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Lok Sabha Election 2024: बदायूं में चेहरा शिवपाल, चुनाव मैदान में आदित्य; सपाइयों के पास लखनऊ से आया ये संदेश

समाजवादी पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि लखनऊ से संदेश आ चुका है। पार्टी ने प्रत्याशी भले ही शिवपाल यादव को बनाया लेक‍िन सिंबल आदित्य के नाम से आएगा। बता दें पिछले 10 दिन में हुईं जनसभाओं या नुक्कड़ सभाओं के मंच पर आदित्य यादव ही मुख्य रूप से संबोधित कर रहे। उनके पिता शिवपाल यादव सिर्फ चुनिंदा आधा दर्जन सभाओं में मंच पर रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Vinay Saxena Updated: Fri, 12 Apr 2024 09:01 AM (IST)
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शि‍वपाल यादव व उनके बेटे आद‍ित्‍य यादव।- फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, बदायूं। पुराने गढ़ में दोबारा पैर जमाने की जुगत में सपा ने जो कदम बढ़ाया, उसे राजनीति के मंझे खिलाड़ी शिवपाल यादव ने नई दिशा दे दी। चुनावी आंच की आशंका को किनारे करते हुए उन्होंने ऐसा दांव खेला, जिसने बेटे आदित्य के राजनीतिक भविष्य का रास्ता भी बना दिया। एक सप्ताह से चले आ रहे घटनाक्रम के बाद अब स्थानीय सपाई मान चुके कि मैदान में आदित्य यादव रहेंगे, उनके पीछे चेहरा पिता शिवपाल यादव का होगा। इस रणनीति को धरातल पर उतारने की उल्टी गिनती शुक्रवार से नामांकन प्रक्रिया के साथ ही शुरू हो जाएगा।

पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि लखनऊ से संदेश आ चुका है। पार्टी ने प्रत्याशी भले ही शिवपाल यादव को बनाया, लेक‍िन सिंबल आदित्य के नाम से आएगा। चुनावी समीकरण कितनी तेज और कितनी बार बदलते हैं, इसके लिए दिसंबर से अब तक की सफर पर नजर डालना जरूरी है।

पहले धर्मेंद्र यादव के नाम पर सहमत थे अखि‍लेश, फ‍िर...   

लोकसभा चुनाव की आरंभिक तैयारियों के समय माना जा रहा था कि वर्ष 2009 और 2014 में जीत दर्ज कर चुके सपा के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव ही बदायूं से चुनाव लड़ेंगे। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इस पर सहमत थे, इसलिए 30 जनवरी को पहली सूची में उनका नाम घोषित कर दिया था। इसके 20 दिन में ऐसी उथल-पुथल हुई कि नेतृत्व को अपने निर्णय पर दोबारा विचार करना पड़ा।

शि‍वपाल को बनाया प्रत्‍याशी  

अंदरखाने चल रही खींचतान में नुकसान की आशंका भांपते हुए अखिलेश यादव ने टिकट बदलकर महासचिव और जसवंतनगर से विधायक शिवपाल यादव को प्रत्याशी बनाया था। उसी दौरान बरेली एयरपोर्ट पर चेंजओवर के दौरान अखिलेश यादव वहां के नेताओं से कह गए थे कि बदायूं में कुछ मसले थे मगर, चाचा अब सबकुछ संभाल लेंगे। वह आत्मविश्वास में थे, मगर यह भाव शिवपाल यादव में दिखाई नहीं दिया था।

लंबे इंतजार के बाद वह 16 मार्च को क्षेत्र में आए, तब भी संकेत किया था कि बेटे आदित्य यादव भी सक्रिय राजनीति में आने को तैयार हैं। 15 दिन क्षेत्र में घूमने के बाद शिवपाल यादव के अनुभव से नया दांव निकला। उन्होंने सभाओं में कहना शुरू कर दिया कि क्षेत्र की जनता युवा नेतृत्व चाहती है, ऐसे में अपने स्थान पर बेटे आदित्य को चुनाव लड़ा सकते हैं। जैसे-जैसे उनके बयानों की संख्या बढ़ी, इस बदलाव की बुनियाद को और मजबूती मिलने लगी। बुधवार को भी शिवपाल यादव ने दोहराया था कि नामांकन किसका होगा, यह जल्द पता चल जाएगा। वह प्रत्याशी हैं, इसके बावजूद ‘नामांकन किसका होगा’ कहना सीधे संकेत दे रहा।

जनसभाओं में आदित्य संभाल रहे मंच

पिछले 10 दिन में हुईं जनसभाओं या नुक्कड़ सभाओं के मंच पर आदित्य यादव ही मुख्य रूप से संबोधित कर रहे। उनके पिता शिवपाल यादव सिर्फ चुनिंदा आधा दर्जन सभाओं में मंच पर रहे हैं। बुधवार को भी वह शहर आए तो तीन घंटे रुककर स्थिति समझी, इसके बाद चले गए।

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