Bharat Ratna चौधरी चरण सिंह; एक ऐसे नेता जो प्रधानमंत्री रहते कभी नहीं गए थे संसद, आयरन लेडी इंदिरा गांधी को कराया था गिरफ्तार
Bharat Ratna Chaudhary Charan Singh News चौधरी चरण सिंह किसानों के मसीहा कहे जाते हैं। उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. चौधरी चरण सिंह ने कभी भी संसद का रुख नहीं किया था। वे पहले पीएम थे। 1975 के इमरजेंसी के बाद फैले आक्रोश के बाद इंदिरा गांधी रायबरेली से सीट हार चुकी थीं। जनता पार्टी के जीतने पर चरण सिंह सामने आए।
आशु सिंह, बागपत। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बागपत ऐसी सीट है जिसने देश को प्रधानमंत्री दिया। उनके बाद इस क्षेत्र का कोई राजनीतिज्ञ उस ऊंचाई तक नहीं पहुंच सका। वे ऐसे नेता रहे जिनके कारण पूर्व प्रधानमंत्री और आयरन लेडी इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया गया। साढ़े पांच महीने के प्रधानमंत्री रहे, लेकिन एक भी दिन संसद नहीं जा पाए। हम बात कर रहे हैं किसान मसीहा भारत रत्न चौ. चरण सिंह की।
1975 में आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी के खिलाफ देश में आक्रोश फैला था। इसी आक्रोश को भुनाते हुए विपक्षी नेताओं को मिलाकर गठन हुआ जनता पार्टी का। 1977 के चुनाव में इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से हार गईं। नसबंदी जैसे फैसलों के कारण उनके पुत्र संजय गांधी भी अमेठी से चुनाव हार गए। जनता पार्टी के जीतने पर प्रधानमंत्री पद के तीन दावेदार सामने आए। मोरारजी देसाई, जगजीवन राम और चरण सिंह।
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निर्णय से नाखुश थे चौधरी साहब
मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने और चरण सिंह को गृह मंत्रालय दिया गया। लेकिन चौधरी साहब इस निर्णय से असंतुष्ट थे। वे मोरारजी देसाई को ''डू नथिंग'' प्रधानमंत्री कहा करते थे। आपसी मतभेदों और बेटे पर लगाए गए आरोपों के कारण देसाई ने चरण सिंह को कैबिनेट से बाहर कर दिया। इसके बाद चरण सिंह ने अपनी ताकत का एहसास कराया और एक बड़ी रैली की। लोगों के गुस्से को देखते हुए देसाई को उन्हें मंत्रिमंडल में वापस लेना पड़ा। इस बार उन्हें उप प्रधानमंत्री बनाया गया। इसके साथ ही वित्त मंत्रालय का कार्यभार भी दिया गया।
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चरण सिंह ने कर दी बगावत
जुलाई 1979 में संसद के मानसून सत्र में जनता पार्टी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश हुआ। चरण सिंह ने बगावत कर दी और अपने 48 सांसदों के साथ सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इस स्थिति में मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा।
इंदिरा गांधी की कांग्रेस ने चरण सिंह की पार्टी भारतीय लोकदल को समर्थन दिया। इस तरह चरण सिंह 28 जुलाई 1979 को देश के पांचवें प्रधानमंत्री बन गए। इंदिरा गांधी ने शर्त रख दी कि कांग्रेस नेताओं के खिलाफ जो मामले चरण सिंह ने मोरारजी सरकार में मंत्री रहते दर्ज करवाए उन्हें वापस ले लें। यह शर्त चरण सिंह को मंजूर नहीं थी। उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा।इस तरह वे 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक ही प्रधानमंत्री रह पाए। इस दौरान संसद का कोई सत्र न होने के कारण वे संसद नहीं जा सके। इस तरह वे देश के एकमात्र प्रधानमंत्री बन गए जिन्होंने संसद का सामना नहीं किया।
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