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रालोद से छह साल का साथ छोड़ गए शाहिद सिद्दीकी; विधायक गुलाम मोहम्मद बोले, मुस्लिम जानता है कौन करता है उनके हितों की बात...

Baghpat News In Hindi लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के बाद मेरठ में हुई एनडीए की पहली रैली के अगले ही दिन शाहिद सिद्दीकी ने रालोद छोडकर अपना छह साल पुराना नाता तोड़ लिया है। उन्होंने भी मोदी विरोधी नेताओं की तर्ज पर लोकतंत्र की दुहाई देकर जयन्त का साथ छोड़ा है। उनके इस कदम के बाद रालोद विधायक की प्रतिक्रिया भी सामने आई है।

By Ashu Singh Edited By: Abhishek Saxena Updated: Mon, 01 Apr 2024 05:53 PM (IST)
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लोकतंत्र की दुहाई देकर शाहिद सिद्दीकी ने छोड़ा रालोद

जागरण संवाददाता, बागपत। मेरठ में हुई एनडीए की पहली रैली के अगले ही दिन राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दीकी ने पार्टी से अपना छह साल पुराना नाता तोड़ लिया। उन्होंने भी लोकतंत्र की दुहाई देकर जयन्त का साथ छोड़ा।

शाहिद सिद्दीकी छह साल से रालोद में थे। उन्होंने एक्स पर बयान जारी करते हुए कि वे चौ. चरण सिंह का बहुत सम्मान करते हैं इसीलिए उनको भारत रत्न मिलने के फौरन बाद उन्होंने त्यागपत्र नहीं दिया। उसके बाद जिस तरह देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला हो रहा है। विरोधी पार्टियों को निशाना बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्रियों को जेल में डाला जा रहा। यह देश और समाज के हित में नहीं है। मजबूर होकर उन्होंने उपाध्यक्ष पद और पार्टी से त्यागपत्र दिया। उन्होंने कहा कि वे एनडीए के साथ नहीं जा सकते। एनडीए भारत के उस ढांचे पर प्रहार कर रहा है जोकि 70 साल में भारत के नेताओं व जनता ने मिलकर बनाया है।

कांग्रेस, सपा, बसपा और रालोद में आते-जाते रहे हैं

बता दें कि पेशे से पत्रकार शाहिद पहले भी दल बदल चुके हैं। वे कांग्रेस, सपा, बसपा और रालोद में आते-जाते रहे हैं। वहीं, उनके अचानक इस तरह त्यागपत्र देने से रालोद अध्यक्ष जयन्त चौधरी के उस बयान को भी नए सिरे से देखा जा रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी के मुस्लिम नेताओं से बात करने के बाद ही वे एनडीए का हिस्सा बने हैं।

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लोकसभा चुनाव में कोई फर्क नहीं पड़ेगा

उधर, सिवालखास से रालोद विधायक गुलाम मोहम्मद ने कहा कि शाहिद सिद्दीकी का पार्टी छोड़ना उनका अपना फैसला है। मुस्लिम रालोद के साथ है। रालोद ने भाजपा में विलय नहीं किया है, बल्कि गठबंधन किया है। मुस्लिम अच्छी तरह से जानता है कि उनके हितों की बात रालोद मुखिया जयन्त चौधरी ही करते हैं। लोकसभा चुनाव में शाहिद के पार्टी छोड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

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गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले जयन्त चौधरी आइएनडीआइए को छोड़कर एनडीए में शामिल हुए थे। उन्हें एनडीए गठबंधन में बागपत और बिजनौर सीट मिली है। बागपत से डा. राजकुमार सांगवान तथा बिजनौर से चंदन चौहान रालोद के उम्मीदवार हैं। मुस्लिम और जाट वोट रालोद की ताकत रहा है। रालोद के एनडीए में जाने से मुस्लिम वोट छिटकने की आशंका जताई जा रही है।

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