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Chaudhary Charan Singh: जब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद कहा था 'गाय हमारे यहां बेची नहीं जाती आप ले जाइए'

Chaudhary Charan Singh खुली किताब था देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जीवन।ग्रामीण विकास को नाबार्ड की स्थापना की। किसानों के लिए आयकर मुक्त की खेती। मेरठ कालेज से कानून की डिग्री प्राप्त करने के बाद बागपत को बनाया था कर्मस्थली।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Mon, 29 May 2023 09:44 AM (IST)
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Chaudhary Charan Singh: गाय को बेचने के खिलाफ थे चौधरी साहब
बागपत, जागरण टीम, (जहीर हसन)। आज सोमवार को किसानों के मसीहा स्वर्गीय चौ. चरण सिंह की पुण्यतिथि है। प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे चौधरी साहब का जीवन खुली किताब था, जिसपर कोई दाग नहीं लगा। स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजी शासन की नाक में दम करने वाले चौधरी साहब ने हमेशा गांव गरीब एवं किसानों की आवाज को बुलंद किया। चौधरी साहब गाय को बेचने के खिलाफ थे।

ईमानदारी के कायल रहे विरोधी

भारतीय राजनीति में मील का पत्थर साबित हुए चौधरी साहब के विरोधी भी उनकी ईमानदारी के कायल रहे। निधन के 36 साल बाद भी उनकी प्रासंगिकता की मिसाल यह है कि मंच किसी भी राजनीत दल का हो लेकिन चौधरी साहब का नाम लिए बिना बात शुरू नहीं होती। ‘धरा पुत्र चौधरी चरण सिंह और उनकी विरासत’ पुस्तक के अनुसार, चौधरी साहब ने सितंबर 1970 में मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने की घोषणा की तब वह कानपुर में दौरे पर थे। वहीं से सरकारी गाड़ी वापस की तथा प्राइवेट वाहन से लखनऊ पहुंचे।

गाय हमारे यहां नहीं बेची जाती, आप ले जाइए

मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने के बाद उन्होंने अपनी गाय को तबके सूचना निदेशक पंडित बलभद्र प्रसाद मिश्र को दिया। तब कहा था कि त्यागपत्र देने से बंगला, नौकर-चाकर गए। गाय की देखभाल कौन करेगा? गाय हमारे यहां बेची नहीं जाती इसलिए आप ले जाइए। चौधरी साहब ने 1954 में कृषि उपज बढ़ाेतरी को मिट्टी की जांच व्यवस्था शुरू कराई तथा अंग्रेजी जमाने का वह कानून खत्म कराया जिसमें नहर पटरी पर ग्रामीणों के चलने पर रोक थी। नाबार्ड की स्थापना की।

और भी काम बेमिसाल

  • जमींदारी उन्मूलन अधिनियम
  • पटवारी राज से मुक्ति
  • चकबंदी अधिनियम
  • कृषि आय आयकर मुक्त
  • वायरलेस युक्त पुलिस गश्त
  • जोत-बही दिलाने
  • कृषि उपज की अंतर्राज्यीय आवाजाही पर रोक हटाने जैसे सराहनीय काम किए।

जातिवाद के थे कट्टर विरोधी

रालोद नेता ओमबीर ढाका बताते हैं कि चौधरी साहब ने जातिवाद समाप्त करने को अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा दिया। रालोद राष्ट्रीय महासचिव सुखबीर गठीना ने बताया कि चौधरी साहब ने जवाहरलाल नेहरू के सहकारी खेती के प्रस्ताव का विरोध कर किसानों को सहकारी खेती के शिकंजे से बचाया।

B29 मई 1987 को निधन

चौ.चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को हापुड़ की बाबूगढ़ छावनी के पास नूरपुर गांव में हुआ था। 1926 में मेरठ कालेज से कानून की डिग्री प्राप्त की। बागपत को कर्मस्थली बना प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। 29 मई 1987 को उनका निधन हुआ।  

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