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Hospital Fire: यहां भी देख ले सरकार! 3 फायर एक्सटिंग्विशर के सहारे अस्पताल, SNCU में फायर अलार्म भी ठप

झांसी मेडिकल कॉलेज में अग्निकांड हुआ तो सरकार की नींद खुली है। जगह जगह अस्पतालों में चेकिंग की जा रही है। बागपत के जिला अस्पताल में सिर्फ तीन आग बुझाने वाले सिलेंडर हैं। इसी के सहारे हॉस्पिटल चल रहा है। इतना ही नहीं अस्पताल के SNCU में सेफ्टी अलार्म भी खराब पड़ा है। साथ ही पानी का भी प्रबंध नहीं है।

By Surendra Kumar Kashyap Edited By: Sakshi Gupta Updated: Sat, 16 Nov 2024 09:08 PM (IST)
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जिला अस्पताल में सिर्फ तीन ही आग बुझाने वाले सिलेंडर हैं। (तस्वीर जागरण)
जागरण संवाददाता, बागपत। जिला संयुक्त चिकित्सा के महिला और पुरुष अस्पताल के भवन को देख यह मत समझ लीजियेगा कि यहां सभी सुविधाएं दुरुस्त हैं। आग की घटना घटित हुई तो स्थिति भयावह बन सकती है। जिला अस्पताल प्रशासन के पास में हाथ खड़े करने के अलावा कोई कोई प्रबंध नहीं है। वैसे हर साल या छह माह में फायर ऑडिट तो होता है, लेकिन संसाधनों को दुरुस्त कराने पर ध्यान नहीं दिया जाता है।

झांसी जनपद में स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में बने एनआइसीयू में 15 नवंबर की रात भयावह घटना घटित हुई है। घटना को सुनकर हर कोई सिहर उठा है। घटना इतनी बड़ी है कि झांसी ही नहीं, पूरे प्रदेश में इसकी गूंज पहुंची है। जिला संयुक्त चिकित्सालय की स्थिति भी कुछ ऐसी हालत की ओर इशारा कर रही है। यहां पर आग से बचाव के पुख्ता इंतजाम नहीं है। अगर सिर्फ एसएनसीयू (विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई) की बात करें तो यहां आग से बचाव की सुरक्षा नाकाफी है। पहले यहां आग बुझाने वाले मात्र तीन सिलेंडर दीवारों पर लटका रखे थे। झांसी में आग की घटना हुई तो यहां तीन और सिलेंडर लगवाए गए हैं।

इसके अलावा अन्य कोई आग से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं है। आग से बचाव के लिए फायर अलार्म ठप पड़े हुए हैं। पानी की यहां कोई उचित व्यवस्था नहीं है। एसएनसीयू वॉर्ड भी ऐसी जगह बना है, जहां कोई हादसा हो जाए तो बच्चों को निकालना मुश्किल होगा। कुल मिलाकर बच्चों की सुरक्षा आग बुझाने वाले सिलेंडरों के सहारे है। इसके अलावा प्रसूता महिलाओं की सुरक्षा पर भी यहां संकट गहरा है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। जिला संयुक्त चिकित्साल ही नहीं, सीएचसी में भी कुछ ऐसी ही व्यवस्था है, जिसमें सुधार की बेहतर जरूरत है।

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वर्षों से हो रहा है फायर ऑडिट, क्यों नहीं हो रहा इंतजाम?

जिला संयुक्त चिकित्सालय में हर वर्ष या कभी-कभी छह माह में भी फायर ऑडिट होता है। ऑडिट में बिजली की तार और आग बुझाने की व्यवस्थाओं को देखा जाता है। अब सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि जब हर वर्ष ऑडिट होता है तो कि फायर अलार्म और पानी की व्यवस्था आज तक क्यों नहीं कराई गई है। यहां पर मिट्टी या रेत से भरी बाल्टियां तक नहीं रखवाई गई हैं, जबकि अस्पताल में फायर अलार्म का होना बहुत जरूरी है।

झांसी में अग्निकांड हुआ तो याद आया निरीक्षण

झांसी के मेडिकल कॉलेज में हुए अग्निकांड के बाद जिला प्रशासन को भी सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण याद आ गया है। घटना का पता चलते ही सभी सीएचसी और जिला अस्पताल का निरीक्षण शुरू कर दिया है। यहां आग को बुझाने वाले यंत्रों की जांच कराई गई है। प्रशासनिक, स्वास्थ्य विभाग और दमकल विभाग के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से निरीक्षण कर संबंधित चिकित्सा अधिकारियों को व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए निर्देशित कर रहे हैं। निरीक्षण के दौरान एडीएम पंकज वर्मा, एसडीएम अविनाश त्रिपाठी, सीएमओ डा. तीरथ लाल, सीएफओ राघवेंद्र प्रताप सिंह और अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

मौसम ठंडा हुआ तो बिजली का ओवरलोड हुआ कम

गर्मी के मौसम में जिला अस्पताल में बिजली का ओवरलोड चल रहा था। आए दिन तारों में शॉर्ट सर्किट हो रहा था। अब मौसम ठंडा हुअ तो ओवरलोड कम हो गया है। जिस वजह से जिला अस्पताल का ओवरलोड कम हो गया है। अब शॉर्ट सर्किट का खतरा कम रहेगा।

व्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएंगी- मुख्य चिकित्सा अधीक्षक

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसके चौधरी ने बताया कि जिला अस्पताल में आग बुझाने के संसाधन पर्याप्त हैं। पानी की थोड़ा कमी थी। पाइप की व्यवस्था के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा हुआ है। फायर उपकरणों के लिए एक संस्था नामित की गई है। जल्द उनसे फायर से जुड़ी सभी व्यवस्था को दुरुस्त कराया जाएगा। एसएनसीयू वॉर्ड हो या अन्य वॉर्ड, आग की घटना को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। अस्पताल प्रशासन हर समय अलर्ट रहता है।

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. तीरथ लाल ने बताया कि सभी सीएचसी हो या पीएचसी, आग से बचाव के उचित प्रबंधक रखने के लिए सभी सीएचसी के अधीक्षक ओर पीएचसी के प्रभारियों को निर्देशित किया है। वहीं, प्राइवेट नर्सिंग होम के लिए भी यह आदेश रहेंगे।

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