यूपी के इस जिले में 25 प्राइवेट अस्पतालों पर मंडरा रहा खतरा- कभी भी हो सकती है कार्यवाही
बता दें कि स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले में 75 प्राइवेट अस्पताल ऐसे हैं जो इसके दायरे में आते हैं। विभाग के अनुसार इन अस्पतालों को अब पीले रंग के बोर्ड पर काले रंग से अपनी सुविधाओं और स्टाफ की पूरी जानकारी लिखकर अस्पताल के बाहर प्रदर्शित करनी होगी। यह डिस्प्ले बोर्ड पांच गुणा तीन फुट यानी कुल 15 वर्ग फुट का होगा।
जासं, बदायूं : सरकार ने 50 से कम बेड वाले निजी अस्पतालों और नर्सिंग होमों पर शिकंजा कसने का निर्णय लिया है। अब इन अस्पतालों को द क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट 2010 के तहत पंजीकरण और सुविधाओं के संबंध में पूरी जानकारी सार्वजनिक करनी होगी।
जिसके चलते इन अस्पतालों को अपनी पंजीकरण संख्या, संचालक का नाम, बेड की संख्या, दवाओं की पद्धति, डाक्टर, नर्स और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ की जानकारी को निर्धारित डिस्प्ले बोर्ड पर स्पष्ट रूप से दर्शाना होगा। यह कदम छोटे निजी अस्पतालों द्वारा मानकों की अनदेखी और गलत तरीके से चलाए जाने को लेकर उठाया गया है।
जिले में हैं 75 प्राइवेट अस्पताल संचालित
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले में 75 प्राइवेट अस्पताल ऐसे हैं जो इसके दायरे में आते हैं। विभाग के अनुसार इन अस्पतालों को अब पीले रंग के बोर्ड पर काले रंग से अपनी सुविधाओं और स्टाफ की पूरी जानकारी लिखकर अस्पताल के बाहर प्रदर्शित करनी होगी। यह डिस्प्ले बोर्ड पांच गुणा तीन फुट यानी कुल 15 वर्ग फुट का होगा। इस बोर्ड पर अस्पताल से संबंधित सभी जरूरी जानकारी जैसे पंजीकरण संख्या, सुविधाओं की सूची, डाक्टर और स्टाफ की जानकारी होगी।इसके अलावा कई छोटे अस्पतालों और नर्सिंग होमों में सुरक्षा और बुनियादी मानकों की अनदेखी की जाती रही है। खासतौर पर फायर एनओसी की कमी एक बड़ी चिंता का विषय रही है। अब इन अस्पतालों पर कड़ी निगरानी रहेगी। साथ ही अब यह अस्पताल द क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट 2010 के दायरे में आएंगे। पहले इन छोटे अस्पतालों पर यह लागू नहीं था।
जिले में 75 प्राइवेट अस्पताल पंजीकृत हैं। इन अस्पतालों का प्रतिवर्ष नवीनीकरण होता है। लेकिन इनमें से लगभग 25 अस्पताल ऐसे हैं जिन्हें विभागीय नियम पूरे करने में दिक्कत आएगी।
- डा. जावेद अहमद, नोडल अधिकारी झोलाछाप
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