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महिला अस्पताल में घुसा अनदेखी का दीमक, अग्निशमन यंत्र मांग रहे इलाज

महिला अस्पताल में अग्निकांड से सुरक्षा के लिए लगाए गए अग्निशमन यंत्र बेजान हो गए।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 26 May 2019 11:30 PM (IST)
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महिला अस्पताल में घुसा अनदेखी का दीमक, अग्निशमन यंत्र मांग रहे इलाज

बदायूं : जिला महिला अस्पताल की नई बिल्डिग में हाल ही में आग बुझाने के लिए तमाम अग्निशमन यंत्र लगाए गए लेकिन यहां अनदेखी का ऐसा दीमक घुसा कि 22 अग्निशमन यंत्रों में से 17 तो अभी से इलाज मांगने लगे। अनदेखी के चलते इन अग्निशमन यंत्रों से धीरे-धीरे गैस रिसाव हो गई। एक तरह से यह खाली हो गए हैं। इत्तफाक से यदि सूरत के कोचिंग सेंटर जैसा अग्निकांड यहां भी हो गया तो प्रसूताओं, नौनिहालों की जान पर बन आएगी। इससे अस्पताल का प्रशासन अंजान दिख रहा है। एक तरह से भर्ती मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।

महिला अस्पताल में सौ शैय्या का नया वार्ड और ओपीडी नई बिल्डिग में शिफ्ट की जा चुकी है। एक पखवाड़ा पहले तक सेफरेट फीडर से बिजली सप्लाई नहीं जोड़ी गई थी। ऐसे में बिजली कटने पर वार्ड अंधेरे में डूब जाते थे। गर्मी में प्रसूताओं, नवजातों को बेहद परेशानी होती थी। आलम यह था कि लोग वार्ड में मोमबत्तियां जलाते थे। अस्पताल प्रशासन पर प्रशासनिक अधिकारियों का शिकंजा लगातार कसा तो यहां व्यवस्थाओं में सुधार आना शुरू हुआ। जहां स्टाफ समय पर ड्यूटी करने पहुंच रहा है, वहीं नई बिल्डिग को सेपरेट फीडर से भी जोड़ दिया। मरीजों को राहत तो मिल गई है लेकिन आग से बचाव के संसाधनों की अनदेखी की जा रही है। फायर अलार्म का बटन भी नहीं करता है काम

नए भवन में करीब 22 फायर इक्यूपमेंट लगे हुए हैं। इनमें 17 की गैस रिसाव होने से निकल चुकी है। जिनमें थोड़ी-बहुत गैस बची भी है, वो हालत देखकर नहीं लगते कि वक्त पर काम कर सकेंगे। आग के अलार्म का शीशा शरारती तत्वों ने तोड़ दिया है। उसका बटन भी काम नहीं कर रहा। क्योंकि सिग्नल पैनल बंद पड़ा रहता है। लिफ्ट भी नहीं हो सकी चालू

पिछले दिनों एडी हेल्थ डॉ. प्रमिला गौड़ ने यहां निरीक्षण के बाद लिफ्ट चालू कराने के निर्देश दिए थे लेकिन सुविधा शुरू नहीं की गई है। यदि आग लगने पर जल्दबाजी में मरीजों को वहां से निकाला जाए तो लिफ्ट की व्यवस्था भी ध्वस्त पड़ी है। वर्जन ::

व्यवस्थाओं को दुरुस्त कराया जाएगा। अधिकारियों के संज्ञान में भी इस मामले को लाएंगे, क्योंकि यह गंभीर विषय है।

- डॉ. सुशील कुमार, प्रभारी सीएमओ

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