सिस्टम को कोस रहे मरीज, नहीं हो रहा अल्ट्रासाउंड
महिला अस्पताल के अल्ट्रासाउंड कक्ष में महीनों से लटक रहा ताला बेहतर इलाज के दावों की खुल रही पोल
By JagranEdited By: Updated: Wed, 15 Jun 2022 10:33 PM (IST)
बहराइच : तराई वासियों को मेडिकल कालेज की सौगात तो मिल गई, लेकिन यहां बेहतर उपचार होना दिवास्वप्न बन गया है। यहां अल्ट्रासाउंड मशीन है। चिकित्सक हैं, लेकिन मरीज लोग दो-दो माह से जांच कराने के लिए दौड़ रहे हैं। जरूरतमंद मरीज को निजी अल्ट्रासाउंड सेंटर जाना पड़ रहा है। महिला अस्पताल के अल्ट्रासाउंड कक्ष में महीनों से ताला लटक रहा है।
जिले की आबादी 40 लाख से ऊपर है। बेहतर उपचार की आस लेकर यहां श्रावस्ती, बलरामपुर के अलावा नेपाल से मरीज भी आते हैं, लेकिन अल्ट्रासाउंड न होने पर मरीज खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। मरीजों को दो-दो महीने बाद अल्ट्रासाउंड के लिए बुलाया जाता है। भगवानपुरमाफी की कविता ने बताया कि वह दो माह से लगातार अल्ट्रासाउंड के लिए आ रही हैं, लेकिन उनका नंबर नहीं आ रहा है। मोहम्मदनगर डीहा निवासी सुमैसा व मेहरुननिशा भी एक माह से अल्ट्रासाउंड के लिए दौड़ रही हैं, लेकिन मायूसी हाथ लगी है। दरगाह के नुरुद्दीनचक निवासी मीना तो कुछ इस कदर तारीखों से परेशान हुईं कि उन्होंने निजी अस्पताल का रुख करना बेहतर समझा। कल्लू खां ने बताया कि 26 अप्रैल को उन्होंने चिकित्सकीय परीक्षण कराया था। अल्ट्रासाउंड कराने के लिए उन्हें 15 जून की तारीख दी गई। बुधवार को जब अस्पताल पहुंचे तो फिर उन्हें अगली तारीख दे दी गई। मरीज लगातार परेशान हो रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार इस पर गंभीर नहीं हैं। दूरदराज से आकर मायूस लौटने वाले मरीजों के लिए अब मेडिकल कालेज छलावा साबित हो रहा है। वापस जाने के दौरान मरीज सरकार एवं सिस्टम को कोसते नजर आ रहे हैं। कोट
अस्पताल में मात्र एक रेडियोलाजिस्ट की तैनाती है। उन्हीं पर महिला व पुरुष अस्पताल के साथ मेडिकोलीगल, दुर्घटना में घायल, आने वाले मरीजों के अल्ट्रासाउंड की जिम्मेदारी है। रेडियोलाजिस्ट की तैनाती को लेकर पत्राचार किया गया है। -डा. एमएमएम त्रिपाठी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
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