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चुनाव से बाहर रहकर भी क्यों चर्चा में रहीं स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी? काउंटिंग के दौरान भी सुनाई देता रहा संघमित्रा का नाम

लोकसभा चुनाव में संघमित्रा मौर्य (Sanghmitra Maurya) का सीटिंग सांसद रहते हुए टिकट भले ही कट गया लेकिन पूरे चुनाव में वह चर्चा में बनी रहीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंच पर उनकी आंखों में आंसू आने की इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुई वीडियो ने बहुत कुछ कह दिया था। इसके लिए उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी खरी-खोटी सुनाई थी लेकिन उन्होंने भाजपा नहीं छोड़ी।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Thu, 06 Jun 2024 03:07 PM (IST)
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चुनाव से बाहर रहकर भी क्यों चर्चा में रहीं स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी?
जागरण संवाददाता, बदायूं। लोकसभा चुनाव में संघमित्रा मौर्य (Sanghmitra Maurya) का सीटिंग सांसद रहते हुए टिकट भले ही कट गया, लेकिन पूरे चुनाव में वह चर्चा में बनी रहीं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंच पर उनकी आंखों में आंसू आने की इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुई वीडियो ने बहुत कुछ कह दिया था। इसके लिए उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने भी खरी-खोटी सुनाई थी, लेकिन उन्होंने भाजपा नहीं छोड़ी।

बदायूं सीट पर भाजपा की संघमित्रा मौर्य 26 साल बाद जीत दर्ज करने में कामयाब रही। इसके पीछे उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य का साया रहा, उस समय वह भाजपा में थे और जिले के प्रभारी मंत्री थे। जो कुछ जैसे भी हुआ, भाजपा ने सपा के गढ़ में परचम लहरा दिया था। बाद में स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में चले गए थे, इसको लेकर संघमित्रा पर सवाल तो उठते रहे, लेकिन उन्होंने भाजपा से अपना नाता नहीं तोड़ा था।

पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी उन्हें भरोसा दिलाता रहा कि चुनाव उन्हीं को लड़ाएगी, लेकिन अंतिम समय में उनका टिकट काट दिया गया। इसके बाद भी वह पार्टी प्रत्याशी दुर्विजय सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती रहीं, लेकिन जब तवज्जो मिलना कम हो गया तो वह खुद पीछे हट गई थीं।

वह अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य की वजह से भाजपा के अंदर हमेशा निशाने पर रही थीं। जिस समय प्रत्याशियों के चयन की सूची बना रही थी तभी से यह माना जा रहा था कि इस बार संघमित्रा मौर्य को अपने पिता की हमदर्दी के कारण टिकट से वंचित रहना पड़ सकता है और यह सच भी हुआ। पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया।

टिकट नहीं मिलने के बाद संघमित्रा मौर्य ने कहा था कि यह पार्टी का निर्णय है पार्टी का जो भी फैसला है वह उसी पार्टी में रहेंगी और पार्टी के लिए ही काम करती रहेंगी।

लोकसभा चुनाव के लिए मतगणना चल रही थी तब भाजपा कार्यकर्ताओं और विरोधी दलों के नेताओं की जुबान पर डॉ.संघमित्रा मौर्य का नाम चलता रहा। हालांकि भाजपा चुनाव हार चुकी है, लेकिन चुनाव न लड़कर भी संघमित्रा चर्चा में बनी रहीं।

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