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मुस्लिम-यादव गठजोड़ की मजबूती के लिए सपा ने फेंका तुरुप का इक्का, बदायूं में बढ़ी BJP की चुनौती; अब रोचक होगा चुनावी दंगल

UP Politics सपा ने धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ का प्रभारी बनाया है उम्मीद की जा रही है कि वहीं से इन्हें पार्टी चुनाव मैदान में उतार सकती है। शिवपाल सिंह यादव के आने से अब जिले में चुनावी मुकाबला रोचक होता दिख रहा है। जिले में लोकसभा चुनाव की तैयारी के मामले में सपा ने सबसे पहले टिकट देकर पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतार दिया था लेकिन...

By Jagran News Edited By: riya.pandey Updated: Wed, 21 Feb 2024 04:46 PM (IST)
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राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अखिलेश ने फेंका तुरुप का इक्का
कमलेश शर्मा, बदायूं। UP Politics: सपा के गढ़ में छिटकते मुस्लिम-यादव गठजोड़ को मजबूत करने के लिए पार्टी ने यहां से दो बार सांसद रहे धर्मेंद्र यादव को हटाकर तुरुप का इक्का फेंक दिया है। मुलायम सिंह यादव और बनवारी सिंह यादव के साथ शिवपाल सिंह यादव ने संगठन को मजबूत करने से लेकर कार्यकर्ताओं को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। कुछ पुराने कार्यकर्ताओं से अब भी उनका सीधा जुड़ाव रहा है।

धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ का प्रभारी बनाया गया है, उम्मीद की जा रही है कि वहीं से इन्हें पार्टी चुनाव मैदान में उतार सकती है। शिवपाल सिंह यादव के आने से अब जिले में चुनावी मुकाबला रोचक होता दिख रहा है। जिले में लोकसभा चुनाव की तैयारी के मामले में सपा ने सबसे पहले टिकट देकर पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतार दिया था। उन्होंने विधिवत चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया था।

इस बीच सपा में उथल-पुथल होने लगी थी। सबसे पहले भाजपा की सांसद डा. संघमित्रा मौर्य के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य राष्ट्रीय महासचिव पद के साथ सपा से किनारा किया। इसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और बदायूं से पांच बार सांसद रहे सलीम इकबाल शेरवानी ने भी राज्यसभा का टिकट न मिलने से पद छोड़ दिया है।

आंवला से टिकट न मिलने पर आबिज रजा के भी बदले तेवर

आंवला से टिकट न मिलने पर राष्ट्रीय सचिव आबिद रजा के तेवर भी बदल गए हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में सलीम शेरवानी कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतारे थे, आबिद रजा भी उनके साथ रहे थे। इस चुनाव में लगातार छह बार चुनाव जीतने वाली सपा को हार का सामना करना पड़ा था।

मुस्लिम मदताताओं में पनप रहे असंतोष को देखते हुए सपा ने यहां अपने वरिष्ठतम नेता को चुनाव समर में उतारकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है। धर्मेंद्र यादव ने अपने कार्यकाल में जिले को राजकीय मेडिकल कालेज, बरेली-बदायूं फोरलेन और ओवरब्रिज जैसे बड़े काम कराए थे, जिसकी वजह से उन्हें याद किया जाता है।

फिलहाल तो पार्टी ने उन्हें आजमगढ़ का प्रभारी बनाया है।

उप चुनाव में उन्होंने आजमगढ़ से चुनाव भी लड़ा था। इसलिए संभावना जताई जा रही है कि वहीं से पार्टी फिर इन्हें चुनावी समर में उतार सकती है। शिवपाल सिंह यादव के चुनाव मैदान में उतरने से अब सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के सामने भी चुनौती बढ़ गई है। निश्चित रूप से अब इस सीट पर चुनावी मुकाबला कांटे का होता दिखने लगा है।

कुछ यादव नेताओं की आंख के भी किरकिरी बने थे धर्मेंद्र यादव

जिले में पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव ने मुलायम सिंह यादव के मजबूत किले को सहेजने की भरपूर कोशिश तो की थी। बाहरी का लेबल हटाने के लिए उन्होंने यहां अपना आवास भी बनाया है। कुछ साल से सपा के कुछ यादव नेताओं की आंख के भी किरकिरी बन गए थे। सामने भले ही कोई नहीं बोल रहा था, लेकिन अंदरखाने उनके विरोध में सुर निकलने लगे थे।

जय गुरुदेव की संस्था से भी शिवपाल सिंह का गहरा जुड़ाव

मथुरा के जयगुरुदेव आश्रम से शिवपाल सिंह यादव का गहरा जुड़ाव है। पिछले कुछ महीनो से संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत पंकज महाराज ने जिलेभर में शाकाहार, सदाचार, मद्यनिषेध, अध्यात्मिक-वैचारिक जन जागरण यात्रा की थी। बाबा जय गुरुदेव के अनुयायियों को संगठित किया था। आश्रम से शिवपाल सिंह यादव का जुड़ाव भी उन्हें चुनाव में मजबूती दे सकता है।

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