Lunar Eclipse 2022: चंद्रग्रहण के दौरान बंद रहे मंदिरों के कपाट, जाप के साथ की गईं शांति की कामनाएं
Lunar Eclipse 2022 ग्रहण के दौरान लोगों ने भी बरती सावधानियां नहीं किए प्रतिबंधित कार्य। ग्रहण की समाप्ति के बाद मंदिरों में गंगा जल से छिड़काव कर किया शुद्धिकरण। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन बनाना और खाना वर्जित होता है।
बागपत, जागरण संवाददाता। Lunar Eclipse 2022 साल का आखिरी चंद्र ग्रहण मंगलवार की शाम 5.30 बजे शुरू हो गया था, जो शाम 6.20 बजे समाप्त हुआ। ग्रहण की अवधि के दौरान लोगों ने सावधानियां बरती। मान्यताओं के अनुसार नियमों का पालन किया गया। सूतक काल के दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए। सूतक काल से लेकर ग्रहण के शुरू होने और समाप्ति तक मंदिरों में शांति के लिए धर्मगुरुओं ने जाप किए।
मंदिरों के कपाट बंद
चंद्र ग्रहण का सूतक काल शुरू होते ही शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लग गया। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन बनाना और खाना वर्जित होता है। किसी भी प्रकार की पूजा अर्चना नहीं जाती है।। भगवान के नाम का जाप किया जाता है। मान्यता के अनुसार गर्भवती महिलाएं घर से बाहर नहीं निकली चाहिए। चाकू, कैंची का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
गंगा जल का छिड़काव
मान्यता के अनुसार लोगों ने चंद्र ग्रहण शुरू होते ही खाने-पीने की वस्तुओं में तुलसी के पत्ते डाल दिए। माना जाता है इस विधि से ग्रहण का प्रभाव कम हो जाता है। चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद मंदिरों में शुद्धिकरण के लिए गंगा जल का छिड़काव किया गया। ज्योतिषाचार्य पंडित राजकुमार शास्त्री ने बताया कि ग्रहण के बाद अन्न दान जरूर करना चाहिए। शहर के पक्का घाट मंदिर के मुख्य पुजारी उद्धव स्वरूप ने मंदिर में विद्यार्थियों के साथ ग्रहण शुरू होने से लेकर समाप्ति तक जाप किया। उसके बाद गंगा जल का छिड़काव कराते हुए शुद्धिकरण किया।