आसान नहीं सफर, मंत्री पद मिलने के बाद Jayant Chaudhary के सामने ये चुनौतियां; असली परीक्षा तो अब होगी शुरू
भाजपा से हाथ मिलाने पर रालोद का राजनीतिक वनवास खत्म हो गया। दो सांसद और दस विधायक पास में हैं। अब जयन्त चौधरी को पीएम नरेंद्र मोदी सरकार 3.0 में मंत्री पद भी मिल चुका है। रालोद में जश्न है लेकिन उनकी असली परीक्षा अब है। उनके सामने निवर्तमान सांसद डा. सत्यपाल सिंह की विकास की खींची लकीर को छोटी करना बडी चुनौती होगी।
जहीर हसन, बागपत। भाजपा से हाथ मिलाने पर रालोद का राजनीतिक वनवास खत्म हो गया। दो सांसद और दस विधायक पास में हैं। अब जयन्त चौधरी को पीएम नरेंद्र मोदी सरकार 3.0 में मंत्री पद भी मिल चुका है। रालोद में जश्न है लेकिन उनकी असली परीक्षा अब है। उनके सामने निवर्तमान सांसद डा. सत्यपाल सिंह की विकास की खींची लकीर को छोटी करना बडी चुनौती होगी। 90 साल से बागपत चौधरी परिवार का किला रहा है।
भारत रत्न स्व. चौधरी चरण सिंह प्रदेश सरकार में कई बार मंत्री, दो बार मुख्यमंत्री तथा तीन बार सांसद रहे थे। केंद्र में गृह मंत्री तथा प्रधानमंत्री बने। उनके निधन के बाद उनके पुत्र स्व. अजित सिंह बागपत से सात बार सांसद चुने गए थे लेकिन वर्ष 2014 में हार गए थे।
मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से इस्तीफा देकर आए डा. सत्यपाल सिंह सांसद बने तो उन्होंने बागपत में दस साल के दौरान दो हाईवे, आर्थिक कोरिडोर, केंद्रीय विद्यालय, आइटीआइ, स्टेडियम, रेलवे लाइन विद्युतीकरण, रमाला चीनी मिल में नया प्लांट, सिलाना कलस्टर में विकास, अमूल दुग्ध प्लांट, आयुष अस्पताल, रेलवे फाटकों पर ओवर ब्रिज, यमुना पुल निर्माण आदि कार्य कराए। अब जयन्त के सामने अब विकास की बड़ी लकीर खींचना चुनौती होगी।
जयन्त की चुनौतियां
अच्छे एवं सस्ते घरों के लिए आवासीय कालोनी, सड़कों का निर्माण, व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा, यमुना-हिंडन को प्रदूषण मुक्त, टूरिज्म विकास, मेट्रो ट्रेन या रैपिड रेल, रेल मार्ग दोहरीकरण की दरकार है। 22 गांवों को यूपी हरियाणा सीमा विवाद तथा बाढ़ कटान से मुक्ति दिलाना, चीनी मिल बागपत में नया प्लांट, जनता वैदिक डिग्री कालेज बड़ौत को कृषि विश्वविद्यालय का दर्जा छोटी चुनौती नहीं होगी।