जागरण संवाददाता, बदायूं। जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में तैनात फार्मासिस्ट पर मरीज ने खून के नाम पर पैसे लेने का आरोप लगाया है। पैसे लेने की पोल खुलने के बाद मरीज की आनन फानन में छुट्टी कर दी गई। बात को बढ़ते देख आरोपी फार्मासिस्ट भी अस्पताल से चला गया और अपना फोन बंद कर लिया। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने जांच के आदेश दिए हैं।
देर शाम शिकायतकर्ता की एक वीडियो प्रसारित हो रही है जिसमें वह फार्मासिस्ट को बेकसूर बता रहा है।
शनिवार को कादरचौक निवासी चंद्रपाल 12 जून को जिला अस्पताल में भर्ती हुए थे। वह बवासीर और भगंदर से पीड़ित थे। डाक्टर ने आपरेशन के लिए खून की मांग की थी। मरीज के तीमारदार अस्पताल के स्टाफ से ही खून उपलब्ध कराने की जुगाड़ करने लगे। किसी तरह वह इमरजेंसी वार्ड में तैनात फार्मासिस्ट के संपर्क में आ गए।
मरीज के पुत्र विपिन ने आरोप लगाया कि फार्मासिस्ट ने एक यूनिट खून के बदले पांच हजार रुपये की मांग की थी। इसके बाद उसने दो यूनिट खून के लिए फार्मासिस्ट को 9500 रुपये दिए। आरोप है कि पैसे लेने के तीन दिन बाद भी फार्मासिस्ट ने खून उपलब्ध नहीं कराया। तीमारदारों ने परेशान होकर शिकायत सीएमएस डा. कप्तान सिंह से की। इसके बाद इमरजेंसी में तैनात स्टाफ ने आनन फानन में मरीज की छुट्टी कर दी।
वार्ड में नहीं था मरीज
सीएमएस डा कप्तान सिंह ने वार्ड में जाकर देखा तो वहां मरीज मौजूद नहीं था। इसके बाद उन्होंने आरोपी फार्मासिस्ट को फोन किया तो उसका फोन बंद आ रहा था। फार्मासिस्ट पर खून के बदले पैसे लेने का आरोप लगाने वाले मरीज के पुत्र विपिन का देर शाम एक वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुआ, जिसमें वह किसी के इशारे पर कहता दिखाई दे रहा है कि इसमें फार्मासिस्ट की कोई गलती नहीं है। वीडियो में किसी महिला के बोलने की आवाज आ रही है।
सीएमएस डा.कप्तान सिंह ने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में आया था। वार्ड में पहुंचा तो वहां मरीज नहीं था। फार्मासिस्ट की ड्यूटी 2 बजे तक थी इसके बाद वह चला गया था। उसे फोन किया तो बंद आ रहा था। आरोप लगाने वाले का एक वीडियो आया है जिसमें वह फार्मासिस्ट को बेकसूर बता रहा है। मरीजों से कहना है कि खून ब्लड बैंक में मौजूद है, किसी का सहारा न लें। तीमारदार खुद जाकर ब्लड बैंक से खून लें।