Wolf Attack : भेड़िए के सरदार को पकड़ने के लिए वन विभाग ने बढ़ाई चौकसी, शाम होते ही करना पड़ रहा यह काम
कछार में आतंक का पर्याय बने भेड़िए के कुनबे के पांच भेड़िए सदस्य पकड़े जा चुके हैं। कुनबे का सरदार छठवां भेड़िया अभी भी पकड़ से बाहर है। वह वनकर्मियों के साथ लुका छिपी का खेल खेल रहा है। गुरुवार को सिसैया गांव स्थित कछार में वह विचरण करता दिखाई दिया। वन विभाग ने उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया इससे पहले वह भाग निकला।
संसू, जागरण महसी (बहराइच) भेड़िए के सरदार को पकड़ने के लिए वन विभाग की चौकसी जारी रखेगी। हमलों पर नियंत्रण के लिए पहरा और कड़ा कर दिया गया है।वन कर्मियों ने पूरी ताकत लगा दी है लेकिन उसकी लोकेशन नहीं मिल रही है। भेड़िए को आबादी से दूर रखने के लिए गांवों में शाम होते ही गोले पटाखे की आवाज गूंजने लगती है।
कछार में आतंक का पर्याय बने भेड़िए के कुनबे के पांच भेड़िए सदस्य पकड़े जा चुके हैं। कुनबे का सरदार छठवां भेड़िया अभी भी पकड़ से बाहर है। वह वनकर्मियों के साथ लुका छिपी का खेल खेल रहा है। गुरुवार को सिसैया गांव स्थित कछार में वह विचरण करता दिखाई दिया। वन विभाग ने उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया इससे पहले वह भाग निकला। उसके लगातार लोकेशन बदलते रहने से वन कर्मी हलकान हैं।
डीएफओ अजीत प्रताप सिंह का कहना है कि पहरा कड़ा कर दिया गया है। पूरे क्षेत्र को तीन सेक्टर में बांटकर निगरानी की जा रही है। वन विभाग की 25 टीमें कांबिंग कर रही हैं। पूरी रात गश्त के साथ ड्रोन से सर्च आपरेशन के साथ लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे है।
भेड़िए को आबादी से दूर रखने के लिए लगातार गोले-पटाखे छोड़े जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई दिनों से भेड़िए का कोई हमला सामने नहीं आया है। गुरुवार की रात दो बच्चों के घायल होने के मामले में उन्होंने कहा कि भेड़िए की ओर से हमला नहीं किया गया। भेड़िए के कोई पग चिन्ह नहीं मिले हैं।
अन्य भेड़ियों से अलग है अल्फा का स्वभाव
डीएफओ अजीत का कहना है कि शेष बचे अल्फा भेड़िए का स्वभाव पकड़े गए भेड़िए से बिल्कुल अलग है। यह आबादी की ओर न जाकर कछार में विचरण कर रहा है।
सपा मुखिया ने कसा तंज
समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भेड़िए के हमले के मामले में इंटरनेट मीडिया एक्स पर ट्वीट कर तंज कसा है। उन्होंने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि प्रशासन द्वारा 'भेड़िए की समस्या' को नकारना भी एक समस्या है। अब तक तो कहानी में सुनते आए थे कि 'भेड़िया आया-भेड़िया आया' का झूठ फैलाया जाता है, अब सच में भेड़िया आ रहा है तो प्रशासन उल्टी कहानी सुना रहा है कि ये झूठ है और कह रहा है कि भेड़िया नहीं आया-भेड़िया नहीं आया।