यूपी के ‘जिद्दी अफसर’ को हो गया कुर्सी से प्यार, ठेंगे पर रखा ट्रांसफर ऑर्डर; हाई कोर्ट तक पहुंचा मामला
UP Latest News - पंचायती राज विभाग के सहायक विकास अधिकारी को कुर्सी इस कदर रास आ गई है कि स्थानांतरण के बावजूद वह जाने को तैयार नहीं हैं। इसके लिए उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया है। यह हाल तब है जब वह कई बार विभागीय कार्रवाई की जद में आ चुके हैं।
By Santosh SrivastavaEdited By: Shivam YadavUpdated: Mon, 23 Oct 2023 11:50 PM (IST)
जागरण संवाददाता, बहराइच। पंचायती राज विभाग के सहायक विकास अधिकारी को बहराइच इस कदर रास आ रहा है कि स्थानांतरण के बावजूद वह जाने को तैयार नहीं हैं। इसके लिए उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया है। यह हाल तब है जब वह कई बार विभागीय कार्रवाई की जद में आ चुके हैं।
शिवपुर ब्लाक में तैनात एडीओ पंचायत महेंद्र प्रताप सिंह का स्थानांतरण बीते 30 जून को गोंडा जिले के लिए हो गया। वह नई तैनाती पर न गए और न ही अभी तक जिला पंचायती राज अधिकारी के आदेशानुसार प्रभारी एडीओ बनाए गए विकास श्रीवास्तव को प्रभार सौंपा।
हाई कोर्ट भी पहुंच चुका है मामला
करीब तीन दशक से यहीं सेवारत रहे महेंद्र प्रताप ने स्थानांतरण आदेश रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, इसमें विभागीय निदेशक को भी पक्षकार बनाया। एक माह पूर्व हाईकोर्ट ने स्थगनादेश जारी करने की जगह निदेशक राजकुमार को प्रत्यावेदन के निस्तारण का आदेश दिया।उन्होंने जिला पंचायती राज अधिकारी को तलब कर एडीओ की बाबत पत्रावली देखी और स्थानांतरण आदेश रोकने के प्रत्यावेदन को निरस्त कर दिया। इस आदेश के खिलाफ बाद महेंद्र प्रताप 17 अक्टूबर को डीपीआरओ पर गलत तथ्य पेश करने का आरोप लगा कर फिर हाईकोर्ट गए।
26 अक्टूबर को सुनवाई
इस मामले में 19 को अदालत ने डीपीआरओ को तलब कर उनका पक्ष जाना। अब 26 अक्टूबर को सुनवाई के बाद तय होगा कि एडीओ साहब यहीं बने रहेंगे या फिर उन्हें गोंडा जाना होगा।प्रकरण अदालत में है। हाईकोर्ट में विभाग अपना पक्ष रख रहा है। विभाग को जरूरी अभिलेख उपलब्ध करा दिए गए हैं। हाईकोर्ट के फैसले के आलोक में उच्चाधिकारियों का जो भी आदेश होगा, उसका पालन कराया जाएगा।
- राघवेंद्र द्विवेदी, जिला पंचायती राज अधिकारी।
जेल भी जा चुके हैं एडीओ
गत वर्ष जरवल ब्लाक में तैनाती के दौरान एडीओ ने 30 हजार रुपये की रकम को तीन लाख दर्शा कर हड़प ली थी। इस मामले में उन्हें जेल जाना पड़ा था। यही नहीं कई बार विभागीय कार्रवाई से दंडित हो चुके हैं। वित्तीय अनियमितता एवं खराब व्यवहार के चलते दो बार निलंबित कर प्रतिकूल प्रविष्टि भी दी जा चुकी है।
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