बहराइच: नेपाल बॉर्डर तक पहुंच गए थे सरफराज व तालिब, फिर क्यों पीछे हटे कदम… और हो गया एनकाउंटर
बहराइच के महराजगंज में सांप्रदायिक हिंसा में शामिल दो मुख्य आरोपी सरफराज और तालिब नेपाल भागने की कोशिश की लेकिन सीमा पर सुरक्षा देखकर वापस लौटे। पुलिस ने उन्हें दबोच लिया और मुठभेड़ में दोनों घायल हुए। अस्पताल से छुट्टी के बाद उन्हें 14 दिन की जेल हुई। इस मामले में 13 मुकदमे दर्ज हैं और 61 लोग गिरफ्तार हैं।
राहुल यादव, बहराइच। महराजगंज में रविवार को सांप्रदायिक हिंसा एवं हत्या जैसी जघन्य वारदात को अंजाम देने के बाद दोनों मुख्य अभियुक्त सरफराज व तालिब नेपाल भागने की फिराक में थे। वह दो दिन पहले भारत-नेपाल सीमा पर पहुंच भी गए थे, लेकिन सीमा पर भारी फोर्स एवं कैमरों की निगरानी देखकर घबरा गए और वापस महराजगंज आ गए।
इसके बाद पुलिस ने उन्हें दबोच लिया और असलहा बरामदगी के दौरान मुठभेड़ में दोनों घायल भी हो गए। ऑपरेशन कर गोली निकाले जाने के बाद हालत सामान्य होने पर शुक्रवार को सभी को जेल भेज दिया गया।
पुलिस के लिए बन गए थे चुनौती
हरदी थाना क्षेत्र के महराजगंज गांव में मूर्ति विसर्जन के दौरान हिंसा हुई, जिसमें रामगांव थाना क्षेत्र के रेहुआ मंसूर निवासी रामगोपाल मिश्र की गोली मारकर हत्या कर दी गई। प्रकरण में महराजगंज निवासी सरफराज व तालिब मुख्य आरोपी रहे। हिंसा के बाद पुलिस के सामने इनको पकड़ने की चुनौती रही।
आरोपियों की तलाश में एसटीएफ समेत जिले की कई टीमें लगी हुई थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार, गुरुवार की दोपहर महराजगंज से बौंडी, हरदी व एसओजी की संयुक्त टीम ने मुख्य आरोपियों समेत पांच लोगों को दबोच लिया।
सूत्र बताते हैं कि गिरफ्तारी से दो दिन पहले सरफराज व तालिब नेपाल भागने की फिराक में थे। वह नेपाल सीमा तक पहुंच भी गए, लेकिन सीमा पर भारी फोर्स की तैनाती देखते हुए खुद की पहचान होने की आशंका से दोनों वापस महराजगंज लौट आए। बताया जाता है कि नेपाल में इनका एक और भाई रहता है, जिसके पास यह शरण लेने के लिए जा रहे थे।
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