Budaun Encounter: जल्लाद लग रहा था साजिद… बेटों के हत्यारे के हाथ में खंजर देख कांप गई थी मां, दोहरे हत्याकांड पर अब सियासत!
बाबा कॉलोनी और मझिया रोड पर मंगलवार शाम से जो चीत्कार शुरू हुई वह अब तक शांत नहीं हुई है। दो बालकों की हत्या के बाद से उनकी मां पिता और दादी का हाल बेहाल है। जिन बच्चों को पाल पोस कर बड़ा किया उन्हें जब खून से लथपथ देखा तो मां का कलेजा मुंह को आ गया। वह चीख-चीख कर अपने बेटों को उठाने की कोशिश कर रही थी।
जागरण संवाददाता, बदायूं। बाबा कॉलोनी और मझिया रोड पर मंगलवार शाम से जो चीत्कार शुरू हुई, वह अब तक शांत नहीं हुई है। दो बालकों की हत्या के बाद से उनकी मां, पिता और दादी का हाल बेहाल है। जिन बच्चों को पाल पोस कर बड़ा किया, उन्हें जब खून से लथपथ देखा तो मां का कलेजा मुंह को आ गया। वह चीख-चीख कर अपने बेटों को उठाने की कोशिश कर रही थी।
बुधवार को जब दोनों के शव पोस्टमार्टम के बाद घर पहुंचे तो दोनों बेटों को सीने से लगा लिया। ऐसा लगा, जैसे मानो उन्हें उठा रही हो। जब दोनों के शव अंतिम संस्कार को ले जाए जाने लगे तो मां की चीखों ने वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखों को नम कर दिया।
मां संगीता की आंखें पथरा गई थीं, वह हर ओर अपने बच्चों को ढूंढ रही थी। वहीं पिता भी दिल पर पत्थर रख कर अपने बेटों का अंतिम संस्कार कर आए। आंखों में बिना आंसू लाए पत्नी को संभालते रहे थे, लेकिन उनके हाव भाव बता रहे थे कि उनका दिल रो रहा है।
अहान ने स्कूल जाना शुरू किया था
विनोद कुमार सिंह के तीनों बच्चे आयुष, पीयूष और अहान अलापुर रोड पर स्थित शिशु मंदिर में पढ़ते थे। अहान ने तो इसी साल स्कूल जाना शुरू किया था। वह केजी का छात्र था। जबकि आयुष छठी कक्षा में पहुंच गया था, जबकि पीयूष कक्षा चार का छात्र है। बच्चों की कॉपी-किताबें देख उसकी मां, दादी हर कोई उन दोनों को याद कर रोने लगता।
किसी को विश्वास नहीं था कि उनके दो बच्चे अब उन्हें छोड़ गए। उनके विद्यालय के प्रिंसिपल को सूचना मिली तो वह भी घर पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि आयुष काफी होशियार था। वह स्कूल की एक्स्ट्रा एक्टिविटी में प्रतिभाग करता था। जबकि अहान भी तेज दिमाग का विद्यार्थी था। उन दोनों की मृत्यु की जानकारी पर विद्यालय में छुट्टी कर दी गई।
जल्लाद लग रहा था साजिद
बच्चों की हत्या के बाद जब साजिद ने भागने की कोशिश की तो उसे सबसे पहले संगीता ने सीढ़ियों पर देखा था। संगीता के अनुसार, उसके हाथ में चाकू था, कपड़े, उसका चेहरे आदि पर खून लगा था। वह किसी जल्लाद की तरह लग रहा था। वह अगर बचकर न भागती तो वह उन पर भी हमला कर सकता था। वह जब जब वह मंजर याद करती है तो उनकी रूह कांप जाती है।
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