UPPCL: यूपी के इस जिले में गहराया बिजली संकट, 25 दिन से बत्ती गुल; स्कूल और 150 घरों में छाया अंधेरा
इन दिनों उत्तर प्रदेश में पावर कट एक बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। ग्रामीण इलाकों का हाल तो बेहद ही बुरा है। ऊपर से अधिकारी भी ग्रामीणों की समस्या को अनसुनी कर रहे हैं। इसी क्रम में आजमगढ़ के इस गांव में 25 दिन से ट्रांसफार्मर जला हुआ है। ग्रामीणों ने अधिकारियों से गुहार भी लगाई लेकिन उसे अनसुना कर दिया गया।
संवाद सूत्र, जहानागंज (आजमगढ़)। विद्युत उपकेंद्र जहानागंज के समीप श्रीराम राष्ट्रीय इंटर कॉलेज और गोड़सर गांव सहित आसपास के घरों में बिजली आपूर्ति क लिए लगा 25 केवीए का ट्रांसफार्मर 25 दिन से जला है। जिसे शिकायत के बाद भी अब तक नहीं बदला जा सका। इससे स्कूल में कंप्यूटर क शिक्षा प्रभावित है, वहीं लगभग 150 घरों की बत्ती गुल है।
विद्युत उपकेंद्र के बाहर 25 केवीए का ट्रांसफार्मर पांच अगस्त को जल गया था। दबाव बनाने पर उपकेंद्र के जेई छोटे लाल यादव ने नौ अगस्त को शिकायत दर्ज की।
शिकायत के बाद भी नहीं हुआ समाधान
शिकायत के बाद भी वर्कशाप के अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया। श्रीराम राष्ट्रीय इंटर कॉलेज में करीब 2500 बच्चे पढ़ते हैं। सीसीटीवी कैमरा और कंप्यूटर शिक्षा के लिए बिजली आपूर्ति आवश्यक है। लेकिन सारा काम ठप है।गोडसर एवं आसपास के लगभग 150 घर भी प्रभावित हैं। एक्सईएन वर्कशाप अरविंद सिंह ने गैर जिम्मेदाराना ढंग से अनभिज्ञता जाहिर की। कहा कि इस तरह का मामला मेरे संज्ञान में नहीं है।
अधिकारियों के जवाब से लोगों में आक्रोश
वर्कशाप के एसडीओ शत्रुघन यादव ने कहा कि कंप्लेंट मिला है। प्रयास है कि जल्द ट्रांसफार्मर लग जाए। इन अधिकारियों के जवाब से लोगों में आक्रोश है। कहना है कि ऐसे ही अधिकारी योजनाओं को फेल कर सरकार को बदनाम कर रहे हैं।यह भी पढ़ें- यूपी में बुरे फंसे कई बिजली चोर, कटिया लगाकर कर रहे थे चोरी; विजिलेंस की छापेमारी में खुल गई पोल
विद्यालय के प्रधानाचार्य मनीष मौर्य, शिक्षक अशोकानंंद सिंह,कमलेश राय,अशोक यादव, दीपक यादव,अमित कौशल, प्रदीप गुप्ता, सुधीर उपाध्याय ने विद्युत उपकेंद्र के जेई छोटे लाल यादव को फोन कर ट्रांसफार्मर तत्काल लगवाने की मांग की।यह भी कहा कि अब यदि दो दिन के अंदर ट्रांसफार्मर नहीं लगाया गया तो विद्यालय के शिक्षक व छात्र विद्युत उपकेंद्र के समक्ष धरना देंगे। जिससे उच्चाधिकारी को पता चल सके कि विभागीय अधिकारी कितने जिम्मेदार हैं।
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