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यूपी में एक शिक्षक की अनूठी पहल, 100-100 रुपये जुटाकर संकटकाल में की 15 करोड़ रुपये की सहायता

Good News दिवंगत शिक्षक अजय गुप्ता की पत्नी सितारा गुप्ता ने बताया कि पति के निधन के बाद एक सप्ताह के भीतर टीएससीटी से मुझे करीब 17 लाख रुपये की मदद मिल गई। मुश्किल वक्त में मिली इस धनराशि से मेरे तीनों बच्चों की पढ़ाई निरंतर जारी है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Wed, 14 Sep 2022 06:00 PM (IST)
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Good News: दिवंगत शिक्षक अजय गुप्ता की पत्नी सितारा गुप्ता, टीएससीटी के सह संयोजक अरविंद राय (सबसे दाएं)। जागरण

राकेश श्रीवास्तव, आजमगढ़ : Good News उत्तर प्रदेश में सरकारी शिक्षकों की संस्था टीचर सेल्फ केयर टीम (टीएससीटी) बूंद-बूंद से घड़ा भरने की कहावत को चरितार्थ कर रही है। सहकार और सरोकार के साथ स्वावलंबन की भावना से प्रेरित यह पहल संकट के समय शिक्षकों के परिवार का सहारा बन रही है। ऐसा ही एक परिवार है आजमगढ़ के दिवंगत शिक्षक अजय गुप्ता का जिसे टीएससीटी से कठिन समय में 17 लाख रुपये की सहायता मिली। इस राशि ने परिवार को इस मुश्किल वक्त से उबरने में मदद की है। भरण-पोषण के साथ अजय गुप्ता के बच्चों की पढ़ाई भी जारी है।

अब तक 83 परिवारों की सहायता

करीब दो वर्ष पुरानी बात है। पूरा विश्व कोरोना महामारी के रूप में सदी की सबसे बड़ी आपदा का सामना कर रहा था। हर इंसान का जीवन अनिश्चितताओं से घिरा था। ऐसे में प्रयागराज के प्राइमरी स्कूल के शिक्षक विवेकानंद के सोच ने एक असाधारण पहल की नींव रखी। सिर्फ चार मित्रों से शुरू हुई टीएससीटी आज उत्तर प्रदेश में 70,000 से अधिक शिक्षकों का समूह बन चुकी है। 100-100 रुपये जोड़कर अभी तक ऐसे 83 शिक्षकों के आश्रितों को 15 करोड़ रुपये से ज्यादा की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है, जिनका असमय निधन हो गया। विवेकानंद ने बिना किसी सरकारी अंशदान के टीएससीटी संस्था बनाकर शिक्षक परिवारों की मदद का यह अप्रतिम सद्प्रयास किया है। टीएससीटी जैसी संस्था बनाने के पीछे का सोच प्रेरक भी है और छोटे प्रयासों से बड़े कार्य करने की भावना को सशक्त करने वाला भी।

16 शिक्षकों के लिए की थी मदद, खुद के परिवार को मिले 17 लाख

आजमगढ़ के सरावां के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक रहे अजय गुप्ता शुरू से ही टीएससीटी जुड़ गए थे। 10 जुलाई 2021 को उन्होंने आखिरी बार किसी दिवंगत शिक्षक के आश्रितों की मदद के लिए 100 रुपये टीएससीटी को दान किए। संगठन के सदस्य के रूप में यह उनकी 16वीं मदद थी। 18 जुलाई 2021 को पेट में संक्रमण के कारण अजय दुनिया छोड़कर चले गए। पीछे परिवार में एक बेटी, दो बेटे और पत्नी सितारा देवी रह गईं। तीनों बच्चे अभी पढ़ रहे हैं, लिहाजा परिवार के सामने बड़ा संकट था। ऐसे में मानव संपदा पोर्टल के जरिये टीएससीटी की टीम अजय के परिवार तक पहुंची और 17,000 शिक्षकों के भेजे 100-100 रुपये से जुटी 17 लाख की पूंजी सितारा गुप्ता के बैंक खाते में पहुंचा दी। इस मुश्किल घड़ी में बच्चों की पढ़ाई के लिए इन पैसों का महत्व सितारा देवी से बेहतर भला कौन जानेगा।

टीएससीटी को जानिए

कोरोना महामारी आने के करीब चार महीने बाद 30 जुलाई 2020 को टीएससीटी की नींव वेबसाइट (www.tsctup.com) के रूप में पड़ी। इसका उद्देश्य शिक्षक का असमय निधन होने पर 100-100 रुपये का सहयोग देना है जो आश्रित के खाते में जमा किए जाते हैं। आजमगढ़ में 1,431 शिक्षक टीएससीटी के सदस्य हैं। पूरे प्रदेश में यह संख्या करीब 70,000 हो चुकी है। हालांकि अभी औसतन 22,000 शिक्षक ही मददगार के रूप में सक्रिय भागीदारी निभाते हैं। संस्था के जनपद और ब्लाक वार पदाधिकारी भी बनाए गए हैं, जो शिक्षक के निधन पर विधिक रूप से आश्रित का पता लगाकर उनके बैंक खाते का विवरण प्रांतीय टीम तक पहुंचाते हैं, जिससे मदद की जा सके। विवेकानंद टीएससीटी के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। सुधेश पटेल महामंत्री, महेंद्र कुमार वर्मा प्रबंधक और संजीव कुमार रजत कोषाध्यक्ष है। सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े सात लोगों की टीम टीएससीटी की वेबसाइट का संचालन करती है।

संस्था से यूं जुड़ सकते हैं शिक्षक

टीएससीटी के सह संयोजक अरविंद राय बताते हैं कि प्राथमिक और उच्च प्राथमिक कक्षाओं के शिक्षक संस्था की वेबसाइट पर पंजीकरण करा सकते हैं। पंजीकृत होते ही उनका नाम, ब्लाक और जिला टीएससीटी की टीम को दिखाई देने लगेगा। इसके बाद उस जिले की टीम एक लिंक उपलब्ध कराएगी, जिसके जरिये शिक्षक संस्था के टेलीग्राम ग्रुप से जुड़ जाएंगे। इस ग्रुप की गतिविधियों पर निगाह रखना जरूरी होता है, क्योंकि सहयोग करने वाले शिक्षक को ही मदद देने की व्यवस्था संस्था ने की है। सदस्यता के लिए 50 रुपये वार्षिक शुल्क है। संस्था से जुड़ी किसी समस्या या शंका के समाधान व जानकारी के लिए 7007087337 पर फोन या वाट्सएप किया जा सकता है।

टीएससीटी के संस्थापक विवेकानंद ने बताया कि शिक्षक के साथ अनहोनी हो जाए तो पेंशन आदि न होने से परिवार को बड़ी मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। कोरोना काल में जीवन की अनिश्चितता और क्षणभंगुरता ने डरा दिया। एक शिक्षक के रूप में अपने परिवार की प्रति मेरी चिंता से यह विचार पैदा हुआ और शुरुआती उधेड़बुन के बाद टीएससीटी की नींव पड़ी। सोसाइटी बनाकर रजिस्ट्रेशन कराया, जिससे लगभग 70,000 शिक्षक जुड़े हैं। हालांकि पूरे प्रदेश में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की संख्या लगभग छह लाख है। विश्वास है कि इस पवि‍त्र विचार से सभी शिक्षक एक दूसरे से जुड़ेंगे और तब सिर्फ 10 रुपये का सहयोग एक साथी के परिवार के लिए 60 लाख रुपये की मदद बन जाएगा।

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