अलविदा-2019 : सपना ही रह गई इलेक्ट्रिक ट्रेन, प्लेटफार्म भी नहीं हुआ ऊंचा
साल 2019 आखिरी पड़ाव पर है। पूरे साल यहां की जनता को इलेक्ट्रिक ट्रेन मिलने की आस अधूरी ही रह गई। काम तो चल रहा है लेकिन जैसी उम्मीद जताई जा रही थी उतनी जल्दी नहीं हो सका।
जागरण संवाददाता, बदायूं : साल 2019 आखिरी पड़ाव पर है। पूरे साल यहां की जनता को इलेक्ट्रिक ट्रेन मिलने की आस अधूरी ही रह गई। काम तो चल रहा है लेकिन जैसी उम्मीद जताई जा रही थी उतनी जल्दी नहीं हो सका। हालात अभी भी यह हैं कि बभियाना तक ही लाइन बिछ सकी है। वहीं सेंटर लाइन का भी कछला से बदायूं तक पूरा हो चुका है। जबकि प्लेटफार्म नंबर दो अभी भी ऊंचा नहीं हो सका। नतीजतन ट्रेन आने पर मुसाफिरों को चढ़ने व उतरने की दिक्कत बरकरार है। बरेली-कासगंज रेलमार्ग पर अमान परिवर्तन के बाद डीजल इंजन के जरिए ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया गया। यह भी दावा किया गया कि साल 2019 में यहां की जनता को इलेक्ट्रिक ट्रेनों में सफर का आनंद मिलेगा और ट्रेनों की संख्या भी बढ़ेगी लेकिन यह वादा अधूरा ही रह गया। मीटरगेज से ब्राडगेज में परिवर्तन के बाद केवल फुट ओवरब्रिज का निर्माण ही यहां हो सका है। इसके अलावा न तो जीआरपी थाना बना और न ही ट्रेनों की संख्या में इजाफा हुआ। इंसेट
पांच जोड़ी हैं ट्रेनें
- इस रूट पर पांच जोड़ी ट्रेनों का संचालन होता है। वहीं सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को आगरा फोर्ट रामनगर व शुक्रवार को बांद्रा टर्मिनस-रामनगर ट्रेन चलती है। रेलवे स्टेशन पर दो एटीएम (आटोमैटिक टिकट मशीन) भी लगाई गई हैं। ताकि मुसाफिर अपनी जरूरत का टिकट खुद ले सकें। इसके अलावा टिकटविडो की अलग से व्यवस्था की गई है।
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प्लेटफार्म बना है खतरा
- प्लेटफार्म संख्या दो काफी नीचा है। इसके उच्चीकरण के लिए प्रस्ताव तो स्वीकृत हुआ लेकिन काम शुरू नहीं हो सका है। इस प्लेटफार्म पर आने वाले ट्रेन पर चढ़ने और उतरने दोनों वक्त खतरा रहता है। खासकर बुजुर्गों और बच्चों को बेहद ज्यादा परेशानी होती है।
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यह लगा दाग
- जिले में ई टिकटिग का अवैध कारोबार जमकर चल रहा है। कस्बा उझानी इसका हब बना हुआ है। कई दलाल भी आरपीएफ ने पकड़े। जबकि 22 नवंबर को आरपीएफ ने उझानी रेलवे स्टेशन पर तैनात वाणिज्य अधीक्षक केपी सिंह को ई टिकटिग के कारोबार में लिप्त होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। दलालों के जरिए टिकट बिकवाकर वाणिज्य अधीक्षक लाखों के वारे न्यारे कर चुका था। इंसेट
शिफ्ट हो वर्कशाप तो मिले राहत
- रोडवेज का वर्कशाप इसी वित्तीय वर्ष में शिफ्ट होना है, इसके लिए दातागंज रोड पर वर्कशाप बनाई जा रही है। मार्च तक वहां वर्कशाप शिफ्ट हो जाएगी। नतीजतन यहां केवल डिपो रह जाएगा। मेंटीनेंस के लिए यहां बसें नहीं आएंगी और जाम से निजात मिल जाएगा।
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छोटे रूट को नहीं मिलीं बसें
- बदायूं डिपो में 130 बसे हैं। इनमें अधिकांश दिल्ली रूट पर लगी हैं। रही बची बरेली, मुरादाबाद और आगरा को जाती हैं। ऐसे में अभी भी जिले में छोटे रूट ऐसे हैं, जहां रोडवेज की सुविधा नहीं है। यहां की आबादी को अभी भी निजी या डग्गामार वाहनों का सहारा लेना पड़ता है।
वर्जन ::
इलेक्ट्रिक लाइन का काम तकरीबन पूरा हो चुका है। सीआरएस के निरीक्षण की तारीख अभी नहीं मिली है। प्लेटफार्म ऊंचा कराने के लिए अब किसी संस्था को ठेका दिया जाना शेष है। इसके बाद यह प्रक्रिया भी शुरू कर दी जाएगी। इलेक्ट्रिक लाइन होगी तो लंबी दूरी की ट्रेनों की संख्या भी बढ़ने की उम्मीद है।
- राजेंद्र सिंह, पीआरओ डीआरएम बरेली
वर्जन ::
जरूरत पड़ने पर छोटे रूट पर भी बसों का संचालन किया जाता है, सवारियां कम होने के कारण यह प्रक्रिया रुटीन में नहीं आ सकी है। वर्कशाप मार्च तक पूरा हो जाएगा।
- राजेश कुमार, एआरएम रोडवेज
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