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NDA में शामिल हो सकते हैं जयन्त चौधरी? सपा के साथ सीट बंटवारे पर फंसा पेंच; इस कार्यक्रम के टलने से सियासी हलचल तेज

UP Politics छपरौली में 12 फरवरी को चौधरी अजित सिंह की प्रतिमा अनावरण का कार्यक्रम टल गया है। राष्ट्रीय लोकदल इस कार्यक्रम की बड़े स्तर पर तैयारियां कर रहा था। कई दिन पहले से इसके लिए प्रचार-प्रसार शुरू हो गया था। रालोद अध्यक्ष जयन्त चौधरी को इस कार्यक्रम में आना था। कई जिलों के कार्यकर्ताओं ने आस्तीन चढ़ा रखी थी।

By Ashu Singh Edited By: Abhishek Pandey Updated: Mon, 05 Feb 2024 10:42 PM (IST)
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NDA में शामिल हो सकते हैं जयन्त चौधरी? सपा के साथ सीट बंटवारे पर फंसा पेंच
आशु सिंह, बागपत।  छपरौली में 12 फरवरी को चौधरी अजित सिंह की प्रतिमा अनावरण का कार्यक्रम टल गया है। राष्ट्रीय लोकदल इस कार्यक्रम की बड़े स्तर पर तैयारियां कर रहा था। कई दिन पहले से इसके लिए प्रचार-प्रसार शुरू हो गया था।

रालोद अध्यक्ष जयन्त चौधरी को इस कार्यक्रम में आना था। कई जिलों के कार्यकर्ताओं ने आस्तीन चढ़ा रखी थी। इतने बड़े कार्यक्रम के अचानक टल जाने से राजनीतिक गलियारों में इसके अनन्य कारणों पर चर्चा शुरू हो गई। एक वर्ग इसे रालोद की एनडीए से नजदीकी के तौर पर भी देख रहा है।

12 फरवरी को है अजित सिंह की जन्मतिथि

12 फरवरी पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत अजित सिंह की जन्मतिथि है। इस अवसर पर छपरौली के श्री विद्या मंदिर इंटर कालेज में उनकी 12 कुंतल वजनी आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया जाना था। इस कार्यक्रम को रालोद के लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के श्रीगणेश के तौर पर भी देखा जा रहा था। इस कार्यक्रम के टलने से एक बार फिर रालोद के आइएनडीआइए या एनडीए के साथ जाने के नफे-नुकसान का आकलन शुरू हो गया है।

यूं तो प्रदेश में रालोद का समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन हो चुका है। रालोद के हिस्से में सात सीटें आई हैं। ये बागपत, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ या अमरोहा, हाथरस और मथुरा हैं, लेकिन सपा की ओर से कुछ शर्तें लगा देने से गठबंधन में अभी से दरार नजर आने लगी है।

मुजफ्फरनगर सीट पर फंसा पेंच

सूत्रों के अनुसार, सपा ने कैराना, मुजफ्फरनगर और बिजनौर में प्रत्याशी अपना और निशान रालोद का रहने की शर्त रखी है। रालोद कैराना और बिजनौर पर तो राजी है, लेकिन मुजफ्फरनगर पर पेच फंस गया। रालोद ने ऐसी स्थिति में अपने हिस्से की सीटें बढ़ाने की बात रखी।

रालोद के मुजफ्फरनगर न छोड़ने के वाजिब कारण भी हैं। यहां से पिछला चुनाव चौधरी अजित सिंह मात्र साढ़े छह हजार वोटों से भाजपा के डॉ. संजीव बालियान से हारे थे। इस लोस सीट के अंतर्गत आने वाली पांच विधासनभा सीटों में से दो बुढ़ाना और खतौली पर रालोद का कब्जा है।

खतौली सीट रालोद ने उपचुनाव में जीती थी। उधर, कांग्रेस और सपा के बीच भी बात बनती नहीं दिख रही। कांग्रेस 11 सीटों से संतुष्ट नहीं है।

राजनीतिक गलियारों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के उदाहरण देकर चर्चा गरम है कि सियासत में कभी भी कुछ भी हो सकता है। बता दें कि इससे पहले चार फरवरी को मथुरा में रालोद का युवा संसद कार्यक्रम भी खराब मौसम का कारण बताकर स्थगित कर दिया गया था।

रालोद प्रदेश मीडिया संयोजक सुनील रोहटा ने बताया कि चौधरी अजित सिंह जी की प्रतिमा का वजन अधिक होने के कारण मजबूत बेस स्ट्रक्चर की जरूरत है। मौसम की वजह से स्तरीय स्ट्रक्चर निर्माण में अधिक समय लग रहा है। इसके चलते कार्यक्रम को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। प्रतिमा अनावरण समारोह की अगली तिथि जल्द ही घोषित की जाएगी।

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