बदायूं सीट पर आदित्य को बढ़ा खुद पीछे कदम खींच रहे शिवपाल यादव, बेटे को सौंपी चुनावी कमान; तस्वीरें कर रही बयां
Badaun Lok Sabha Seat स्थानीय संसदीय क्षेत्र में उतरे शिवपाल यादव अपने कदम खींचकर बेटे आदित्य को आगे बढ़ाते दिख रहे। लोकसभा चुनाव के लिए पिछले सात दिनों के प्रचार अभियान की तस्वीर यही बयां कर रही है। इन दिनों में 40 नुक्कड़ सभाएं या जनसभाएं हुईं जिनमें सपा प्रत्याशी ने पांच में मंच संभाला। शेष 35 कार्यक्रमों की कमान आदित्य यादव ने संभाली थी।
जागरण संवाददाता, बदायूं। (Badaun lok Sabha Election) स्थानीय संसदीय क्षेत्र में उतरे शिवपाल यादव अपने कदम खींचकर बेटे आदित्य को आगे बढ़ाते दिख रहे। लोकसभा चुनाव के लिए पिछले सात दिनों के प्रचार अभियान की तस्वीर यही बयां कर रही है।
इन दिनों में 40 नुक्कड़ सभाएं या जनसभाएं हुईं, जिनमें सपा प्रत्याशी ने पांच में मंच संभाला। शेष 35 कार्यक्रमों की कमान आदित्य यादव ने संभाली थी। मंच और माइक, दोनों उन्हीं के हवाले रहे। वह पूरे समय बदायूं संसदीय क्षेत्र में हैं।
आदित्य यादव बने जनसभाओं में प्रमुख चेहरा
पार्टी के नेता स्वीकारते हैं कि जनसभाओं में आदित्य यादव प्रमुख चेहरा बने हुए हैं मगर, इसका मतलब यह नहीं कि शिवपाल यादव दूरी बना रहे। वह पार्टी के बड़े नेता हैं इसलिए व्यस्तता अधिक होती है। शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) या बेटे आदित्य (Aditya Yadav)...!
संसदीय क्षेत्र में इस चर्चा की बुनियाद सपा के महासचिव, जसवंतनगर से विधायक और स्थानीय प्रत्याशी शिवपाल यादव के बयान से ही पड़ी थी। बीते दिनों उन्होंने कहा था कि बदायूं की जनता युवा नेतृत्व चाहती है। ऐसे में वह बेटे को चुनाव लड़ाना चाहते हैं, जिस पर अंतिम निर्णय नेतृत्व को लेना है। इस बयान के बाद क्षेत्र में उनकी सक्रियता पर चर्चा छिड़ गई।
सपा के नेता पार्टी के अगले कदम का इंतजार कर रहे, दूसरी ओर भाजपाइयों का तंस कसने का मौका मिल गया। उनके बयान आने लगे। फिलहाल, आदित्य की सक्रियता बता रही कि वह राजनीति में खूब दिलचस्पी ले रहे हैं।
आदित्य पहले नहीं लड़े कोई चुनाव
पूर्व में वह कोई चुनाव नहीं लड़े मगर, इस बार अवसर मिलने की उम्मीद जताई जा सकती है। यहां तीसरे चरण में मतदान होना है इसलिए नामांकन में समय है। माना जा रहा कि नामांकन की तारीख करीब आने के साथ ही सपा नेतृत्व का कोई निर्णय आ सकता है।
संभव है कि शिवपाल यादव ही मैदान में डटे रहें या उनके दिए सुझाव पर नेतृत्व विचार कर लें। सपा नेताओं का कहना है कि किसी प्रकार का असमंजस नहीं है। पार्टी के सभी कार्यकर्ता प्रत्याशी के लिए डटे हुए हैं। शिवपाल यादव प्रत्याशी हैं इसलिए रणनीति उन्हीं पर केंद्रित है। यदि भविष्य में कोई निर्णय आया तो देखा जाएगा।
बता दें कि सपा ने फरवरी में धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया था मगर, इसके बाद टिकट काट दिया। उनके स्थान पर शिवपाल यादव को प्रत्याशी बनाया गया था। लंबे इंतजार के बाद वह बदायूं आए थे। कुछ दिन प्रचार अभियान को गति दी, लेकिन इसके बाद आदित्य यादव का नाम आगे बढ़ाया।
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