Move to Jagran APP

'मुझे तुमसे बिछड़ना ही पड़ेगा, मैं तुमको याद आना चाहता हूं...' फहमी बदायूंनी के 10 शेर जो सदा रहेंगे अमर

प्रसिद्ध शायर पुत्तन खान उर्फ फहमी बदायूंनी का 74 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई। फहमी बदायूंनी ने अपनी शायरी से जिले का नाम रौशन किया। वह मूल रूप से कस्बा बिसौली के निवासी थे। उनकी शायरी ने युवाओं को अपनी ओर तेजी से आकर्षित किया।

By Jagran News Edited By: Aysha Sheikh Updated: Mon, 21 Oct 2024 05:40 PM (IST)
Hero Image
मशहूर शायर पुत्तन खां उर्फ फहमी बदायूंनी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली/बदायूं। मशहूर शायर पुत्तन खां उर्फ फहमी बदायूंनी का निधन हो गया। 74 वर्ष फहमी लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। उनके निधन की खबर पर साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई। पुत्तन खां उर्फ फहमी बदायूंनी ने अपनी शायरी से जिले का नाम रौशन किया।

वह मूलरूप से कस्बा बिसौली के निवासी थे। उनकी शायरी ने युवाओं को अपनी ओर तेजी से आकर्षित किया। फहमी बदायूंनी ने देश विदेश के बड़े बड़े मंचों पर अपनी शायरी प्रस्तुत की थी। सोमवार काे उन्हें सुपुर्देखाक किया गया। उन्होंने लिखा था कि मुझे तुमसे बिछड़ना ही पड़ेगा, मैं तुमको याद आना चाहता हूं। आईए इसी तरह के उनके कुछ खास शेरों पर नजर डालते हैं। 

फहमी बदायूंनी के खास 10 शेर

फ़ानी की जिंदगी भी क्या जिंदगी थी रब !

मौत और जिंदगी में कुछ फर्क चाहिए

-

पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा

कितना आसान था इलाज मिरा

-

परेशाँ है वो झूटा इश्क़ कर के

वफ़ा करने की नौबत आ गई है

-

काश वो रास्ते में मिल जाए

मुझ को मुँह फेर कर गुज़रना है

-

ख़ूँ पिला कर जो शेर पाला था

उस ने सर्कस में नौकरी कर ली

-

मर गया हम को डाँटने वाला

अब शरारत में जी नहीं लगता

-

टहलते फिर रहे हैं सारे घर में

तिरी ख़ाली जगह को भर रहे हैं

-

कटी है उम्र बस ये सोचने में

मेरे बारे में वो क्या सोचता है

-

कुछ न कुछ बोलते रहो हम से

चुप रहोगे तो लोग सुन लेंगे

-

बहुत कहती रही आँधी से चिड़िया

कि पहली बार बच्चे उड़ रहे हैं

-

यार तुम को कहाँ कहाँ ढूँडा

जाओ तुम से मैं बोलता ही नहीं

फहमी बदायूंनी की अंतिम यात्रा की तस्वीरें

शुरुआती दौर में लेखपाल की नौकरी की...

फहमी बदायूंनी का जन्म चार जनवरी 1952 को बिसौली के मुहल्ला पठानटोला में हुआ था। उनका पूरा नाम जमां शेर खान उर्फ पुत्तन खां था। उन्होंने अपने शुरुआती दौर में लेखपाल की भी नौकरी की थी। कुछ दिन बाद यह नौकरी छोड़ दी। इसके बाद वह बच्चों को कोचिंग देने लगे। वह विज्ञान और गणित में माहिर थे। इसके अलावा वह शायरी करते थे।

ये भी पढे़ं -

UPSRTC: अब गलती से भी झपकी नहीं ले पाएंगे बस चालक, तुरंत मच जाएगा शोर; यात्रियों तक तो सुनाई देगी आवाज

 

Meerut News: बस में गोली चलते ही कोई खिड़की से कूदा, कोई सीट के नीचे छिपा; आखिर क्यों जानी दुश्मन बने छात्र?

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।