नेपालियों को भा रहा बहराइच का शहद
पायलट प्रोजेक्ट के तहत विशेश्वरगंज व मिहींपुरवा ब्लाक चयनित 100 टन प्रतिवर्ष नेपाल को निर्यात हो रहा शहद 100 किसानों को प्रशिक्षण देकर बनाया जा रहा स्वावलंबी
बहराइच : किसानों की जिदगी में मिठास घोलने वाला शहद नेपाल को भी भा रहाी है। प्रतिवर्ष 100 टन शहद बहराइच से नेपाल को निर्यात किया जा रहा है। विदेश में बढ़ रही तराई के शहद की मांग को देखते हुए उद्यान विभाग व कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से पायलट प्रोजेक्ट के तहत हनी हब के रूप में विशेश्वरगंज व मिहींपुरवा ब्लाक को विकसित करने का फैसला किया गया है। 100 किसानों को सरकारी खर्चे पर मौन पालन व प्रशिक्षण मुहैया कराकर उन्हें स्वावलंबी बनाया जाएगा।
जिला उद्यान अधिकारी पारसनाथ वर्मा ने बताया कि मौन पालन के लिए विशेश्वरगंज व मिहींपुरवा ब्लाक का चयन किया गया है। 100 किसानों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन्हें वनाधारित निदेशालय मुंबई की ओर से मौन वंशों की आपूर्ति की जाएगी। किसानों को सरकारी खर्च पर मधुमक्खी पालन शुरू कराया जाएगा। किसान क्लब को परंपरागत खेती के साथ मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
उद्यान सलाहकार आरके वर्मा का कहना है कि तराई का वातावरण मधुमक्खी पालन के लिए सबसे उपयोगी है। ठंड का समय मधुमक्खी पालन के लिए सबसे बेहतर है। वह बताते हैं कि अर्से से मधुमक्खी पालन को लेकर कई बार प्रस्ताव भेजा गया। सरकार अब इसको लेकर गंभीर हुई है। उन्होंने बताया कि इस काम में लगे लोगों को प्रोत्साहित करने के साथ अन्य लोगों को जोड़ा जाएगा।
मैलिफेरा प्रजाति दिखाएगा तरक्की की राह
मधुमक्खी पालन से जुड़े रामफेरन पांडेय बताते हैं कि तराई क्षेत्र के लिए एपिस मैलिफेरा प्रजाति का मौनवंश काफी उपयोगी होते हैं। शुरुआत में निदेशालय की ओर से इसी प्रजाति के मौन वंश की मांग की गई है। खादी ग्रामोद्योग के सहायक निदेशक एचपी खत्री ने नवंबर में मौनवंश आपूर्ति के निर्देश दिए हैं।
उपकरण खरीद पर 40 प्रतिशत मिलेगा अनुदान
चयनित किसानों को मौन पालन में प्रयुक्त होने वाले बाक्स, फ्रेम, ढकने के लिए जालीदार कवर, दस्ताने, छत्ते से शहद अलग करने की मशीन, शहद भंडारण के लिए ड्रम समेत प्रयुक्त होने वाले अन्य उपकरण की खरीद पर 40 प्रतिशत का अनुदान मुहैया कराया जाएगा।