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Chaudhary Charan Singh: क‍िसानों के मसीहा और गाय प्रेमी, व‍िरोधी भी थे ज‍िनकी ईमानदारी के कायल; ऐसा था चौधरी साहब का जीवन

Chaudhary Charan Singh Biography In Hindi चौ. चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ की बाबूगढ़ छावनी के पास नूरपुर गांव में हुआ था। 1926 में मेरठ कालेज से कानून की डिग्री प्राप्त की। बागपत को कर्मस्थली बना प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। 29 मई 1987 को उनका निधन हुआ। भारतीय राजनीति में मील का पत्थर साबित हुए चौधरी साहब के विरोधी भी उनकी ईमानदारी के कायल रहे।

By Vinay Saxena Edited By: Vinay Saxena Updated: Fri, 09 Feb 2024 01:25 PM (IST)
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केंद्र सरकार ने चौधरी चरण स‍िंह को भारत रत्न देने का क‍िया एलान।
ड‍िजिटल डेस्‍क, नई द‍िल्ली। केंद्र सरकार ने चौधरी चरण स‍िंह (Chaudhary Charan Singh) को भारत रत्न देने का एलान क‍िया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने शुक्रवार को एक्‍स पर एक पोस्‍ट में ल‍िखा, "हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है।'' स्वर्गीय चौधरी चरण स‍िंह का जीवन एक खुली क‍िताब था, ज‍िसपर कोई दाग नहीं लगा। आइए जानते हैं कैसा रहा चौधरी साहब जीवन...

चौ. चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ की बाबूगढ़ छावनी के पास नूरपुर गांव में हुआ था। 1926 में मेरठ कालेज से कानून की डिग्री प्राप्त की। बागपत को कर्मस्थली बना प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। 29 मई 1987 को उनका निधन हुआ।

गाय को बेचने के खि‍लाफ थे चौधरी साहब  

स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजी शासन की नाक में दम करने वाले चौधरी साहब ने हमेशा गांव गरीब एवं किसानों की आवाज को बुलंद किया। चौधरी साहब गाय को बेचने के खिलाफ थे।

व‍िरोधी भी थे चौधरी साहब के ईनामदारी के कायल

भारतीय राजनीति में मील का पत्थर साबित हुए चौधरी साहब के विरोधी भी उनकी ईमानदारी के कायल रहे। निधन के 36 साल बाद भी उनकी प्रासंगिकता की मिसाल यह है कि मंच किसी भी राजनीत दल का हो, लेकिन चौधरी साहब का नाम लिए बिना बात शुरू नहीं होती। ‘धरा पुत्र चौधरी चरण सिंह और उनकी विरासत’ पुस्तक के अनुसार, चौधरी साहब ने सितंबर 1970 में मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने की घोषणा की तब वह कानपुर में दौरे पर थे। वहीं से सरकारी गाड़ी वापस की तथा प्राइवेट वाहन से लखनऊ पहुंचे।

मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने के बाद उन्होंने अपनी गाय को तबके सूचना निदेशक पंडित बलभद्र प्रसाद मिश्र को दिया। तब कहा था कि त्यागपत्र देने से बंगला, नौकर-चाकर गए। गाय की देखभाल कौन करेगा? गाय हमारे यहां बेची नहीं जाती इसलिए आप ले जाइए। चौधरी साहब ने 1954 में कृषि उपज बढ़ाेतरी को मिट्टी की जांच व्यवस्था शुरू कराई तथा अंग्रेजी जमाने का वह कानून खत्म कराया जिसमें नहर पटरी पर ग्रामीणों के चलने पर रोक थी। नाबार्ड की स्थापना की।

चौधरी साहब के बेम‍िसाल काम

  • जमींदारी उन्मूलन अधिनियम
  • पटवारी राज से मुक्ति
  • चकबंदी अधिनियम
  • कृषि आय आयकर मुक्त
  • वायरलेस युक्त पुलिस गश्त
  • जोत-बही दिलाने
  • कृषि उपज की अंतर्राज्यीय आवाजाही पर रोक हटाने जैसे सराहनीय काम किए।
  • जातिवाद के थे कट्टर विरोधी
रालोद नेता ओमबीर ढाका बताते हैं कि चौधरी साहब ने जातिवाद समाप्त करने को अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा दिया। रालोद राष्ट्रीय महासचिव सुखबीर गठीना ने बताया कि चौधरी साहब ने जवाहरलाल नेहरू के सहकारी खेती के प्रस्ताव का विरोध कर किसानों को सहकारी खेती के शिकंजे से बचाया।

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