Baghpat Lakshagraha: शेख बदरुद्दीन पर भड़कीं साध्वी प्राची, कहा- भारत की संस्कृति को मिटाना चाहते हैं ऐसे लोग
साध्वी प्राची ने कहा कि मेरी जन्मभूमि के पास ही बरनावा गांव में लाक्षागृह है। 40 साल पहले से मैं भी वहां गुफा देख रही हूं। हमने बाबर का नाम सुना हुमायूं का नाम सुना अकबर का नाम सुना और औरंगजेब का नाम सुना लेकिन अब ये बदरुद्दीन कहां से आ गया? प्राचीन टीले से बदरुद्दीन और फदरुद्दीन को कोई लेना देना नहीं है।
By Jagran NewsEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Fri, 22 Sep 2023 05:51 PM (IST)
बड़ौत, जागरण संवाददाता। बरनावा गांव में प्राचीन टीले को लेकर चल रहे विवाद पर साध्वी प्राची शेख बदरुद्दीन पर भड़क गईं। उन्होंने कहा कि बाबर, हुमायूं, अकबर और औरंगजेब को तो सुना था, लेकिन अब ये नया कौन आ गया बदरुद्दीन। महाभारत काल के प्राचीन टीले से बदरुद्दीन और फदरुद्दीन को कोई लेना देना नहीं है यह तो महाभारत काल का लाक्षागृह है। यह ऐतिहासिक धरोहर है और सरकार को यहां पर भव्य स्मारक बनाना चाहिए।
नगर में पहुंची साध्वी प्राची ने बयान देते हुए कहा कि मेरी जन्मभूमि के पास ही बरनावा गांव में लाक्षागृह है। 40 साल पहले से मैं भी वहां गुफा देख रही हूं। हमने बाबर का नाम सुना, हुमायूं का नाम सुना, अकबर का नाम सुना और औरंगजेब का नाम सुना, लेकिन अब ये बदरुद्दीन कहां से आ गया? प्राचीन टीले से बदरुद्दीन और फदरुद्दीन को कोई लेना देना नहीं है।ये हिंदुस्तान धर्मशाला है क्या? यहां आओ और पसरो और बच्चे पैदा करो। उसके बाद अपनी कब्र और मजारें बना दो। नए-नए नाम लेकर यहां आ रहे हैं। बदरुद्दीन जैसे लोग भारत की संस्कृति को मिटाना चाहते हैं।
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साध्वी प्राची ने किहा कि हिंदुस्तान में जन्मे उन लोगों को सोचना चाहिए जो लोग इस बारे में गवाही दे रहे हैं उनको सोचना चाहिए। यह महाभारत का लाक्षागृह है। महाभारत में प्राचीन टीले पर बने लाक्षागृह में बनी सुरंग से पांडव सुरक्षित निकले थे। इस बात का इतिहास भी साक्षी है और इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता है। अदालत में हमारे साथ न्याय होगा। यह हमारी प्राचीन धरोहर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रार्थना करती हूं। आप पूरे उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बना रहे हो लाक्षागृह को भी आप भव्य स्मारक बनाए। क्योंकि यह एतिहासिक धरोहर है। इसकी रक्षा और सुरक्षा करना सरकार का काम है। साध्वी प्राची ने कहा कि लाक्षागृह पर गुरुकल संचालित होता है बच्चे शिक्षा लेते हैं। वहां पर परम पूज्य कृष्णदत्त जी महाराज ने गुरुकल और गोशाला खोली थी। वह साधारण नहीं बल्कि ऋंगी ऋषि की आत्मा थे।
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