ईमानदारी एवं सादगी के प्रतीक थे पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव, आजमगढ़ से रहा है खास रिश्ता
आजमगढ़ जिले के निवासी 22 नवंबर की तिथि काे कभी भूल नहीं पाते हैं। अपनी ईमानदारी और सादगी के प्रतीक पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव का आजमगढ़ से खास रिश्ता रहा है। उनका जीवन दूसरों के लिए सियासी प्रेरणा से कम नहीं रहा।
By Rakesh SrivastavaEdited By: Abhishek sharmaUpdated: Mon, 21 Nov 2022 03:00 PM (IST)
आजमगढ़, जागरण संवाददाता। रामनरेश यादव सियासी देश और प्रदेश की दुनिया में चर्चा में हमेशा रहे हैं। आजमगढ़ जिले के निवासी छठवीं लोकसभा में आजमगढ़ के सांसद भी रहे हैं। वर्ष 1977 से 1979 तक यूपी के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। वह इसके बाद एमपी के गवर्नर, राज्यसभा सदस्य और निधैलीकला के साथ ही शिकोहाबाद फूलपुर के वह विधायक भी रहे हैं।
22 नवंबर की तिथि काे जनपदवासी कभी भूल नहीं पाते हैं। दरअसल, इसी दिन फूलपुर क्षेत्र के आंधीपुर गांव निवासी रामनरेश यादव ने पीजीआइ ने अंतिम सांस ली थी। रामनरेश यादव उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल, सांसद, राज्यसभा सदस्य विधायक रहते हुए अपने गृह जनपद आमगढ़ को देश में अलग पहचान दिलाए थे। उनकी पुण्यतिथि स्वजनके अलावा इलाके में कई जगहों पर मनाए जाने की तैयारी है।
स्वं. रामनरेश यादव का जन्म फूलपुर तहसील क्षेत्र के आंधीपुर गांव में एक साधारण किसान परिवार में एक जुलाई 1928 को हुआ था। इनके पिता मुंशी गया प्रसाद यादव प्राथमिक पाठशाला अंबारी में शिक्षक थे। रामनरेश की प्राथमिक शिक्षा प्राइमरी पाठशाला अंबारी, दसवीं बेस्ली इंटर कालेज और 12 वीं डीएबी काजेल वाराणसी से हुई। बीए, एमए एवं एलएलबी बीएचयू से किए। उसके बाद वाराणसी के एक कालेज में तीन साल तक प्रवक्ता रहे।
1953 से 1975 तक आजमगढ़ में वकालत करने संग जनता पार्टी से भी जुड़े रहे और 1977 में आजमगढ़ से सांसद बने। 23 जून 1977 को यूपी के मुख्यमंत्री बने तो लोकसभा से इस्तीफा दे एटा जिले की निधौलीकला सीट से विधायक चुने गए। उनका कार्यकाल काफी उपलब्धियों वाला भी माना जाता है। उन्होंने काम के बदले अनाज योजना, साढ़े तीन एकड़ जमीन की लगान माफ, किेसानों को भूमिधर बनाना, अनुसूचित जाति के लोगों को बगैर जमानत 5000 ऋण सुविधा, खाद पर 50 फीसद की सब्सिडी, पिछड़े वर्ग के छात्रों को हाईस्कूल से एमए तक की शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति सहित तमाम योजनाओं का संचालन किया। इसके बाद कांग्रेस से जुड़े तो 26 अगस्त 1911 को मध्य प्रदेश के गर्वनर बने। 22 नवंबर 2016 को 89 वर्ष की उम्र में पीजीआइ लखनऊ में इलाज के दौरान आपने अंतिम सांस ली।
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