Rain in UP: यूपी में कम बारिश से धान की फसल पर आया संकट, चिंता में डूबे किसानों को बस इंद्रदेव से आस
अज़मगढ़ में कम बारिश से धान की फसल को खतरा पैदा हो गया है। औसत से कम बारिश के कारण किसान चिंतित हैं। धान की फसल में बाली आ रही है लेकिन बारिश कम होने से कई क्षेत्रों में पीली पड़ने लगी है। किसान निजी संसाधनों से सिंचाई कर रहे हैं लेकिन तेज धूप से दो दिन बाद ही नमी चली जा रही है।
संवाद सहयोगी, जागरण, आजमगढ़। खरीफ की मुख्य फसल धान की अच्छी उपज के लिए पानी की आवश्यकता है लेकिन औसत से कम हुई बारिश से किसानों की चिंता बढ़ गई है। इसी तरह तापमान बढ़ता रहा और बारिश नहीं हुई तो धान के उत्पादन पर असर पड़ेगा।
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस बार 2.10 हेक्टेयर में धान की खेती गई है। जिससे 52.50 लाख क्विंटल उत्पादन का लक्ष्य है लेकिन रोपाई की समय से ही मानसून साथ नहीं दे रहा है। धान की फसल में अब बाली आ रही है लेकिन बारिश कम होने से कई क्षेत्रों में पीली पड़ने लगी है।
जून में 141.40, जुलाई में 245.90, अगस्त में 251.40 और सितंबर में 259.60 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी लेकिन इस बार सितंबर में औसत से 202.54 मिलीमीटर बारिश कम हुई है। अगस्त में बारिश में कुछ रफ्तार पकड़ी लेकिन सितंबर में धीमी हो गई।
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एक से 21 सितंबर तक 58.06 मिलीमीटर बारिश हुई है। ऐसे में किसान निजी संसाधनाें से सिंचाई कर रहे हैं लेकिन तेज धूप से दो दिन बाद ही नमी चली जा रही है। ऐसे में धान की फसल को बचाना मुश्किल हो गया है।
तीन वर्ष के बारिश का आंकड़ा(मिलीमीटर में)
वर्ष | 2022 | 2023 | 2024 |
जून | 30.8 | 48.2 | 10.2 |
जुलाई | 127.19 | 134.82 | 174.95 |
अगस्त | 81.62 | 91.78 | 203.55 |
सितंबर | 175.33 | 71.2 | 58.06 |
लेदौरा केवीके अध्यक्ष डा. एलएसी वर्मा ने कहा कि इस समय धान की फसल में फूल आ रहा है। धीरे-धीरे बाली भी निकल रही है। धूप के कारण ताममान में वृद्धि हो रही है। बारिश नहीं हो रही है। ऐसी स्थिति में खेत में नमी बनाए रखना बहुत ही आवश्यक है। यदि रोग के लक्षण दिखे तो कृषि विज्ञानी से सलाह अवश्य लें।
फसल सूखती देख किसानों की माथे पर चिंता के बल
धान की फसल को सूखते हुए देखकर किसानों के उनके माथे पर बल पड़ गया है। खरीफ की फसल धान प्रभावित हो रही है। धूप से पत्तियां पीले पड़ रही हैं। ऐसे में किसान टकटकी लगाए हैं। प्रकृति साथ नहीं दे रहा है को बिजली आपूर्ति की स्थिति किसानोंं के लिए ठीक नहीं है। ट्यूबवेल का पानी अभी पहुंचा नहीं की बिजली कट गई।
किसानों की परेशानी, उन्हीं की जुबानी
अहिरौला गूजरपार रामकृपाल ने कहा कि धान की फसल सूखा के भेंट चढ़ने वाली है। हमारी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।फसल ही किसान का धन है। यही परिवार और पशु के लिए आहार का स्रोत है।
मुईनाबाद निवासी राजू यादव ने कहा कि बिजली और प्रकृति दोनों इस समय साथ नहीं दे रहे हैं। बेसहारा पशु भी परेशानी के सबब बने हैं। किसान अपनी फसल को बचाने के रखवाली करें या फिर सिंचाई का जुगाड़ करें।
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मोहब्बतपुर निवासी जयप्रकाश ने कहा कि धान के लिए पानी ही संजीवनी है, जिसके अभाव में पत्तियां धूप से पीली पड़ रही है। यही हाल रहा तो फसल रोग से नष्ट हो जाएगी। किसान की लागत भी नहीं वसूल हो पाएगी।
नूरपुर सरायहाजी निवासी ओमप्रकाश विश्वकर्मा ने कहा कि बारिश न होने से धान की फसल सूखने लगी है। पत्तियां पीली पड़ रहीं हैं। रोग भी बढ़ने की अाशंका बढ़ गई है। निजी संशाधनों से सिंचाई करना बहुत ही खर्चीला हो गया है।