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विज्ञान-गणित में माहिर और शायरी में लाजवाब... ऐसे थे फहमी बदायूंनी; अपने शहर को दिलाई अंतरराष्ट्रीय पहचान

उर्दू शायरी के मशहूर नाम फहमी बदायूंनी का निधन हो गया है। वह 72 साल के थे। फहमी बदायूंनी शायरी में लाजवाब थे ही साथ-साथ विज्ञान और गणित में भी माहिर माने थे। उनकी शायरी से हर उम्र के लोग जुड़ाव महसूस किया करते हैं। उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है सोशल पर भी लोग उन्हें जमकर याद कर रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Mon, 21 Oct 2024 05:55 PM (IST)
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विज्ञान-गणित के ज्ञानी और शायरी के उस्ताद फहमी बदायूंनी नहीं रहे। जागरण

जागरण संवाददाता, बदायूं। उर्दू के मशहूर शायर फहमी बदायूंनी का रविवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 72 साल के थे। उन्होंने उर्दू साहित्य के विद्यार्थियों के साथ इंटरनेट मीडिया के लोगों के बीच भी काफी मशहूर थे। उनकी शायरी से युवा पीढ़ी काफी जुड़ी थी। वह कम शब्दों में गहरी बात कहने के लिए जाने जाते थे।

उनके निधन की सूचना से समूचे साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई। उनके घर सांत्वना देने वालों की भीड़ लग गई। सोमवार को उनके शव को बिसौली में ही सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया।

फहमी बदायूंनी का जन्म चार जनवरी 1952 को बिसौली के मुहल्ला पठानटोला में हुआ था। उनका पूरा नाम जमां शेर खान उर्फ पुत्तन खां था। उन्होंने अपने शुरुआती दौर में लेखपाल की भी नौकरी की थी। कुछ दिन बाद यह नौकरी छोड़ दी। इसके बाद वह बच्चों को कोचिंग देने लगे। वह विज्ञान और गणित में माहिर थे। इसके अलावा वह शायरी करते थे।

धीरे-धीरे वह फहमी बदायूंनी के नाम से मशहूर हो गए। उन्हें जानने वाले लोग बताते हैं कि वह छोटी बात में बड़े शेर कहते थे। कुछ दिन पहले तक उनके शेर इंटरनेट मीडिया पर जमकर प्रसारित हो थे। जिन्हें युवा शायरों ने अपनी जुबां भी दी। उनकी प्रसिद्धी बढ़ने के साथ उन्होंने बड़े मंचों को साझा करना शुरू कर दिया। उन्होंने विदेश में भी कई मुशायरों में भाग लिया।

फहमी बदायूंनी के बड़े बेटे जाविद खां अजमरे में एक पोल्ट्री फार्म चलाते हैं। जबकि दूसरे बेटे परवेज खां बिजनेसमैन हैं और रूस में रहते हैं। इसके अलावा उनकी दो बेटियां निगार खातून और रुखसाना की शादी हो चुकी है। वह कई दिनों से बीमारी से जूझ रहे थे। सूचना पर नगर पालिका अध्यक्ष अबरार अहमद समेत कई जनप्रतिनिधि पहुंचे।

मोरारी जी बापू ने दिल्ली में कराया था भर्ती

फहमी बदायूंनी और मोरारी जी बापू एक दूसरे को काफी पसंद करते थे। मोरारी बापू से अक्सर उन्हें अपने यहां बुलाते थे। जब फहमी बीमार हुए तो अपने बेटी निगार खातून के यहां मेरठ में रहकर इलाज करा रहे थे। जब इसकी जानकारी मोरारी बापू को हुई तो उन्होंने संपर्क कर फहमी को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया था।

जहां उनका करीब एक महीने इलाज चला। वहां से ठीक होने के बाद एक माह पहले ही घर आ गए थे। जहां से अपने घर बदायूं के बिसौली आ गए थे।

रविवार शम घर पर लेटे हुए थे उसी दौरान अचानक उनका निधन हो गया। इंटरनेट मीडिया पर लााखों फैंस इंटरनेट मीडिया पर भी फहमी बदायूंनी के लाखों फैंस हैं। यूट्यूब पर उनकी कई शायरियों पर कई मीलियन तक व्यूज और लाइक है। इसी तरह इंस्टाग्राम पर उनकी आइडी पर एक लाख से अधिक फालोअर हैं।

कुछ इस अंदाज में शायर पुत्तन खां फहमी को किया याद। इंटरनेट मीडिया

बताते हैं उन्होंने आखिरी मुशायरा बीती होली पर लखनऊ में किया था। इसके अलावा दस महीने पर पहले एक बड़ी कार्यक्रम में लाइव उन्होंने लोगों से बात की थी।

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