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UP News: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर होगा पुरा महादेव मंदिर का विकास! धार्मिक पर्यटन को मिलेगी नई पहचान

मान्यता है कि जहां पर परशुरामेश्वर पुरामहादेव मंदिर है यहां काफी पहले कजरी वन हुआ करता था। इसी वन में जमदग्नि ऋषि अपनी पत्नी रेणुका सहित अपने आश्रम में रहते थे। आज इस मंदिर पर शिवरात्रि पर भगवान भाेले को कांवड़ चढ़ाने के लिए भक्त हरिद्वार से गंगाजल लेकर आते हैं। बड़ी संख्या में शिवभक्त यहां हर सोमवार को उमड़ते हैं।

By Jaheer Hasan Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sat, 12 Oct 2024 02:12 PM (IST)
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UP News: पुरा महादेव मंदिर बागपत। जागरण आर्काइव

जागरण संवाददाता, बागपत। सांसद डा. राजकुमार सांगवान की मांग पर आयुक्त एवं निदेशक धर्मार्थ कार्य विभाग ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तर्ज पर बागपत के पुरा महादेव मंदिर के विकास के लिए डीएम से रिपोर्ट तलब की है। यदि वाकई काशी विश्वनाथ कारीडोर की तर्ज पर विकास हुआ तो न केवल पुरा महादेव बल्कि बागपत जिला धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में दुनिया में नई पहचान बनाएगा।

सांसद ने की थी सीएम से मुलाकात

सांसद ने गत माह लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर पुरा महादेव मंदिर की महत्ता बताकर यहां काशी विश्वनाथ कारीडोर की तर्ज पर विकास की मांग की थी। आयुक्त एवं निदेशक धर्मार्थ कार्य विभाग ने शासन के आदेश पर बागपत डीएम से पुरा महादेव की जानकारी तलब की। सांसद ने बताया कि शासन ने डीएम से मंदिर की भूमि, भवन एरिया, बिल्डअप एरिया की नवैयत, मंदिर की भूमि सार्वजनिक या व्यक्तिगत, संबंधित के राजस्व अभिलेख, मंदिर कितने वर्ष पुराना है तथा उसका प्रबंधन किसके पास है।

मंदिर के क्षेत्रफल की मांगी जानकारी

मंदिर यदि सोसाइटी से पंजीकृत हो तो उसकी पंजीकरण संख्या क्या है तथा मंदिर से संबंधित अन्य संपत्ति कृषि भूमि, दुकानें अस्पताल और स्कूल आदि का क्षेत्रफल जैसी जानकारी मांगी गई है। पुरा महादेव मंदिर परिसर को काशी विश्वनाथ कारीडोर की तर्ज पर विकसित करने से मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। पुरा महादेव की धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में विश्व में नई पहचान बनेगी।

यहां रोका था प्रभु श्रीराम का घोड़ा

सासंद डा. राजकुमार सांगवान ने कहा कि पुरा महादेव मंदिर से तीन किलोमीटर दूर बालैनी में महर्षि वाल्मीकि जी का प्राचीन मंदिर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ताज्य होने पर सीता मैया यहीं आकर रहीं थीं। यहीं लव-कुश जी का जन्म हुआ था। प्रभु श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ को घाेड़ा छोड़ा जिसके वाल्मीकि मंदिर पहुंचने पर लव कुश जी ने उसे रोका था। कहने का मतलब यह है कि पुरा महादेव मंदिर तथा आसपास का क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है। आदि काल से पुरा मंदिर में शिव की आराधना एक ही परिवार के लोगों द्वारा अवैतनिक रूप से की जा रही है। वर्तमान में पंडित जय भगवान शर्मा, पंडित मनोज शर्मा एवं पंडित आशुतोष शर्मा द्वारा पूजा अर्चना की जा रही है।

पुरामहादेव का प्राचीन मंदिर।

दो वर्ष पूर्व बनाया गया किसान भवन

दो वर्ष पूर्व तक पुरा महादेव मंदिर में दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के रात में रुकने एवं विश्राम के लिए कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी। दो साल पूर्व रालोद नेता सुनील रोहटा ने अपने प्रयासों से धर्मशाला का निर्माण कराया। इसमें 10 कमरे, दो बड़े हाल के साथ महिलाओं एवं रुकने वालों के लिए शौचालय एवं मंदिर के गर्भ गृह तक कांवड़ियों के पहुंचने के लिए कॉरिडोर का निर्माण कराया गया।

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इस धर्मशाला का निर्माण पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह जी की स्मृति में कराया गया। इस धर्मशाला को किसान भवन नाम दिया था। इस किसान भवन का विस्तार करते हुए आठ कमरे, एक बड़ा हॉल और शौचालय बनकर तैयार होने वाले हैं। दूसरे भवन का कारीडोर तैयार है। इसको इस वर्ष कांवड़ियों की सेवा के लिए खोल दिया गया था।

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