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Badaun Lok Sabha Result 2024: बदायूं सीट पर 5,01, 390 वोट पाकर बने सांसद, भाजपा को किया परास्त

Badaun Lok Sabha Result 2024 संसदीय सीट बदायूं पर बसपा ने अभी तक जीत तो दर्ज नहीं कर सकी है लेकिन चुनाव में अपना दमखम जरूर दिखाती आ रही है। बदायूं से स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित मौर्य 2019 में चुनाव जीतकर सांसद बनी थीं। सपा ने भी दो बार यहां प्रत्याशी बदले हैं। बदायूं की सीट पर सैफई परिवार के लिए भी साख बचाने की लड़ाई थी।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Tue, 04 Jun 2024 11:41 AM (IST)
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Badaun Lok Sabha Result: बदायूं में सपा और भाजपा के बीच सीधी टक्कर थी।
अभिषेक सक्सेना, ऑनलाइन डिजिटल डेस्क, बदायूं। Badaun Lok Sabha Result 2024: सपा ने बदायूं संसदीय सीट पर जीत दर्ज कर अपने गढ़ में दमदार वापसी की है। शिवपाल सिंह यादव के पुत्र आदित्य यादव 5,01,390 वोट पाकर चुनाव जीत गए हैं। भाजपा के दुर्विजय सिंह शाक्य 4,66,323 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे। जबकि बसपा के मुस्लिम खां 97,686 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे।

पिछले चुनाव में 26 साल बाद यहां भाजपा जीती थी, लेकिन पार्टी ज्यादा दिन तक सीट सहेज नहीं सकी। मौजूदा सांसद का टिकट काटकर क्षेत्रीय अध्यक्ष को चुनाव मैदान में उतारने का दांव फेल हो गया। जबकि राजनीति के मझे हुए खिलाड़ी शिवपाल सिंह यादव की रणनीति कारगर रही। वह अपने बेटे का राजनीतिक कैरियर बनाने में सफल रहे। मंडी समिति में सुबह आठ बजे मतगणना आरंभ हुई तो शुरूआती दौर में स्थिति अलग दिख रही थी। भाजपा और सपा प्रत्याशियों के मतों में ज्यादा अंतर नहीं आ रहा था, जबकि भाजपा के दुर्विजय सिंह शाक्य लगातार लीड लेकर चल रहे थे। लीड का अंतर घटता-बढ़ता रहा, लेकिन अपराह्न तीन बजे के बाद सपा प्रत्याशी आदित्य यादव की वापसी हुई तो इनकी लीड बढ़ती गई और आखिर में चुनाव जीत गए। गढ़ में वापसी के लिए सपा शुरूआती से ही अपनी रणनीति पर काम कर रही थी।

शिवपाल की रणनीति काम की

शिवपाल सिंह यादव ने यहां की जिम्मेदारी संभालते ही सबसे पहले अपनी ताकत यादव-मुस्लिम गठजोड़ को मजबूत किया। नाराज चल रहे सलीम इकबाल शेरवानी और आबिद रजा को मनाने के लिए अखिलेश यादव से भी उनकी मुलाकात कराई। सपा ने ज्यादा शोर-शराबा नहीं किया, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की दो जनसभाएं जरूर हुईं, लेकिन शिवपाल सिंह यादव खामोशी से उन्हीं स्थानों पर डेरा डाले रहे जहां से उनको बढ़त मिलने की उम्मीद थी। पहले धर्मेंद्र यादव का टिकट काटकर शिवपाल सिंह यादव को प्रत्याशी बनाना और फिर इनकी जगह आदित्य यादव को उम्मीदवार बनाना भी सपा की रणनीति का हिस्सा रहा। दूसरी ओर भाजपा ने भी ठोस तैयारी की थी। सीट पर काबिज सांसद का टिकट काटकर क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय सिंह को मैदान में उताकर मान रही थी कि दावा मजबूत हो गया। बूथ स्तर पर महीनों पहले से तैयारी शुरू कर दी थी।

भाजपा ने झोंकी थी पूरी ताकत

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी ताकत झोंकी, लेकिन दांव फेल हो गया। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा की हार का सबसे बड़ा कारण अति आत्मविश्वास रहा। भाजपा के नेता यह भूल गए थे कि पिछले चुनाव से पहले यहां सपा लगातार छह बार जीती थी। बदायूं काे सपा का गढ़ बनाने में मुलायम सिंह यादव के साथ शिवपाल सिंह यादव कदम से कदम मिलाकर चले थे। जिले के नेता और पदाधिकारी मोदी और योगी के नाम पर आसानी से चुनाव जीतने की गलतफहमी में फंसे रहे और नतीजा यह निकला कि भाजपा चुनाव हार गई।

धर्मेंद्र को लड़ाकर गए थे मुलायम सिंह

मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव को यहां के लोगों ने दो बार सांसद चुनकर भेजा था, अब दूसरे भतीजे आदित्य यादव को भी अपना सांसद चुन लिया है। वह अखिलेश यादव के चेचेरे भाई हैं, इससे जिले सपाइयों में ऊर्जा संचार हुआ है। तीसरे नंबर पर रही बसपा ने भी उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया। बसपा प्रमुख मायावती की चुनावी जनसभा का भी लाभ मिला और बसपा उम्मीदवार लड़ाई में बने रहे। रात साढ़े दस बजे जिला निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार ने नवनिर्वाचित सांसद आदित्य यादव को जीत का प्रमाण पत्र दिया। इसके बाद सपाइयों के जश्न मनाने का सिलसिला शुरू हुआ जो देर रात तक जारी रहा।

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