Bahraich Katarniya Ghat: पर्यटन का रोमांच चाहिए तो आइए कतर्नियाघाट, खूबसूरती देख खुश हो जाएगा मन
राजधानी लखनऊ से तकरीबन सवा दो सौ किलोमीटर और बहराइच से 100 किलोमीटर दूर नेपाल के बर्दिया नेशनल पार्क से सटा लखीमपुर जिले की सीमा पर आबाद कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग आबाद है। तराई क्षेत्र होने के कारण शाल ढाक साखू सागौन समेत सैकड़ों प्रजाति के औषधीय पौधों लहलहाती घास बेंत तालाब-पोखर गेरुआ व कौड़ियाला नदियों से आच्छादित इस जंगल में विविध प्रकार के जीव-जंतुओं का बसेरा है।
By Jagran NewsEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Fri, 22 Sep 2023 06:33 PM (IST)
बहराइच, मुकेश पांडेय। यूं तो कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य दुधवा का हिस्सा है पर प्राकृतिक विविधता के कारण इसने पर्यटन के नक्शे पर अपनी अलग पहचान बना ली है। अगर आपको प्रकृति की नैसर्गिक छटा और जलीय जीवों, सरीसृप, स्वच्छंद विचरण करते वन्यजीवों से लेकर आकाश में उड़ान भरते पक्षियों के संसार की छटा निहारनी है तो वन्य जीव प्रभाग कतर्नियाघाट चले आइए।
राजधानी लखनऊ से तकरीबन सवा दो सौ किलोमीटर और बहराइच से 100 किलोमीटर दूर नेपाल के बर्दिया नेशनल पार्क से सटा लखीमपुर जिले की सीमा पर आबाद कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग आबाद है। तराई क्षेत्र होने के कारण शाल, ढाक, साखू, सागौन समेत सैकड़ों प्रजाति के औषधीय पौधों, लहलहाती घास, बेंत, तालाब-पोखर, गेरुआ व कौड़ियाला नदियों से आच्छादित इस जंगल में विविध प्रकार के जीव-जंतुओं का बसेरा है।
इस जंगल में पाए गए 59 बाघ
551 वर्ग में फैले इस जंगल में ताजा सर्वे में 59 बाघ पाए गए हैं। यहां 100 की संख्या में हाथी, 70 से अधिक तेंदुआ, तीन गैंडा के अलावा बारासिंघा, चीतल, पाढ़ा, कांकड़ सहित अनगिनत दुर्लभ जीव-जंतु पर्यटन का राेमांच बढ़ाते हैं। लंबे थूथन से वन भूमि खोदते जंगली सुअर, वृक्ष की डालों की झूलते बंदरों व लंगूरों का संसार प्रकृति की नैसर्गिक छटा का दीदार कराता है। गेरुआ नदी में गांगेय डाल्फिन की उछल-कूद के साथ घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुआ एवं महाशेर मछली का संसार बसता है। साइबेरियन पक्षियों के साथ बाज, मोर, दूधराज समेत सैकड़ों प्रजाति के पक्षियों की दुनिया कदम-कदम नजर आती हैं।
वन भ्रमण के साधन
बहराइच से निजी साधन के अलावा ट्रेन और बस से कतर्निया जंगल पहुंच सकते हैं। ट्रेन से यात्रा करते समय बिछिया रेलवे स्टेशन उतरें और वहां से जंगल सफारी के माध्यम से जंगल का भ्रमण कर सकते हैं। वन निगम के पास तीन जिप्सी तथा वन विकास समिति की 11 जिप्सियां आपको जंगल की सैर कराएंगी। इसके साथ ही एक मोटरबोट गेरुआ नदी में भ्रमण का रोमांच उपलब्ध कराने के लिए मौजूद है।यह भी पढ़ें : बहराइच के कतर्निया में 59 पहुंची 'वनराज' की संख्या, पर्यटकों का अब बनेगा नया ठिकाना
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- कतर्नियाघाट व ककरहा स्थित नेचर ट्रेल (बंधा) - साढ़े तीन सौ साल पुराने दस विरासत वृक्ष- कतर्नियाघाट स्थित गुदगुदी वाला पेड़- फकीरपुरी, बर्दिया व चहलवा की थारू संस्कृतिपर्यटकों के लिए आवासीय व्यवस्था
मोतीपुर, ककरहा व कतर्नियाघाट में एक-एक सरकारी गेस्ट हाउस अतिथियों के स्वागत के लिए उपलब्ध है। कतर्निया में ही वन विभाग ने पर्यटकों के लिए दो थारू हट का निर्माण करा रखा है। वन निगम ने इको-टूरिज्म के तहत मोतीपुर में तीन थारू हट तथा 12 बेड की डारमेट्री, ककरहा में चार व कतर्निया में छह थारू हट पर्यटकों के लिए किराए पर उपलब्ध है। इसके अलावा निजी क्षेत्र में भी आवासीय व्यवस्था उपलब्ध है।पर्यटकों के लिए निरंतर व्यवस्था बेहतर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। आगामी 15 नवंबर को कतर्नियाघाट पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा।- आकाशदीप बधावन, प्रभागीय वनाधिकारी