Baghpat News: दो अवैध कॉलोनियों पर चला प्रशासन का बुलडोजर, बिना नक्शा पास कराए बने प्लाटों की तोड़ी चारदीवारी
प्रशासन ने बागपत शहर में दो अवैध कॉलोनी में बुलडोजर चलवाकर प्लाटों की चारदीवारी और अन्य निर्माण ध्वस्त कराया है। बुलडोजर चलने से लोगों में खलबली मच गई लेकिन ध्वस्तीकरण का विरोध नहीं हुआ। आगे भी अभियान जारी रखने के लिए कहा गया है।
जागरण संवाददाता, बागपत: डिप्टी कलक्ट्रेट प्रभारी अजय कुमार तथा तहसीलदार प्रसून कश्यप ने राजस्व कर्मियों की टीम के साथ बुलडोजर लेकर यमुना पक्का घाट के पास काटे गए प्लाटों के मालिकों को आवाज लगाई लेकिन कोई नहीं आया। कुछ मिनट इंतजार करने के बाद अधिकारियों ने प्लाटों की चारदीवारी तथा अन्य निर्माण पर बुलडोजर चलवाना चालू किया। बुलडोजर चलते ही प्लाटिंग करने वालों तथा प्लाट खरीदने वालों में खलबली मच गई।
बिना नक्शा पास कराए बने प्लाट
तहसीलदार प्रसून कश्यप ने बताया कि दो अवैध कालोनियों में ध्वस्तीकरण किया है। विकास प्राधिकरण से कालोनी अप्रूव्ड नहीं थीं और न किसी प्लाट पर निर्माण को नक्शा पास कराया गया था। जमीन के स्वामित्व की जांच होगी। जांच में जमीन कालोनी काटने वालों की नहीं मिली तो कार्रवाई होगी।
प्रशासन को क्यों नजर नहीं आती अवैध कालोनी
जानकारी के मुताबिक, बागपत, बड़ौत तथा खेकड़ा और अग्रवाल मंडी टटीरी में अवैध कालोनियों की भरमार है। चप्पे-चप्पे पर अवैध निर्माण हो रहा है। रसूखदार बिना नक्शा पास कराए सरेआम प्लाटों की खरीद-फरोख्त करते हैं, मगर विकास प्राधिकरण व प्रशासन के अधिकारियों को अवैध निर्माण शायद नहीं दिखता। विकास प्राधिकरण से बिना नक्शा पास कराए व बिना अप्रूवल कालोनियां विकसित कर चुके या कर रहे रसूखदार पर हाथ डालने की जहमत अधिकारी नहीं उठाते।
अवैध निर्माण के जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं?
सवाल है कि अवैध कालोनियों तथा निर्माण पर नोटिस देकर अधिकारी कार्रवाई करना यानी ध्वस्तीकरण कराना भूल क्यों जाते हैं। यह अक्सर देखने में आता है कि अधिकारी बुलडोजर लेकर जाते हैं, लेकिन थोड़ा बहुत ध्वस्तीकरण कराने के बाद मामला शांत क्यों हो जाता है। नगर पालिका परिषद बागपत की यमुना खादर की जमीन पर अवैध कब्जा है जो शायद अधिकारियों को नजर नहीं आता है। बागपत शहर में कब्रिस्तान की जमीन पर चंद रोज पहले सात मकान तोड़े गए तब लोगों ने ये सवाल किया कि दस साल से ये निर्माण राजस्व विभाग को नजर क्यों नहीं आया। रजिस्ट्री कैसे हुई व इसके जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई।