भाजपा-सपा दोनों के लिए गुन्नौर बड़ी चुनौती, यादव बाहुल्य इलाके में 26 साल बाद BJP ने दर्ज की थी जीत
संसदीय सीट बदायूं में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। गुन्नौर विधानसभा क्षेत्र जो पड़ोसी जिला संभल का हिस्सा है दोनों दलों के लिए महत्वपूर्ण है। पहले यह विधानसभा क्षेत्र बदायूं जिले का हिस्सा रहा है लेकिन संभल जिला बनने के बाद क्षेत्र जिले से भले ही अलग हो गया लेकिन विधानसभा अब भी बदायूं का हिस्सा है। यहां से मुलायम सिंह यादव चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने थे।
जागरण संवाददाता, बदायूं। संसदीय सीट बदायूं में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। गुन्नौर विधानसभा क्षेत्र जो पड़ोसी जिला संभल का हिस्सा है दोनों दलों के लिए महत्वपूर्ण है। पहले यह विधानसभा क्षेत्र बदायूं जिले का हिस्सा रहा है, लेकिन संभल जिला बनने के बाद क्षेत्र जिले से भले ही अलग हो गया, लेकिन विधानसभा अब भी बदायूं का हिस्सा है। यहां से मुलायम सिंह यादव चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने थे।
यादव बाहुल्य इस विधानसभा क्षेत्र से सपा को सबसे बड़ी ताकत मिलती रही है। पिछले चुनाव में गुन्नौर में भाजपा ने सपा को कड़ी टक्कर दी थी, जिसकी बदौलत 26 साल बाद इस सीट पर कमल खिला था।2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो सपा को 1,06,159 वोट मिले थे, जबकि भाजपा को 96,531 मत हासिल हुए थे। यहां से कांग्रेस को 5,099 वोट मिले थे। सपा और बसपा में गठबंधन हुआ था, इसलिए बसपा को कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं था।
2014 में सपा को मिले थे 1,20,530 वोट
2014 के संसदीय चुनाव में यहां सपा को 1,20,530 वोट मिले थे, जबकि भाजपा को 55,546 वोट मिले थे। बसपा को 18,957 वोट हासिल हुए थे। इस चुनाव में कांग्रेस का महान दल से समझौता हुआ था, महान दल के उम्मीदवार को 700 वोट मिले थे।2009 के लोकसभा चुनाव में यहां से सपा को 65,826 वोट मिले थे, भाजपा का जदयू से गठबंधन था सीट जदयू के खाते में गई थी। जदयू प्रत्याशी को महज 4,968 वोट मिले थे, जबकि बसपा को 37,325 वोट मिले थे। इसके पहले यह गुन्नौर विधानसभा क्षेत्र बदायूं लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा नहीं था।
2004 के लोकसभा चुनाव में बदायूं लोकसभा में सहसवान, बिल्सी, बदायूं, उसहैत और कासगंज विधानसभाएं थीं। परिसीमन के बाद उसहैत विधानसभा खत्म हो गई, उसकी जगह शेखूपुर नई विधानसभा गठित हो गई जो अब आंवला लोकसभा सीट का हिस्सा है। इसकी जगह बिसौली विधानसभा को इसमें शामिल कर लिया गया।कासगंज को भी बदायूं लोकसभा से अलग कर दिया गया, इसकी जगह गुन्नौर को बदायूं संसदीय सीट का हिस्सा बनाया गया था। यादव बाहुल्य इस क्षेत्र पर सपा मजबूत स्थिति में रही है, लेकिन पिछले चुनाव में भाजपा और सपा की कड़ी टक्कर देखने को मिली थी।
भाजपा और सपा दोनों दलों ने गुन्नौर में ताकत झोंकनी शुरू कर दी है, जबकि बसपा ने अभी तक टिकट ही घोषित नहीं किया है। कांग्रेस का सपा से गठबंधन है, इसलिए कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगी।
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