जयंत ने राजकुमार सांगवान को सौंपी विरासत, 90 साल से चौधरी परिवार बागपत से करता आया राजनीति
भारत रत्न स्व. चौधरी चरण सिंह ने 90 साल पहले जिस बागपत की सरजमीं से सियासी सफर शुरू किया था अब उस विरासत को उनके पौत्र जयन्त चौधरी ने राजकुमार सांगवान को सौंप दिया। जैसे ही राजकुमार सांगवान को बागपत से रालोद का उम्मीदवार घोषित करने की खबर आई वैसे ही न केवल आम जन बल्कि राजनीति के धुरंधरों को भी एक बार तो यकीन ही नहीं हुआ।
जहीर हसन, बागपत। भारत रत्न स्व. चौधरी चरण सिंह ने 90 साल पहले जिस बागपत की सरजमीं से सियासी सफर शुरू किया था अब उस विरासत को उनके पौत्र जयन्त चौधरी ने राजकुमार सांगवान को सौंप दिया। जैसे ही राजकुमार सांगवान को बागपत से रालोद का उम्मीदवार घोषित करने की खबर आई वैसे ही न केवल आम जन, बल्कि राजनीति के धुरंधरों को भी एक बार तो यकीन ही नहीं हुआ।
पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह ने गुलाम भारत में 1935 से छपरौली से सियासी सफर शुरू कर आजाद भारत में मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने का शानदार मिसाल पेश की थी। ये चौधरी साहब ही थे जिन्होंने देश को किसान राजनीति दी।
मुजफ्फरनगर से लड़ा था लोकसभा का पहला चुनाव
पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में संभव ही नहीं है कि कोई दल चौधरी साहब का नाम लिए बिना राजनीति कर सके। चौधरी साहब को यह ताकत मिली बागपत से। चौधरी साहब 1935 से छपरौली से लगातार विधायक चुने जाते रहे। उन्होंने 1971 में लोकसभा का पहला चुनाव लड़ा मुजफ्फरनगर से लेकिन हार मिली।मुजफ्फरनगर में पराजित होने के बाद चौधरी साहब ने 1967 में लोकसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस विरोधी लहर में जीत का शानदार परचम फहरा राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में छा गए। 1980 में मध्यावधि चुनाव में जीते। 1985 में फिर चुनाव जीते लेकिन 1987 में उनके निधन के बाद उनके पुत्र स्व. चौधरी अजित सिंह सात बार बागपत से सांसद चुने गए। हालांकि स्व. अजित सिंह 1998 तथा 2014 में क्रमश: भाजपा के सोमपाल शास्त्री तथा डा. सत्यपाल सिंह से चुनाव हारे भी।
2019 में चौधरी अजित सिंह के मुजफफरनगर से चुनाव लड़ने पर बागपत से रालोद के अध्यक्ष जयन्त चौधरी ने चुनाव लड़ा। यूं दोनों ही पिता-पुत्रों को हार का सामना करना पड़ा।
बात साफ है 47 साल से बागपत लोकसभा सीट से चौधरी परिवार के सदस्य चुनाव लड़ते रहे थे। पहली बार ऐसा होगा जो रालोद के झंडे से चौधरी परिवार से इतर कोई चुनाव की रणभूमि में दो-दो हाथ करेगा, क्योंकि जयन्त ने चौधरी परिवार की सियासी विरासत राजकुमार सांगवान को उम्मीदवार बनाकर सौंप दी है।
यूं जयन्त चौधरी के इस कदम से हर कोई आश्चर्यचकित रह गया। किसी को उम्मीद ही नहीं थी कि वे चौधरी परिवार से इतर किसी दूसरे को अपनी परंपरागत सीट बागपत से उम्मीदवार बना सकते हैं। एक बार तो राजनीति के धुरंधर खिलाड़ियों को भी यकीन नहीं हुआ कि जयन्त चौधरी ने बागपत से राजकुमार सांगवान को विरासत की पगड़ी बांधी है।
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