर प्रकरणों की समीक्षा की गई। जिसमें एक्सईएन विद्युत के 47 प्रकरण समय सीमा के अंतर्गत निस्तारित न होने पर डीएम ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की।
एमडी विद्युत को पत्र लिखने के लिए अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व को निर्देश दिए। बैठक में जिला पंचायत राज अधिकारी के अनुपस्थित पाए जाने पर एक दिन का वेतन रोकने के निर्देश दिए।
शिकायतों की गई समीक्षा
इसी प्रकार तहसीलवार शिकायतों के निस्तारण में डिफाल्टर तहसीलों की समीक्षा की गई। जिलाधिकारी ने आप टेन विभागवार फीडबैक की स्थिति की जानकारी ली। जिसमें सीएमओ के यहां 27 असंतुष्ट फीडबैक होने पर स्वास्थ्य विभाग के आइजीआरएस पोर्टल के प्रभारी को निर्देश दिए कि 27 आवेदनों के असंतुष्ट फीडबैक को देखकर गुणवत्तायुक्त निस्तारण कराएं। उसकी रिपोर्ट अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।मुख्यमंत्री संदर्भ में लंबित प्रकरणों की समीक्षा में सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों एवं समस्त एसडीएम को निर्देश दिया कि अपने संबंधित आइजीआरएस पोर्टल की स्वयं मानीटरिंग करें। जो शिकायतें आइजीआरएस पोर्टल पर प्राप्त हो रही हैं, उसका निस्तारण समय सीमा के अंदर गुणवत्तायुक्त कराएं एवं शिकायतकर्ता से स्वयं बात कर उन्हें संतुष्ट भी करें। एडीएम प्रशासन राहुल विश्वकर्मा, एडीएम वित्त एवं राजस्व आजाद भगत सिंह, सीआरओ विनय कुमार गुप्ता, समस्त एसडीएम, तहसीलदार एवं संबंधित विभागों के अधिकारी रहे।
इनकी की भी समीक्षा में आवश्यक निर्देश
डीएम ने धारा-24 के अंदर लंबित प्रकरणों की समीक्षा में सभी एसडीएम को निर्देश दिए कि किसी भी दशा में 90 दिन से अधिक लंबित न हो। कानूनगो वलेखपाल की टीम बनाकर शेष लंबित वादों को प्रमुखता से गुणवत्तायुक्त निस्तारण कराएं। अपने संबंधित तहसीलों में कितने केस पैमाइश के लंबित है, इसकी सूची बनाकर एडीएम वित्त एवं राजस्व को उपलब्ध कराएं।धारा-116, धारा-80 एवं धारा-34 के अंतर्गत लंबित प्रकरणों की समीक्षा में निर्देश दिए कि 45 दिन से ज्यादा लंबित न हो। धारा-34 में लंबित वादों का निस्तारण कर रिपोर्ट तैयार करते समय एक कालम अलग से बनाएं, जिसमें लिखें कि वाद विवादित या अविवादित है। पांच वर्ष से अधिक लंबित वादों के निस्तारण, स्वामित्व योजना में अंश निर्धारण एवं आनलाइन खसरा की फीडिंग की समीक्षा की गई। गुणवत्तायुक्त निस्तारण के निर्देश दिए।
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