जिला प्रशासन की विफलता व हालात बेकाबू होता देख मुख्यमंत्री ने सचिव (गृह) संजीव गुप्त और अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था)/एसटीएफ चीफ अमिताभ यश को मौके पर भेजा। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान व एसटीएफ का कमांडो दस्ते ने भी बुलेटप्रूफ वाहन से महराजगंज इलाके में पहुंचकर मोर्चा संभाल लिया है। अफवाहों पर विराम लगाने के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
नाखून उखाड़ कर गोली मारी
हरदी थाना क्षेत्र के महाराजगंज बाजार में प्रतिमा विसर्जन के दौरान पथराव के बाद रेहुआ मंसूर गांव निवासी 22 वर्षीय रामगोपाल मिश्र आरोपी के घर की छत पर चढ़ गया और वहा लगा हरे रंग का झंडा उतारकर भगवा ध्वज फहराने लगा, जिसका वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है।
आरोप है कि इससे नाराज मुस्लिम पक्ष के लोग युवक को अपने घर में घसीट ले गए और उसकी बर्बरतापूर्वक पिटाई की। पिटाई से दिल न भरने पर उसके नाखून को उखाड़ कर उसे गोली मार दी गई।
इलाज के दौरान युवक की राजकीय मेडिकल कालेज में उसकी मौत हो गई। विभागीय सूत्र बता रहे हैं कि मृतक के साथ जिस तरह बर्बरता की गई थी, उसका जिक्र पोस्टमार्टम में भी है।
प्रतिमा विसर्जन पर लग गई रोक
मृतक के परिजन मेडिकल कॉलेज के सामने शव रखकर प्रदर्शन करने लगे। इसकी खबर पहुंचते ही जिले जगह-जगह में प्रतिमा विसर्जन को रोक दिया गया। शहर में स्टीलगंज तालाब के पास बाइक में आग लगा दी गई।
अस्पताल चौराहे पर कई दुकानों को जला दिया गया। काजीकटरा में भी आगजनी का प्रयास किया गया। हालत बेकाबू होता देख देर रात डीआईजी देवीपाटन मंडल एपी सिंह व मंडलायुक्त शशिभूषण लाल सुशील भी बहराइच पहुंचे।उपद्रवियों को काबू करने लिए पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया। देर रात हरदी थानाध्यक्ष सुरेश कुमार वर्मा व महसी चौकी प्रभारी शिवकुमार सरोज को निलंबित कर दिया गया था।
दिव्यांग की मौत की अफवाह से फिर हुआ तनाव
पोस्टमार्टम के बाद जब सोमवार की सुबह मृतक का शव गांव पहुंचा तो लोगों में आक्रोश भड़क गया। एकत्रित हजारों की भीड़ ने शव को महसी तहसील गेट के सामने रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया।
इस बीच घटना में घायल एक अन्य दिव्यांग युवक सत्यवान के मौत की अफवाह से माहौल और तनावपूर्ण हो गया। मौके पर भीड़ ने दो वाहनों को खड्ड में पलटकर आग लगा दिया।
घटना का कवरेज कर रहे एक पत्रकार को भीड़ ने पीट दिया। देखते ही देखते महराजगंज इलाके में फिर आगजनी शुरू हो गई। निजी अस्पताल, बाइक शोरूम, दुकान, वाहन समेत कई स्थानों पर उपद्रवियों ने आगजनी की।
पुलिस व उपद्रवियों के बीच गुरिल्ला युद्ध
इलाके का सधुवापुर गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। उपद्रवियों ने पूरे गांव में मकान दुकान संपत्ति, ट्रैक्टर, बाइक आग के हवाले कर दिया। ग्रामीण जान बचाने के लिए घर छोड़कर भाग गए। घंटों पुलिस व उपद्रवियों के बीच गुरिल्ला युद्ध चलता रहा। उपद्रवियों को काबू करने के लिए एसटीएफ चीफ हाथ में पिस्टल लेकर दौड़ाते नजर आए।
एसपी ने बताया कि पूरे मामले में सीसीटीवी कैमरों की फुटेज के आधार पर उपद्रव करने वालों को चिह्नित कर मुकदमा दर्ज किया जाएगा। एसपी ने बताया कि फिलहाल हालात सामान्य है। सुरक्षा के मद्देनजर पूरे इलाके में पुलिस बल तैनात है।आगजनी में तकरीबन दो करोड़ की संपति जलकर राख होने की आशंका जताई जा रही है। घटना से पूरे जिले में दहशत का माहौल व्याप्त है।
दबोचे गए उपद्रव के 26 आरोपी, भेजे गए जेल
नव नियुक्त हरदी थाना प्रभारी कमल शंकर चतुर्वेदी ने बताया कि महाराजगंज में प्रतिमा विसर्जन यात्रा के दौरान हुए पथराव के बाद उपजे विवाद के 26 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।महाराजगंज कस्बा निवासी मोहम्मद आवेश, तजमुल, मोहम्मद निसार, दिलशाद, रेहान, इरफान, हबीबुल्ला, अरमान, मोहम्मद नदीम, आदिल, जावेद, लारेब, असलम, इरशाद अहमद, इमरान, रियाज, जाहिद, मोहम्मद दानिश, रियाज अहमद, महफूज आलम, मकसूद आलम, शमी मोहम्मद, वकार, सरजू पुरवा निवासी मोहम्मद सलीम, अफगान, इमरान अंसारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर एसडीएम न्यायालय रवाना किया। एसडीएम अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि उन्हें जेल भेज दिया गया है।
रामगोपाल को गोली लगते ही निकल गए तहसीलदार
रामगोपाल को घर में खींचकर मारा जा रहा था। लोग उसे जब तक बाहर ला पाते, तब तक उस पर गोलियां दागी जा चुकी थीं। उसे अस्पताल ले जाने के लिए जब तहसीलदार से गुहार लगाई गई तो वह भाग गए। बाइक से किसी तरह से रामगोपाल को अस्पताल ले जाना पड़ा। तहसीलदार की इस हरकत से परिजन आक्रोशित हैं। सोमवार को परिजनों ने बताया कि पुलिस प्रशासन की लापरवाही से वारदात हुई। भाई पर बर्बरता कर उसको मरणासन्न कर दिया गया था। उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए तहसीलदार रविकांत द्विवेदी से मदद मांगी गई तो उन्होंने अपनी गाड़ी देने से मना कर दिया। वहां से भाग गए। रामगोपाल को किसी तरह से अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजन के अनुसार, अगर तहसीलदार ने संवेदनशीलता दिखाते हुए गाड़ी से रामगोपाल को जल्दी अस्पताल पहुंचाया होता तो शायद उसकी जान बच जाती।
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