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Magh Purnima पर श्रद्धालुओं ने नदी व सरोवरों में लगाई आस्था की डुबकी, दान के बाद मंदिरों में किया दर्शन; सुख समृद्धि की कामना

Magh Purnima 2024 माघी पूर्णिमा पर भक्तों ने पवित्र सरोवर में स्नान कर बाबा के दरबार में संकटों से मुक्ति व परिवार की खुशहाली के लिए मन्नत मांगी। भैरव धाम स्थित पवित्र सरोवर में स्नान कर श्रद्धालुओं ने बाबा के चरणों में माला फूल बतासा अगरबत्ती नारियल चुनरी व काली मिर्च की बोरियां चढ़ाईं। परिसर में लगे मेले में सजी सौंदर्य प्रसाधन की दुकानों पर महिलाओं ने जमकर खरीदारी की।

By Anil Mishra Edited By: riya.pandey Updated: Sat, 24 Feb 2024 02:52 PM (IST)
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माघी पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने नदी व सरोवरों में लगाई आस्था की डुबकी

संवाद सूत्र, महराजगंज (आजमगढ़)। Magh Purnima 2024: माघी पूर्णिमा के अवसर पर शनिवार को श्रद्धालुओं ने नदी व सरावरों में आस्था की डुबकी लगाई और दान-पुण्य किया।

तमसा-मंजूषा के संगम पर दुर्वासा धाम, भैरवधाम स्थित भैरव सरोवर, रानीकीसराय स्थित अवंतिकापुरी धाम स्थित 84 बीघा सरोवर और मेंहनगर के महामंडेश्वर धाम स्थित शिव सरोवर में सुबह से ही स्नान करने के लिए श्रद्धालु पहुंच गए थे। स्नान के बाद मंदिरों में दर्शन-पूजन किया और परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की।

श्रद्धालुओं ने बाबा के चरणों में टेका मत्था

बाबा भैरव धाम स्थित पवित्र सरोवर में स्नान कर श्रद्धालुओं ने बाबा के चरणों में माला, फूल, बतासा, अगरबत्ती, नारियल चुनरी व काली मिर्च की बोरियां चढ़ाईं। मत्था टेका और परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की। बाबा के भक्तों को कभी खाली हाथ नहीं लौटना पड़ता है। हर मन्नत पूरी होती हैं और संकटों से मुक्ति मिलती है। कुछ ऐसी ही आस्था और विश्वास के साथ प्रतिदिन काफी संख्या में लोग भोर में ही सरोवर में स्नान कर बाबा के चरणों में शीश नवाते हुए आरती में शामिल होते हैं।

परिवार की खुशहाली के लिए मांगी मन्नतें

मंगलवार व पूर्णिमा पर स्थानीय के साथ-साथ दूरदराज से आने वाले भक्तों की काफी भीड़ रहती है और मंदिर परिसर में मेला लगा रहता है। माघी पूर्णिमा पर भक्तों ने पवित्र सरोवर में स्नान कर बाबा के दरबार में संकटों से मुक्ति व परिवार की खुशहाली के लिए मन्नत मांगी।

परिसर में लगे मेले में सजी सौंदर्य प्रसाधन की दुकानों पर महिलाओं ने जमकर खरीदारी की। बच्चों ने चटपटे व्यंजन व मिठाई का लुफ्त उठाया तो बड़े बुजुर्गों ने खेती-किसानी व गृहस्थी से जुड़े हंसिया, खुरपा, कुदाल, फावड़ा, पनिहा आदि सामानों की खरीदारी की।

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