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बड़े पर्दे पर संजय दत्त के साथ दिखेंगे सीओ अनिरुद्ध सिंह

जेएनएनपबदायूं अवैध शराब के लिए बदनाम धनूपुरा व भोजपुर गांव में सुधार की पहल कर चर्चा में आए पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) अनिरूद्ध सिंह अब बड़े पर्दे पर भी दिखेंगे। अगस्त में रिलीज होने वाली भुज-द प्राइड आफ इंडिया फिल्म में वह संजय दत्त के छोटे भाई के किरदार में नजर आएंगे इसमें अजय देवगन भी हैं।

By JagranEdited By: Updated: Mon, 19 Jul 2021 12:05 AM (IST)
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बड़े पर्दे पर संजय दत्त के साथ दिखेंगे सीओ अनिरुद्ध सिंह

जेएनएनप,बदायूं : अवैध शराब के लिए बदनाम धनूपुरा व भोजपुर गांव में सुधार की पहल कर चर्चा में आए पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) अनिरूद्ध सिंह अब बड़े पर्दे पर भी दिखेंगे। अगस्त में रिलीज होने वाली भुज-द प्राइड आफ इंडिया फिल्म में वह संजय दत्त के छोटे भाई के किरदार में नजर आएंगे, इसमें अजय देवगन भी हैं।

जालौन जिले के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले अनिरूद्ध सिंह का वालीवुड तक पहुंचना संयोग ही रहा है। उन्होंने वर्ष 2001 में उत्तर प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर के रूप में नौकरी की शुरूआत की थी। वर्ष 2016 में जब वह वाराणसी में तैनात थे, वहां फिल्म गन्स आफ बनारस की शूटिग चल रही थी। भीड़ नियंत्रित करने के दौरान निर्देशक शेखर सूरी की नजर उन पर पड़ी तो कद-काठी व हावभाव से प्रभावित हुए। उन्हें अभिनय करने का प्रस्ताव दे दिया। उस फिल्म में उन्हें इंस्पेक्टर का रोल दे दिया। अनिरुद्ध सिंह बताते हैं कि निर्देशक उनकी मूंछ से बहुत प्रभावित थे, इसलिए तेलगू फिल्म डा.चक्रवर्ती में भी इंस्पेक्टर का रोल दिया। यह फिल्म 2017 में रिलीज हुई। एक वेब सीरीज में भी अभिनय कर चुके हैं। अब देशभक्ति से ओतप्रोत फिल्म भुज-द प्राइड आफ इंडिया में सुपर स्टार्स के साथ दिखाई देंगे। वह बताते हैं कि यह फिल्म वर्ष 1965 और 1971 में हुए युद्ध पर आधारित है।

नौकरी के साथ अभिनय का शौक

व्यस्तता भरी पुलिस की नौकरी में भी उन्होंने अपने अभिनय के शौक को बरकरार रखा। कहते हैं कि इस फिल्म में बड़ा रोल मिल रहा था, लेकिन छुट्टी मिलने की सीमा है। मैं अपनी छोटी भूमिका से ही संतुष्ट हूं। अभिनय कहीं सीखा नहीं था, मगर इसका शौक जरूर रहा। अनिरुद्ध सिंह इस समय बिल्सी के सीओ हैं।

भोजपुर और धनूपुरा गांव से खत्म की कच्ची शराब

कादरचौक क्षेत्र में भोजपुर और धनूपुरा गांव में अपराधिक प्रवृत्ति के कई लोग रहते थे। वहां पुरुषों के साथ महिलाएं भी कच्ची शराब बनाकर बेचती थीं। पिछले साल वह उझानी के सीओ थे, तब इन गांवों को सुधारने की पहल की। ग्रामीणों के बीच जाकर उन्हें शपथ दिलाई कि अवैध शराब नहीं बनाएंगे। ग्रामीणों के संपर्क में लगातार बने रहे। उनके जीवन-यापन का इंतजाम करने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों से बात की। अब इन गांवों की महिलाएं स्वयं सहायता समूह बनाकर स्वरोजगार करती हैं। सिलाई-कढ़ाई करके धन अर्जित करती हैं। मुर्गी पालन के लिए अनुदान आदि की व्यवस्था कराई गई। बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित किया।

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