शिक्षकों के मसीहा थे पूर्व एमएलसी पंचानन राय
(आजमगढ़) शिक्षकों को शून्य से शिखर तक की उपलब्धियां अपने संघर्षों की बदौलत अर्जित कराने वाले शिक्षक मसीहा स्व. पंचानन का शिक्षा जगत में योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उनका संघर्षों भरा जीवन हर किसी के लिए सदा प्रेरणास्त्रोत रहेगा। 13 साल पहले शिक्षक दिवस पर उनके निधन ने शिक्षा महकमे को झकझोर कर रख दिया। पंचानन राय का स्वभाव और कुशल व्यक्तित्व की कोई सानी नहीं थी। सन 1966 में टाउन इंटर कॉलेज में अध्यापक नियुक्त हुए थे।
जासं, जहानागंज (आजमगढ़) : शिक्षकों को शून्य से शिखर तक की उपलब्धियां अर्जित कराने वाले पंचानन का शिक्षा जगत में योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। संघर्षो से भरा उनका जीवन हर किसी के लिए सदा प्रेरणास्त्रोत रहेगा। 13 साल पहले शिक्षक दिवस पर उनके निधन ने शिक्षा जगत को झकझोर कर रख दिया। पंचानन राय का स्वभाव और कुशल व्यक्तित्व का कोई सानी नहीं था। 1966 में टाउन इंटर कॉलेज में अध्यापक नियुक्त हुए थे। उन्होंने देखा शिक्षकों से मानदेय पर हस्ताक्षर कराया जा रहा था लेकिन उन्हें दिया कुछ और जा रहा था। उन्होंने तुरंत प्रबंधक के विरुद्ध बगावत कर दिया। नतीजा, उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। इसके तुरंत बाद 1967 में वह मालटारी इंटर कॉलेज में प्रवक्ता पद पर नियुक्त हुए लेकिन प्रबंधकीय तंत्र से विरोध जारी रहा। 1971 में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री निर्वाचित हुए और शिक्षकों के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे। 1968 में आजमगढ़ में सामूहिक रूप से इन्होंने आंदोलन किया। 1977 में इनके तेवर और संघर्षों को देखते हुए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा ने प्रदेश मंत्री निर्वाचित किया तथा 1982 में प्रादेशीय महामंत्री बनाए गए। प्रादेशिक महामंत्री होने के तुरंत बाद इन्होंने संघर्ष को और तेज किया। पांच सितंबर 1998 को सरकार द्वारा इन्हें गिरफ्तार कर विभिन्न धाराओं में जेल भेजने की साजिश की जा रही थी। इसकी भनक लगते ही उन्होंने खुलेआम दिन में ही तत्कालीन मुख्यमंत्री का पुतला फूंका एवं सरकार के विरुद्ध नारा लगाते हुए दिन में ही अपने 19 शिक्षक साथियों के साथ गिरफ्तारी दी। 1980 में सगड़ी विधानसभा से कांग्रेस पार्टी से विधायक निर्वाचित हुए और 1996 में गोरखपुर फैजाबाद शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से भारी मतों से शिक्षक विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद 2002 में पुन: शिक्षक विधायक हुए। इनके संघर्षों की बदौलत अध्यापकों के वेतन का भुगतान सुनिश्चित हुआ एवं प्रबंधकों द्वारा किया जा रहा शोषण पूर्ण रूप से समाप्त हुआ। शिक्षक आज भी पंचानन को अपना मसीहा मानते हैं। अचानक वर्ष 2007 में पांच सितंबर को एक सड़क दुर्घटना में वह काल कवलित हो गए। ऐसे शिक्षक नेता की पुण्यतिथि पर पांच सितंबर को उनके आवास हरिओध नगर में आयोजित की गई है।