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'पैसे लेकर आने वाले...', अखिलेश की जनसभा में हंगामे पर क्या बोले PM Modi? अब होगा ताबड़तोड़ एक्शन

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की जनसभाओं में हो रहे उपद्रव को लेकर सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। सपा हंगामे को युवाओं का उत्साह व भाजपा के प्रति नाराजगी बता रही है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सपा के आचरण पर सवाल उठा रहे हैं। मोदी ने कहा कि जनसभाओं में पैसे लेकर आने वाले हंगामा ही करेंगे।

By Sudhir Tiwari Edited By: Aysha Sheikh Updated: Sat, 25 May 2024 11:49 AM (IST)
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'पैसे लेकर आने वाले...', अखिलेश की जनसभा में हंगामे पर क्या बोले PM Modi? अब होगा ताबड़तोड़ एक्शन

जागरण संवाददाता, आजमगढ़। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की जनसभाओं में हो रहे उपद्रव को लेकर सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। सपा हंगामे को युवाओं का उत्साह व भाजपा के प्रति नाराजगी बता रही है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सपा के आचरण पर सवाल उठा रहे हैं। मोदी ने कहा कि जनसभाओं में पैसे लेकर आने वाले हंगामा ही करेंगे।

आजमगढ़ में जनसभा में हुए हंगामे और उपद्रव को पुलिस प्रशासन गंभीरता से लिया है। पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य ने कहा कि सरायमीर में अखिलेश यादव की जनसभा में हुए उपद्रव को लेकर अज्ञात लोगं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।

लालगंज लोकसभा के सरायमीर के खरेवां मोड़ पर बीते 21 मई को जनसभा में हुए हंगामे और बवाल के मामले में पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। मौके से वीडियो आदि को साक्ष्य के रूप में एकत्रित किया जा रहा है। हालांकि इसके अगले दिन सगड़ी और बैठोली में हुई जनसभाओं में हुए हंगामे में अभी कोई शिकायत नहीं मिलने के कारण कार्रवाई नहीं हो रही है।

अखिलेश भले ही अपनी जनसभाओं में उपद्रव का ठीकरा भाजपा और सुरक्षा व्यवस्था पर फोड़ रहे हों, लेकिन लोगों को उनकी बातों पर सहज भरोसा नहीं हो रहा। खरेवां मोड़ की जनसभा में अखिलेश के मंच पर आने और माल्यार्पण आदि होने तक सब सामान्य था। इसके बाद स्टेज की दाईं तरफ के कलाकारों ने जैसे ही सपा का प्रचार गीत 'मेरी जान थे मुलायम, मेरी शान थे मुलायम...' गाना शुरू किया, अतरौलिया विधायक डा. संग्राम यादव मंच पर ताली बजाते हुए न सिर्फ थिरकने लगे, बल्कि भीड़ को उकसाते भी दिखे।

उन्हें देक मंच पर उपस्थित अन्य लोग भी ताली वगैरा बजाने लगे। ऐसे में कार्यकर्ता बेकाबू होने लगे और मंच की ओर बढ़े। पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश की तो कार्यकर्ता उग्र हो गए। इसके अगले दिन 22 मई को बिलरियागंज व बैठोली बाईपास पर आयोजित सभाओं में भी गीत बजने के बाद ही बवाल शुरू हुआ। ऐसी स्थिति न सिर्फ जनता और कार्यकर्ताओं, पार्टी के नेताओं के लिए भी खतरनाक सिद्ध हो सकती है।

सपा के निवर्तमान जिलाध्यक्ष हवलदार यादव और कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रवीण सिंह ने हंगामे को जिस तरह भाजपा के प्रति आक्रोश और अखिलेश के प्रति दीवानगी बताया, यह भी किसी के गले नहीं उतर रहा। सवाल उठता है कि अखिलेश के मुख्यमंत्री रहतने ऐसी दीवानगी क्यों नहीं दिखी? तब भी सभाएं होती थीं, लेकिन ऐसा हंगामा तो नहीं दिखता था। यहां तक कि इस लोकसभा चुनाव के शुरुआती चरणों में भी अखिलेश की सभा में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला।

भाजपा और सपा की सभाओं में अंतर 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 16 मई को निजामाबाद के गंधुवई में संबोधन से पहले कार्यकर्ताओं से हाथों में पकड़े बैनर नीचे रखवा दिए तो वीडियो बना रहीं दो महिलाओं को यह कहकर बैठने का आग्रह किया कि 'बहन जी, आप लोगों की वजह से औरों को दिक्कत हो रही है।' अखिलेश की रवैया इससे बिल्कुल उलट था। हंगामे के बाद भाषण देते समय सामने टेंट पर चढ़े लोगों को नीचे उतरने के बजाय अखिलेश का यह कहना कि चार लोग तो ठीक है, सात होते तो नीचे आ जाते, बिल्कुल उचित नहीं कहा जा सकता।