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बदायूं में झोलाछापों के इस पैतरे से परेशान स्वास्थ्य विभाग, नाम और स्थान बदलकर खोल देते है नया अस्पताल

Badaun News बंदायू में झाेलाछाप के इस पैतरे से स्वास्थ्य विभाग परेशान हैं यहां झाेलाछाप नाम व स्थान बदलकर नया अस्पताल खाेल देते हैं। जिसके बाद फिर से वह अवैध रूप से अस्पताल संचालित करने लगते हैं।

By Ravi MishraEdited By: Updated: Fri, 11 Nov 2022 02:30 PM (IST)
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बदायूं में झोलाछापों के इस पैतरे से परेशान स्वास्थ्य विभाग, नाम और स्थान बदलकर खोल देते है नया अस्पताल

बदायूं, जागरण संवाददाता। Badaun News : बदायूं में झोलाछापों (Jholachap) पर कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग (Health Department Team) की टीम तैनात है, लेकिन अंकुश लगने के बजाय इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। वजह, जिन पर रोकथाम की जिम्मेदारी है वह सब कुछ जानकर अनजान बने हुए हैं।

शहर में तमाम लोग अवैध रूप से अस्पताल चला रहे हैं। इस पर प्रशासन ने कार्रवाई भी की है, लेकिन, उन संचालकों ने कुछ समय बाद फिर से नया नाम रखकर अवैध अस्पताल चलाना शुरू कर दिया है।

शहर के खेड़ा नवादा में चौकी के पास संचालित अवैध अस्पताल कार्रवाई के घेरे में है। ऐसे में संचालक ने सीएमओ कार्यालय में नया नाम से रजिस्ट्रेशन कराने की कोशिश की है। इस बार नए डाक्टर-स्टाफ (Doctor And Staff) के दस्तावेज लगाए हैं, क्योंकि पुराने डाक्टर-स्टाफ की विभाग को जानकारी है।

इसी मार्ग पर इस अस्पताल के अलावा दो-तीन और अवैध अस्पताल संचालित हैं। मगर, स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। खेड़ा नवादा अवैध अस्पतालों को लेकर बदनाम हो चुका है। अधिकांश अस्पतालों में यहां आए दिन प्रकरण होते रहे हैं।

एक अस्पताल संचालक पर पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई की तो उसने दूसरा अस्पताल बिल्सी में खुलवा दिया। बिल्सी में अस्पताल नाम बदलकर चल रहा है। शहर में करीब एक दर्जन अस्पताल पंजीकृत जरूरी हैं लेकिन वहां भी प्रसूताओं की जान से कम खिलवाड़ नहीं किया जा रहा है।

अस्पताल के बाहर लगे बोर्ड पर तो सर्जन डाक्टर का नाम लिख रखा है लेकिन हकीकत कुछ और है। आपरेशन डाक्टर नहीं टैक्नीशियन कर रहे हैं। कई बार ऐसे में प्रसूताओं की मौत हो चुकी है और हंगामा हो चुका है।

सरकारी दवाओं से चल रहे अवैध अस्पताल

शहर के खेड़ा नवादा बरेली रोड पर एक अस्पताल है। वहां कुछ महीने पहले सरकारी दवाएं पकड़ी गईं थी, जिसका जांच अधिकारी ने सीएमओ को वीडियो भी बनाकर दिया था। इतना ही नहीं महिला अस्पताल की मोहर लगीं थी लेकिन इसके बाद भी सीएमओ कार्रवाई नहीं कर पाए। जांच में यह भी पता चला था कि आयुर्वेदिक के डाक्टर हैं और एलोपैथिक का उपचार कर रहे हैं और आपरेशन भी कर रहे हैं।

कार्यालय से बाहर नहीं निकलते एसीएमओ

सीएमओ ने अवैध अस्पताल, झोलाछाप, लैब संचालकों को कार्रवाई के लिए हर तहसील स्तर पर एक-एक डाक्टर को जिम्मेदारी दे दी है। मगर शहर में एसीएमओ डा. प्रमोद कुमार को जिम्मेदारी दी है। दस महीने होने वाले हैं मगर उन्होंने किसी भी अस्पताल पर छापा नहीं मारा है। वह कार्यालय में बैठकर समय गुजारते हैं और माफियाओं से दिन भर सेटिंग करते हैं।

बदायूं के अस्पतालों की ज्यादा जानकारी मुझे नहीं है, सीएमओ से बात करते हैं। बिना पंजीकरण वाले अस्पतालों पर अभियोग पंजीकृत कराएं। बाकी सभी अस्पतालों का सत्यापन कराएं। एक डाक्टर दो से ज्यादा अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं तो एक अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कराएं। नवादा पर हम खुद किसी दिन विशेष अभियान के साथ छापामारी करेंगे। - डा. दीपक ओहरी, एडी बरेली