UP Lok Sabha Election 2024: यूपी के इस लोकसभा सीट पर 'बाहरी' दिग्गजों को गले लगाती रही 'तराई की धरती'
चुनाव जीतने के लिए अक्सर जाति और क्षेत्र की पतवार थामने से सियासी दिग्गज परहेज नहीं करते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां के मतदाताओं ने कभी बाहरी और अपने में भेद नहीं किया। ऐसा ही जिला है बहराइच। यहां देश की आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव में बहराइच पूर्वी से कांग्रेस के टिकट पर जनता ने रफी अहमद किदवई को नुमाइंदगी का मौका दिया।
UP Lok Sabha Election 2024 राजनीति में क्षेत्र, धर्म व जातिवाद के कुचक्र में उलझ कर उच्च शिक्षित जनता जब अपने नुमाइंदों का चुनाव करती रही हो, ऐसे दौर में शिक्षा की दृष्टि से काफी पिछड़े बहराइच के मतदाताओं ने बाहर से आए सियासी दिग्गजों को गले लगाने से परहेज न कर मिसाल कायम की है। यह ऐसा क्षेत्र है, जहां से उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि केरल के निवासी रहे नायर दंपति को भी नुमाइंदगी का मौका मिल चुका है। बहराइच से मुकेश पांडेय की रिपोर्ट...
चुनावी वैतरणी पार करने के लिए अक्सर जाति और क्षेत्र की पतवार थामने से सियासी दिग्गज परहेज नहीं करते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां के मतदाताओं ने कभी बाहरी और अपने में भेद नहीं किया। ऐसा ही जिला है बहराइच। यहां देश की आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव में बहराइच पूर्वी से कांग्रेस के टिकट पर जनता ने रफी अहमद किदवई को नुमाइंदगी का मौका दिया। स्वतंत्रता सेनानी किदवई पड़ोस के बाराबंकी जिले के निवासी थे।
जब एकसाथ सांसद चुने गए नायर दंपती
1967 में बहराइच की जनता ने भारतीय जनसंघ के टिकट पर केके नायर को चुना। नायर केरल के निवासी थे। यही नहीं उनकी पत्नी शकुंतला नायर भी इसी जिले से जुड़ी कैसरगंज संसदीय सीट से भारतीय जनसंघ के टिकट पर निर्वाचित होकर संसद में पहुंचने में कामयाब रहीं। 1971 में कैसरगंज से भारतीय जनसंघ के टिकट पर निर्वाचित हुए महादीपक सिंह भी बहराइच के निवासी नहीं थे।
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इंदिरा विरोधी लहर में जीते बुलंदशहर के त्यागी
1977 के इंदिरा विरोधी लहर के दौरान आम चुनाव में बहराइच की जनता ने एक बार फिर बाहरी उम्मीदवार को संसद में नुमाइंदगी का मौका दिया। कांग्रेस के सरदार जोगिंदर सिंह को शिकस्त देकर भारतीय लोकदल के उम्मीदवार ओमप्रकाश त्यागी संसद पहुंचने में कामयाब रहे। वह बुलंदशहर जिले के निवासी थे।
1980 में बाहरी के पाले में गई दाेनों सीटें
जनता पार्टी के बिखरने के बाद 1980 में लोकसभा चुनाव हुआ तो मतदाताओं ने यहां की दोनों सीटों पर बाहरी उम्मीदवारों को मौका देकर इतिहास रच दिया। बहराइच लोकसभा क्षेत्र से फैजाबाद (अब अंबेडकरनगर) जिले के किछौछा निवासी मौलाना सैय्यद मुजफ्फर हुसैन कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित होकर संसद पहुंचने में कामयाब रहे, जबकि कैसरगंज सीट पर कानपुर जिले से ताल्लुक रखने वाले राना वीर सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे तो मतदाताओं ने उन्हें भी गले लगाने से संकोच नहीं किया।
तीन बार सांसद चुने गए बुलंदशहर के आरिफ
बुलंदशहर जिले के निवासी आरिफ मोहम्मद खान 1984 के संसदीय चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में यहां चुनाव लड़ने आए तो मतदाताओं ने स्थानीय निवासी भाजपा के पूर्व सांसद रुद्रसेन चौधरी के मुकाबले भारी बहुमत से चुनकर उन्हें संसद भेज दिया।वह राजीव गांधी मंत्रिमंडल के सदस्य रहे, लेकिन चर्चित शाहबानो प्रकरण पर उन्होंने बगावत कर कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और 1989 के पहले गठित जनता दल के दिग्गज नेताओं में शुमार हो गए। जनता दल उम्मीदवार आरिफ मोहम्मद खान के विजयरथ को रोकने के लिए कांग्रेस ने यहां से एआर किदवई को मैदान में उतारा, लेकिन आरिफ संसद पहुंचने में सफल रहे।
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बाहर के थे लक्ष्मीनारायण व रुबाब सईदा1991 में कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित लक्ष्मीनारायणमणि त्रिपाठी भी मूलरूप से बहराइच जिले के निवासी न होकर पूर्वांचल की पृष्ठभूमि के थे। उनके पूर्वजों ने इस क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि बनाया था। 2004 में बहराइच से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनी गई रुबाब सईदा भले ही यहां के निवासी पूर्व मंत्री यासर शाह की मां हों, लेकिन उनका जन्म भी मेरठ जिले में हुआ था और वह समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता रहे डा.वकार अहमद शाह से ब्याह के बाद यहां आई थीं।
क्षेत्र आरक्षित हुआ तो भी न थमा बाहरी की विजय का सिलसिला
बहराइच संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित घोषित कर दी गई। इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बांसगांव के निवासी रहे कमलकिशोर को मैदान में उतारा। वह भी सियासी पंडितों के आकलन को धता बताते हुए भारी बहुमत से जीतकर संसद पहुंच गए। उन्होंने बसपा के लालमणि प्रसाद काे शिकस्त दी, वह भी बस्ती जिले के रहने वाले थे। 2019 में बहराइच से अक्षयवर लाल गोंड भाजपा के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए हैं। वह भी मूलरूप से देवरिया के हैं। उनके पूवर्जों ने अर्सा पहले बहराइच के मिहींपुरवा में अपना आवास बनाया था।
कैसरगंज संसदीय क्षेत्र के निवासी नहीं हैं बृजभूषणकैसरगंज से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह 2009 से लगातार इसी क्षेत्र से चुने जा रहे हैं। पहली बार उन्हें 2009 में सपा के टिकट पर संसद जाने का मौका मिला था तो 2014 और 2019 में उन्होंने भाजपा की विजय पताका फहराई। सांसद बृजभूषण शरण सिंह इस संसदीय क्षेत्र के निवासी न होकर गोंडा के निवासी हैं।
बहराइच लोकसभा क्षेत्र से अब तक निर्वाचित सांसद
2019 अक्षयवरलाल गोंड भाजपा 525982
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नाम |
दल |
मिले मत |
1952 | सरदार जोगेंद्र सिंह | कांग्रेस | 142131 |
1957 | सरदार जोगेंद्र सिंह | कांग्रेस | 145581 |
1962 | कुंवर रामसिंह | स्वतंत्र दल | 75544 |
1967 | केके नायर | जनसंघ | 100203 |
1971 | पं.बदलूराम | कांग्रेस | 94666 |
1977 | ओमप्रकाश त्यागी | लोकदल | 186946 |
1980 | मौलाना सैय्यद मुजफ्फर हुसैन | कांग्रेस | 112358 |
1984 | आरिफ मोहम्मद खान | कांग्रेस | 178621 |
1989 | आरिफ मोहम्मद खान | जनता दल | 142399 |
1991 | रुद्रसेन चौधरी | भाजपा | 174272 |
1996 | पद्मसेन चौधरी | भाजपा | 162165 |
1998 | आरिफ मोहम्मद खान | बसपा | 262360 |
1999 | पद्मसेन चौधरी | भाजपा | 223768 |
2004 | रुबाब सईदा | सपा | 188949 |
2009 | कमल किशोर | कांग्रेस | 260005 |
2014 | सावित्रीबाई फुले | भाजपा | 432392 |