PM Modi की रैली में वरुण गांधी क्यों नहीं हुए शामिल, पार्टी में क्या होगा उनका भविष्य? BJP प्रदेश अध्यक्ष ने दिया जवाब
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने मंगलवार को पीलीभीत पीएम मोदी की चुनावी सभा में पीलीभीत सांसद वरुण गांधी के न शामिल होने पर बदायूं लोकसभा सीट से संघमित्रा मौर्य के टिकट कटने के सवाल पर खुलकर जवाब दिया। उन्होनें कहा- कुछ व्यक्तिगत विषयों को लेकर उनके मन में पीड़ा थी हमने आपस में बातचीत करके समाधान कर लिया है।
जागरण संवाददाता, बदायूं। (Pilibhit Lok Sabha Seat) भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने पीलीभीत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुनावी सभा में सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) के शामिल न होने के सवाल पर कहा कि संगठन में सभी के अलग-अलग दायित्व हैं। हर जगह सभी का रहना आवश्यक नहीं हैं। पार्टी ने सभी के लिए अलग-अलग काम दिया है, उनके लिए कोई और काम सोचा होगा।
मंगलवार शाम पार्टी कार्यालय पर चुनाव संचालन समिति की बैठक के बाद मीडिया के सवालों के जवाब दे रहे थे। बरेली के सांसद संतोष गंगवार को टिकट कटने और समर्थकों के आक्रोश व्यक्त करते आडियो प्रसारित होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि संतोष गंगवार पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं। वह वरिष्ठ नेता हैं, उनसे मिलने गया था।
संतोष गंगवार को लेकर भूपेंद्र सिंह चौधरी ने दिया जवाब
कुछ व्यक्तिगत विषयों को लेकर उनके मन में पीड़ा थी, हमने आपस में बातचीत करके समाधान कर लिया है। बरेली में पूरी पार्टी एकजुट होकर प्रत्याशी के लिए काम करेगी। संतोष गंगवार चुनाव में प्रचार करेंगे। आडियो की मुझे जानकारी नहीं है। हां, कुछ लोगों ने आक्रोश व्यक्त किया था, बातचीत के बाद सभी सहमत हैं।बदायूं में संघमित्रा का टिकट क्यों कटा, इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि यह केंद्रीय चुनाव समिति तय करती है। हर किसी का चुनाव लड़ना जरूरी नहीं है, पार्टी जहां जिसकी उपयोगिता समझती है वहां उपयोग करती है। बीएल वर्मा भी कभी चुनाव नहीं लड़े, लेकिन राज्यसभा सदस्य बने और मंत्री हैं।
उन्होंने कहा कि हमने भी चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन साढ़े पांच साल मंत्री रहे। संघमित्रा भाजपा का हिस्सा हैं, उन्हें समायोजित कर सम्मानजनक स्थान दिया जाएगा।
संघमित्रा मौर्य को मैनपुरी से चुनाव लड़ाने की चर्चा पर कहा कि इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। केंद्रीय चुनाव समिति ही निर्णय लेगी।इसे भी पढ़ें: महाभारत काल से लेकर पलायन तक का साक्षी है कैराना, अंगराज कर्ण की नगरी में क्या है सियासी समीकरण; ग्राउंड रिपोर्ट
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