आजमगढ़ के निजामाबाद में किष्किंधा पर्वत पर ध्वज लगाने को लेकर दो वर्गों में तनाव, सुरक्षा बल तैनात
आजमगढ़ जिले के निजामाबाद में गंगा- जमुनी तहजीब की मिसाल माना जाने वाला निजामाबाद कस्बे में अबकी बार दाग लगाने की पूरी कोशिश का मामला सामने आने के बाद पुलिस और प्रशासन को आखिरकार हस्तक्षेप करना पड़ा है।
By Rakesh SrivastavaEdited By: Abhishek sharmaUpdated: Tue, 04 Oct 2022 09:52 AM (IST)
आजमगढ़, जागरण संवाददाता। निजामाबाद की राम लीला में इस बार दो वर्गों के आमने सामने आ जाने की वजह से पुलिस और प्रशासन को आपसी मतभेद दूर करने के लिए सामने आना पड़ा। सूचना मिलते ही पुलिस के हाथ- पांव फूलने लगे तो मौके पर फोर्स तैनात करनी पड़ी। वहीं दोनों ही पक्षों में आपस में समझौते का प्रयास भी नाकाम हो गया तो इस दौरान एक पक्ष लगातार जयकारा लगाता रहा। इससे रात में काफी देर तक मौके पर तनाव कायम रहने के बाद सुरक्षा बलों के जिम्मे आयोजन कर दिया गया।
निजामाबाद आजमगढ़ की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल रही है। निजामाबाद कस्बे में अबकी दाग लगाने वाले लोग खुलकर सामने आ गए। परंपरा के अनुसार किष्किंदा पर्वत रूपी कुंए पर ध्वज लगा तो एक पक्ष विरोध में आ खड़ा हुआ। इसे लेकर दोनों पक्षों में तनाव व्याप्त हो गया। इसकी सूचना मिली, तो पुलिस के हाथ-पांव फूलने लगे। मौके पर पुलिस फोर्स तैनात थी और देर रात तक समझौते का प्रयास काम नहीं आ सका था।
रोज की भांति सोमवार को भी कस्बे में परंपरागत तरीके से रामलीला का मंचन हो रहा था। किष्किंधा पर्वत पर बाली और सुग्रीव युद्ध का मंचन चल रहा था कि इसी बीच किष्किंधा पर्वत रूपी कुएं पर ध्वज लगाने से बगल में बसा दूसरे पक्ष का एक परिवार नाराज हो गया और विरोध जताने लगा।रामलीला समिति के लोगों ने कहा कि विजयादशमी तक ही यह ध्वज रहेगा, लेकिन वह लोग किसी भी कीमत पर भगवा रंग के ध्वज को मानने को तैयार नहीं हुए। इस पर दोनों तरफ से तनाव बढ़ना शुरू हो गया। सूचना पर उप जिलाधिकारी रवि कुमार, क्षेत्राधिकारी सौम्या सिंह तथा कई थानों की फोर्स मौके पर पहुंच गई। इस बीच प्रशासन की मध्यस्थता में स्थानीय लोगों ने समझौता का काफी प्रयास किया, लेकिन दोनों पक्षों में से कोई भी मानने को तैयार नहीं था।
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