बदायूं में जामा मस्जिद की जगह नीलकंठ मंदिर का दावा
अखिल भारतीय हिदू महासभा ने बदायूं की जामा मस्जिद की जगह नीलकंठ मंदिर होने का दावा किया है। उन्होंने इसका आधार इतिहास की पुस्तकों और ब्रिटिशकाल के गजेटियर को बनाया है। महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष राजश्री चौधरी बोस के नेतृत्व में अपर जिलाधिकारी को मांग पत्र सौंपा।
बदायूं, जेएनएन : अखिल भारतीय हिदू महासभा ने बदायूं की जामा मस्जिद की जगह नीलकंठ मंदिर होने का दावा किया है। उन्होंने इसका आधार इतिहास की पुस्तकों और ब्रिटिशकाल के गजेटियर को बनाया है। महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष राजश्री चौधरी बोस के नेतृत्व में अपर जिलाधिकारी को मांग पत्र सौंपा। आरोप है कि मुगल अक्रांता इल्तुमिश ने मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था। मांग की है कि उस स्थान को पुराने स्वरूप में लौटाकर हिदू जन मानस को पूजा के लिए सौंपा जाए। हिदू महासभा की इस मांग से सियासी हलके में खलबली मच गई है।
महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष दोपहर में पीडब्ल्यूडी गेस्टहाउस पहुंचीं। पदाधिकारियों से जामा मस्जिद पर किए जा रहे दावे के तथ्यों की जानकारी ली। फिर कलक्ट्रेट पहुंचीं। डीएम के नाम एडीएम प्रशासन को मांग पत्र सौंपा। इसमें बताया कि राजा महीपाल के किले में भगवान नीलकंठ महादेव ईशान शिव मंदिर था। ब्रिटिशकालीन गजेटियर के प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 1986 में प्रकाशित हुए तथ्यों को आधार बताया है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से वर्ष 2002 और 2004 में प्रकाशित पुस्तिका में भी इसका उल्लेख होना बताया है। इस पुस्तक के पेज 16 से 21 तक इतिहास के दर्पण में बदायूं में राजाओं की वंशावली दी है, जिसमें मंदिर के बारे में भी लिखा है। मंदिर का अस्तित्व भी स्वीकार किया है। 2005-06 में प्रकाशित सूचना दर्पण में मंदिर के स्थान पर शमशुद्दीन इल्तुतमिश के नाम पर जामा मस्जिद शम्सी का निर्माण कराने का तथ्य दिया है। यह भी बताया कि मार्शल ने भी इस मस्जिद में ज्यादातर सामान मंदिर का लगा होने और मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की बात लिखी है। इम्पीरियल गजेटियर आफ इंडिया के अनुसार इस किले की मरम्मत राजा बुद्ध आदि ने कराई। मंदिर में कई सुरंगें बनी थीं, एक कुंआ भी था जिसमें मंदिर की बहुत सी वस्तुएं, शिवलिग व मूर्तियों को दबा दिया गया। तारीख ए बदायूं के लेखक अब्दुल करीम ने किले का निर्माण वर्ष 905 होना बताया है और उल्लेख किया हे कि इसका निर्माण राजा बुद्ध ने किया था। इतिहास में रजिया सुल्तान का जन्म इसी जामा मस्जिद में होना इंगित है। इस कारण से भी यह स्थान जामा मस्जिद नहीं हो सकता। इस दौरान प्रांतीय संयोजक मुकेश पटेल, जिलाध्यक्ष रामनिवास पटेल, ज्ञानेंद्र जिज्ञासु, अरविद परमार एडवोकेट, प्रेमस्वरूप वैश्य एडवोकेट, ब्रजपाल सिंह एडवोकेट, वेदप्रकाश साहू एडवोकेट आदि मौजूद रहे। माहौल को धार्मिक रंग देने की कोशिश : डा.उस्मानी